जर्जर भवनों को कंडम घोषित करने लगा पेच, निर्वाचन केंद्र वाले जर्जर भवनों को बदला जा रहा | Declaring dilapidated buildings as condom started a problem | Patrika News h3>
भोपालPublished: Jul 08, 2023 10:08:27 pm
जर्जर स्कूल भवनों को कंडम घोषित किए जाने की कार्यवाही को लेकर प्रशासन का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है, क्योंकि जर्जर भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति पर कलेक्टर ने आपत्ति लगा दी हैं।
school building in dilapidated condition
बैतूल। जर्जर स्कूल भवनों को कंडम घोषित किए जाने की कार्यवाही को लेकर प्रशासन का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है, क्योंकि जर्जर भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति पर कलेक्टर ने आपत्ति लगा दी हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो, लेकिन ऐसे स्कूल भवन जिनमें निर्वाचन केंद्र बने हुए हैं और बारिश में पानी टपक रहा हैं तो उन्हें तत्काल बदलने की अनुशंसा कर दी गई हैं। जबकि जर्जर स्कूल भवनों में आज भी बच्चे पढऩे को मजबूर हैं। बताया गया कि करीब दो दर्जन भवन जर्जर हालत में हैं जिन्हें कंडम घोषित नहीं किया गया है। बारिश में यह कभी भी धराशाही हो सकते हैं। इससे जान-माल को भी नुकसान हो सकता है।
भूमि के उपयोग को लेकर लगाई आपत्ति
पीडब्ल्यूडी विभाग ने संबंधित विभागों के अनुमोदन पर दो दर्जन से अधिक पुराने शासकीय भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति के लिए फाइल कलेक्टर कार्यालय में भेजी गई थी, लेकिन कलेक्टर ने जर्जर भवनों को कंडम घोषित न करते हुए इनमें पेच लगा दिया है। जर्जर भवनों के संदर्भ में अब यह जानकारी मांगी जा रही है कि उक्त भूमि पर क्या निर्माण किया जाना है और वर्तमान में भवन कहां मौजूद हैं। संबंधित विभागों द्वारा इस संदर्भ में टीप अंकित नहीं किए जाने के कारण जर्जर भवनों को अभी तक कंडम घोषित नहीं किया जा सका है।
३२ भवन जर्जर हालत में मौजूद
जिले में ३२ शासकीय भवन जर्जर हालत में मौजूद हैं। इनमें उपस्वास्थ्य केंद्र, पशु औषधालय, कन्या आश्रम, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल, वनरक्षक आवास, न्याय विभाग, वन परिक्षेत्र कार्यालय की बिल्डिंगें शामिल है। इन भवनों को बने हुए करीब ४० से ४५ वर्ष हो चुके हैं। ज्यादातर भवन पुराने होने की वजह से खपरेलनुमा है। जिसकी वजह से बिल्डिंग की हालत जर्जर है। इन भवनोंं को कंडम घोषित किए जाने के लिए अनुमति मांगी जा रही हैं, लेकिन आपत्ति दर्ज होने के कारण अनुमति नहीं मिल सकी है।
जर्जर होने से बदले जा रहे ५५ मतदान केंद्र
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए निर्वाचन विभाग ने मतदान केंद्रों के निर्धारण को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस साल ५५ मतदान केंद्रों को जर्जर होने की वजह से बदला जा रहा है। इनमें सर्वाधिक जर्जर मतदान केंद्र ४३ भैंसेदही में हैं। इसके अलावा ६ केंद्र मुलताई, आमला में ४ केंद्र और घोड़ाडोंगरी में २ केंद्र बताए जाते हैं। इन मतदान केंद्रों में बारिश का पानी टपकता हैं इस वजह से इन्हें जर्जर घोषित कर बदला जा रहा है। इनकी जगह नए भवनों में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
जर्जर हालत में खड़ी बिल्डिंगें
जिले में करीब आधा सैकड़ा बिल्डिंगे जर्जर हालत में खड़ी हुई हैं। इनमें से अधिकांश बिल्डिंगों का उपयोग अब नहीं किया जा रहा हैं लेकिन इन्हें डिसमेंटल भी नहीं किया गया है। जिसके कारण बारिश में इन बिल्डिंगों के गिरने की संभावना बनी रहती है। यदि बारिश में बिल्ंिडग के गिरने से जाल-माल का कोई नुकसान होता हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। वैसे कलेक्टर ने बिल्डिंग डिसमेंटल के बाद जमीन का क्या उपयोग किया जाना हैं सिर्फ यही जानकारी मांगी हैं लेकिन एक साल बाद भी संबंधित विभाग जमीन की उपयोगिता को लेकर जानकारी नहीं दे पाए हैं।
लीड खबर में वर्जन लगाना
इनका कहना
– हमनें बिल्डिंगों को अलग-अलग जोन में रखा है। रेड जोन वाली बिल्डिंगों को तत्काल कंडम घोषित कर डिसमेंटल किया जा रहा है। जिन जर्जर भवनों में आपत्ति लगी थी, उनमें जो बिल्डिंग ज्यादा कंडम थी उन्हें डिसमेंटल के निर्देश दिए जा चुके हैं।
– अमनबीर सिंह बैंस, कलेक्टर बैतूल।
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भोपालPublished: Jul 08, 2023 10:08:27 pm
जर्जर स्कूल भवनों को कंडम घोषित किए जाने की कार्यवाही को लेकर प्रशासन का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है, क्योंकि जर्जर भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति पर कलेक्टर ने आपत्ति लगा दी हैं।
school building in dilapidated condition
बैतूल। जर्जर स्कूल भवनों को कंडम घोषित किए जाने की कार्यवाही को लेकर प्रशासन का दोहरा चेहरा नजर आ रहा है, क्योंकि जर्जर भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति पर कलेक्टर ने आपत्ति लगा दी हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा न हो, लेकिन ऐसे स्कूल भवन जिनमें निर्वाचन केंद्र बने हुए हैं और बारिश में पानी टपक रहा हैं तो उन्हें तत्काल बदलने की अनुशंसा कर दी गई हैं। जबकि जर्जर स्कूल भवनों में आज भी बच्चे पढऩे को मजबूर हैं। बताया गया कि करीब दो दर्जन भवन जर्जर हालत में हैं जिन्हें कंडम घोषित नहीं किया गया है। बारिश में यह कभी भी धराशाही हो सकते हैं। इससे जान-माल को भी नुकसान हो सकता है।
भूमि के उपयोग को लेकर लगाई आपत्ति
पीडब्ल्यूडी विभाग ने संबंधित विभागों के अनुमोदन पर दो दर्जन से अधिक पुराने शासकीय भवनों को कंडम घोषित किए जाने की अनुमति के लिए फाइल कलेक्टर कार्यालय में भेजी गई थी, लेकिन कलेक्टर ने जर्जर भवनों को कंडम घोषित न करते हुए इनमें पेच लगा दिया है। जर्जर भवनों के संदर्भ में अब यह जानकारी मांगी जा रही है कि उक्त भूमि पर क्या निर्माण किया जाना है और वर्तमान में भवन कहां मौजूद हैं। संबंधित विभागों द्वारा इस संदर्भ में टीप अंकित नहीं किए जाने के कारण जर्जर भवनों को अभी तक कंडम घोषित नहीं किया जा सका है।
३२ भवन जर्जर हालत में मौजूद
जिले में ३२ शासकीय भवन जर्जर हालत में मौजूद हैं। इनमें उपस्वास्थ्य केंद्र, पशु औषधालय, कन्या आश्रम, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल, वनरक्षक आवास, न्याय विभाग, वन परिक्षेत्र कार्यालय की बिल्डिंगें शामिल है। इन भवनों को बने हुए करीब ४० से ४५ वर्ष हो चुके हैं। ज्यादातर भवन पुराने होने की वजह से खपरेलनुमा है। जिसकी वजह से बिल्डिंग की हालत जर्जर है। इन भवनोंं को कंडम घोषित किए जाने के लिए अनुमति मांगी जा रही हैं, लेकिन आपत्ति दर्ज होने के कारण अनुमति नहीं मिल सकी है।
जर्जर होने से बदले जा रहे ५५ मतदान केंद्र
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए निर्वाचन विभाग ने मतदान केंद्रों के निर्धारण को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस साल ५५ मतदान केंद्रों को जर्जर होने की वजह से बदला जा रहा है। इनमें सर्वाधिक जर्जर मतदान केंद्र ४३ भैंसेदही में हैं। इसके अलावा ६ केंद्र मुलताई, आमला में ४ केंद्र और घोड़ाडोंगरी में २ केंद्र बताए जाते हैं। इन मतदान केंद्रों में बारिश का पानी टपकता हैं इस वजह से इन्हें जर्जर घोषित कर बदला जा रहा है। इनकी जगह नए भवनों में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
जर्जर हालत में खड़ी बिल्डिंगें
जिले में करीब आधा सैकड़ा बिल्डिंगे जर्जर हालत में खड़ी हुई हैं। इनमें से अधिकांश बिल्डिंगों का उपयोग अब नहीं किया जा रहा हैं लेकिन इन्हें डिसमेंटल भी नहीं किया गया है। जिसके कारण बारिश में इन बिल्डिंगों के गिरने की संभावना बनी रहती है। यदि बारिश में बिल्ंिडग के गिरने से जाल-माल का कोई नुकसान होता हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। वैसे कलेक्टर ने बिल्डिंग डिसमेंटल के बाद जमीन का क्या उपयोग किया जाना हैं सिर्फ यही जानकारी मांगी हैं लेकिन एक साल बाद भी संबंधित विभाग जमीन की उपयोगिता को लेकर जानकारी नहीं दे पाए हैं।
लीड खबर में वर्जन लगाना
इनका कहना
– हमनें बिल्डिंगों को अलग-अलग जोन में रखा है। रेड जोन वाली बिल्डिंगों को तत्काल कंडम घोषित कर डिसमेंटल किया जा रहा है। जिन जर्जर भवनों में आपत्ति लगी थी, उनमें जो बिल्डिंग ज्यादा कंडम थी उन्हें डिसमेंटल के निर्देश दिए जा चुके हैं।
– अमनबीर सिंह बैंस, कलेक्टर बैतूल।