जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में क्या हुआ था?

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जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में क्या हुआ था?

जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के बाद पंजाब में क्या हुआ था?

चंडीगढ़:एक महीने से पंजाब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बना अमृतपाल सिंह आखिर गिरफ्त में आ गया है। अमृतपाल का अगला पता अब असम की डिब्रूगढ़ जेल है। वारिस पंजाब दे चीफ के बाकी नौ साथियों को असम की जिस डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है, वहीं पर अमृतपाल भी बंद रखा जाएगा। एक सवाल जरूर उठ रहा है कि अमृतपाल को पंजाब की बजाए देश के दूसरे छोर पर स्थित जेल क्यों भेजा जा रहा है? क्या पंजाब पुलिस का कोई अनचाहा डर है, जिसकी वजह से अमृतपाल को डिब्रूगढ़ में ही कैद रखा जाएगा? इन सवालों के जवाब समझने के लिए आपको 80 के दशक वाले पंजाब में लौटना होगा। यह वो दौर था जब पंजाब कट्टरपंथ की आग से झुलस रहा था। उन दिनों दमदमी टकसाल का प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाले अपने उभार पर था।

क्यों जारी हुआ भिंडरावाले का अरेस्ट वॉरंट
तारीख- 9 सितंबर 1981। जगह- पंजाब का जालंधर शहर। हिंद समाचार समूह के संस्थापक और चर्चित पत्रकार लाला जगत नारायण की गोली मारकर हत्या हो जाती है। इस सनसनीखेज हत्याकांड में जरनैल सिंह भिंडरावाले का नाम सामने आया। इसके बाद पंजाब पुलिस उसकी गिरफ्तारी में जुट गई। 12 सितंबर को अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ। डीआईजी डीएस मंगत के नेतृत्व में एक पुलिस टीम हरियाणा के हिसर भेजी गई। इनपुट मिला था कि भिंडरावाले यहां के चंदोकला में है। लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले भिंडरावाले वहां से फरार हो गया। रातभर में ही वह अमृतसर के मेहता चौक पहुंच गया। पूर्व आईएएस और अमृतसर के डेप्युटी कमिश्नर रह चुके रमेश इंदर सिंह ने पंजाब के उस वक्त के हालात पर एक किताबTurmoil in Punjabलिखी है। इसमें उन्होंने लिखा है कि भिंडरावाले ने उस वक्त डीआईजी जेएस आनंद को गिरफ्तारी देने से इनकार कर दिया था। डीआईजी आनंद का अपनी दाढ़ी कटवा लेना इसके पीछे एक वजह थी। भिंडरावाले ने किसी ‘शुद्ध’ सिख अफसर के सामने ही आत्मसमर्पण की मांग रखी।

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भिंडरावाले के सरेंडर करते ही जालंधर में 4 की हत्या
20 सितंबर 1981 को भिंडरावाले सरेंडर के लिए राजी हो गया। जिस दिन भिंडरावाले ने आत्मसमर्पण किया, उसी दिन आतंकियों ने जालंधर में अंधाधुंध फायरिंग कर चार लोगों की हत्या कर डाली। कहा जाता है कि पंजाब में आतंकवादियों के इस तरह के हमले का यह पहला मामला था। रमेश इंदर सिंह की किताब के मुताबिक गिरफ्तारी के लिए भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर में जाने के साथ ही पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने की शर्त रखी। 20 सितंबर को सुबह होने से पहले भिंडरावाले को स्वर्ण मंदिर लाया गया। इन सबके बीच दमदमी टकसाल के मुख्यालय मेहता चौक पर भीड़ इकट्ठा हो गई। वहां से भड़काऊ भाषणबाजी भी
हुई। कई नेताओं ने भिंडरावाले की तारीफ में कसीदे कढ़े। भीड़ को पता चला कि भिंडरावाले की गिरफ्तारी हो रही है। इस पर लोग भड़क उठे। इस दौरान फायरिंग में आठ लोगों की जान चली गई। उस वक्त पंजाब के सीएम रहे दरबारा सिंह ने केंद्र सरकार से सेना भेजने की मांग की लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

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भिंडरावाले को लुधियाना जेल में रखने का फैसला
बिगड़ते हालात और भारी तनाव के बीच भिंडरावाले को लुधियाना जेल लाया जा रहा था। लोगों को जब खबर हुई कि भिंडरावाले को लुधियाना जेल लाया जा रहा है तो शहर के एंट्री गेट पर लोग उमड़ पड़े। उस समय लुधियाना के डेप्युटी कमिश्नर रहे रवि साहनी नेLiving a Lifeनाम की एक किताब लिखी है। किताब में वह लिखते हैं, ‘मैंने फैसला किया कि भिंडरावाले की कार को लुधियाना लाए जा रहे काफिले से अलग कर लेंगे और उसे एक गेस्ट हाउस में रखा जाएगा। लेकिन आधा घंटे पहले इस प्लान पर अमल करने से रोक दिया गया।’

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‘पूछताछ में समान ऊंचाई पर या मुझसे नीचे बैठें अफसर’
साहनी को डीजीपी के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि भिंडरावाले की कार को लुधियाना पुलिस के काफिले के साथ ही लाया जाए। रवि साहनी अपनी किताब में लिखते हैं कि मैंने सीएम को फोन किया। सीएम की तरफ से जवाब आया कि यह आदेश राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की तरफ से है। वही हुआ जिसका अंदेशा था। जल्द ही यह काफिला एक जुलूस में तब्दील हो गया। भिंडरावाले के समर्थन में नारेबाजी होने लगी। गुरदासपुर के एसएसपी चहल काफिले को एस्कोर्ट कर रहे थे। साहनी किताब में लिखते हैं किचहल के पास भिंडरावाले की शर्तों की एक लिस्ट थी। मसलन- भिंडरावाले के साथ उसके दो साथी, एक रसोइया और दूसरा सेवक रहेगा। सिर्फ अमृतधारी सिख (खालसा के पांच सिद्धांतों का पालन करने वाला सिख) ही उससे पूछताछ कर सकेगा। पूछताछ के दौरान भिंडरावाले और पुलिस अफसर समान ऊंचाई पर बैठेंगे। एक और शर्त थी कि अगर भिंडरावाले ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया तो उस पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल नहीं होगा।

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‘भिंडरावाले गिरफ्तार हो रहा या पंजाब सरकार?’
रवि साहनी हैरान थे।Living a Lifeमें वह आगे लिखते हैं,‘मैं इन सब शर्तों के बारे में जानकर भौचक्का रह गया। फिर मैंने मजाकिया अंदाज में एसएसपी चहल से पूछा कि कौन गिरफ्तार हो रहा है भिंडरावाले या पंजाब सरकार?’पूछताछ और जांच के दौरान जब भिंडरावाले के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले तो उसे 15 अक्टूबर 1981 को जेल से रिहा कर दिया गया। जेल में 25 दिन रहने के बाद जब भिंडरावाले बाहर निकला तो उसने कहा-‘जो काम मैं इतने सालों में बाहर रहकर नहीं कर पाया, वह जेल में इतने दिनों रहने से पूरा हो गया।’भिंडरावाले की जेलयात्रा के बाद पंजाब का माहौल और खराब हुआ। इसके बाद डीआईजी अटवाल की स्वर्ण मंदिर परिसर में हत्या हो जाती है। ढाई साल में हालात ऐसे हो जाते हैं कि भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर परिसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देना पड़ता है। उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है। जाहिर है अमृतपाल सिंह के मामले में पंजाब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां ऐसी कोई भी चूक नहीं करना चाहती थीं।

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