जर्नलिस्ट, राइटर-फोटोग्राफर से मीडिया सलाहकार तक, अमृतपाल के करीबी पप्पलप्रीत के हैं कई रूप
पप्पलप्रीत खालिस्तानी कार्यकर्ता है जो अमृतपाल के मीडिया अडवाइजर से पहले खुद को कभी पत्रकार, लेखक और फोटोग्राफर बताता रहा है। 2017 में पप्पलप्रीत सिमरनजीत सिंह मान की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) का हिस्सा था लेकिन 9 महीने बाद ही उसने पार्टी छोड़ दी। जांच एजेंसियों के मुताबिक, पप्पलप्रीत एक खालिस्तानी प्रोपेगैंडा वेबसाइट भी चलाता है। वह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के अस्तित्व में आने से पहले ही पंजाब में ऐक्टिव हो गया था।
पहले भी दो बार हो चुका है अरेस्ट
पप्पलप्रीत अमृतसर जिले के मरारी गांव का निवासी है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल (बादल) सरकार ने नवंबर 2015 में पप्पलप्रीत पर आईएसआई के साथ कथित संबंधों के मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।
पप्पलप्रीत पर UAPA समेत कई मामले दर्ज हैं। उसे 2015 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध होने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस पर देशद्रोह के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद पप्पलप्रीत को 2016 में भी दोबारा गिरफ्तार किया गया था।
कम्प्यूटर साइंस से डिप्लोमा
2015 में कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा और तीन साल का पॉलिटेक्निक डिप्लोमा करने वाले पप्पलप्रीत को पुलिस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जोड़ने और देशद्रोह के मामला दर्ज करने के बाद अरेस्ट किया था।
पप्पलप्रीत सिंह को अमृतपाल का मेन हैंडलर बताया जाता है। अमृतपाल इसे अपना मेंटर मानता है। वह अमृतपाल का मीडिया सलाहकार भी है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पप्पलप्रीत पंजाब में खालिस्तान का माहौल खड़ा करने के लिए आईएसआई के सीधे संपर्क में है। वह राज्य में आतंकवाद फैलाने की साजिश में जुटा था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पप्पलप्रीत और अमृतपाल 28 मार्च की रात से अलग-अलग हुए थे जब पुलिस होशियारपुर के पास उनकी धरपकड़ में जुटी थी। बाद में पापलप्रीत को मरनाइयां गांव से 2 किमी दूर तनौली के एक डेरे से सीसीटीवी फुटेज में देखा गया, जहां पुलिस ने दोनों की तलाश शुरू की थी।