जम्मू कश्मीर: फर्जी हथियार लाइसेंस बनवाने वाले की जमानत याचिका खारिज | Jammu and Kashmir: The bail plea of the person who got the fake arms | Patrika News h3>
रिमांड खत्म होने पर उसने शुक्रवार को कोर्ट में जमानत याचिका पेश की। जमानत याचिका का विरोध करते हुए एटीएस की ओर विशेष लोक अभियोजक भंवरसिंह चौहान ने कहा कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पहचान छिपाकर हथियार लेने का प्रयास किया है। यह गंभीर मामला है जिसमें सवा सौ से ज्यादा आरोपी हैं। ऐसे में आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए। सुनवाई बाद कोर्ट ने अलफ्रेड की जमानत खारिज कर दी।
मामले में सवा सौ आरोपी
जम्मू कश्मीर से फर्जी हथियार लाइसेंस लेने के मामले में एटीएस ने 122 आरोपियों को नामजद किया है। अब तक गिरफ्तार 56 आरोपियों में से कोर्ट ने 45 पर आरोप भी तय कर दिए हैं। अन्य आरोपियों की एटीएस तलाश कर रही है। एटीएस ने इस मामले में 67 हथियार और 1188 लाइसेंस जब्त किए हैं।
ये है मामला राजस्थान सरकार की एटीएस ने 2017 में एक गन रैकेट का खुलासा किया था। एटीएस ने 2017 में ऑपरेशन जुबैदा के तहत दलाल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। दलाल ग्रोवर जम्मू कश्मीर के जिलाधिकारियों और हथियार बेचने वाले लोगों के बीच दलाल का काम करता था। उस समय एटीएस ने उससे 565 लाइसेंस जब्त किए थे। जिनमें से 93 लोग ऐसे थे जिन्होंने कभी जम्मू कश्मीर में नौकरी नहीं की थी।
सीबीआइ के हवाले केस जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस सीबीआइ के हवाले कर दिया था। सीबीआइ ने 17 मई, 2018 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 2012 और 2016 के बीच की अवधि के दौरान हथियार लाइसेंस जारी करने के आरोपों पर दो प्राथमिकी की जांच का जिम्मा संभाला था। फरवरी 2020 में सीबाअई ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।
कई बड़े नाम हैं शामिल सीबीआइ ने 2020 में 2 आइएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले सीबीआइ ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी।
इन्होंने बांटे फर्जी लाइसेंस
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ था कि जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरत हुसैन 2012 से 2016 के बीच अलग-अलग समय पर जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में जिलाधिकारी के पद पर तैनात थे। इस दौरान कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां और पुलवामा के साथ जम्मू के उधमपुर, किश्तवाड़, डोडो और राजौरी में सबसे ज्यादा गन लाइसेंस जारी किए गए। सिर्फ जम्मू में 1,43,013 लाइसेंस जारी हुए। इनमें से 1,32,321 जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोगों को बांटे गए थे। सीबीआई केस के अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर में जारी किए गए 4,23,301 गन लाइसेंस में सिर्फ 10 प्रतिशत ही प्रदेश के लोगों को दिए गए।
रिमांड खत्म होने पर उसने शुक्रवार को कोर्ट में जमानत याचिका पेश की। जमानत याचिका का विरोध करते हुए एटीएस की ओर विशेष लोक अभियोजक भंवरसिंह चौहान ने कहा कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पहचान छिपाकर हथियार लेने का प्रयास किया है। यह गंभीर मामला है जिसमें सवा सौ से ज्यादा आरोपी हैं। ऐसे में आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए। सुनवाई बाद कोर्ट ने अलफ्रेड की जमानत खारिज कर दी।
मामले में सवा सौ आरोपी
जम्मू कश्मीर से फर्जी हथियार लाइसेंस लेने के मामले में एटीएस ने 122 आरोपियों को नामजद किया है। अब तक गिरफ्तार 56 आरोपियों में से कोर्ट ने 45 पर आरोप भी तय कर दिए हैं। अन्य आरोपियों की एटीएस तलाश कर रही है। एटीएस ने इस मामले में 67 हथियार और 1188 लाइसेंस जब्त किए हैं।
ये है मामला राजस्थान सरकार की एटीएस ने 2017 में एक गन रैकेट का खुलासा किया था। एटीएस ने 2017 में ऑपरेशन जुबैदा के तहत दलाल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। दलाल ग्रोवर जम्मू कश्मीर के जिलाधिकारियों और हथियार बेचने वाले लोगों के बीच दलाल का काम करता था। उस समय एटीएस ने उससे 565 लाइसेंस जब्त किए थे। जिनमें से 93 लोग ऐसे थे जिन्होंने कभी जम्मू कश्मीर में नौकरी नहीं की थी।
सीबीआइ के हवाले केस जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस सीबीआइ के हवाले कर दिया था। सीबीआइ ने 17 मई, 2018 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 2012 और 2016 के बीच की अवधि के दौरान हथियार लाइसेंस जारी करने के आरोपों पर दो प्राथमिकी की जांच का जिम्मा संभाला था। फरवरी 2020 में सीबाअई ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।
कई बड़े नाम हैं शामिल सीबीआइ ने 2020 में 2 आइएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले सीबीआइ ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी।
इन्होंने बांटे फर्जी लाइसेंस
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ था कि जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरत हुसैन 2012 से 2016 के बीच अलग-अलग समय पर जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में जिलाधिकारी के पद पर तैनात थे। इस दौरान कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां और पुलवामा के साथ जम्मू के उधमपुर, किश्तवाड़, डोडो और राजौरी में सबसे ज्यादा गन लाइसेंस जारी किए गए। सिर्फ जम्मू में 1,43,013 लाइसेंस जारी हुए। इनमें से 1,32,321 जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोगों को बांटे गए थे। सीबीआई केस के अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर में जारी किए गए 4,23,301 गन लाइसेंस में सिर्फ 10 प्रतिशत ही प्रदेश के लोगों को दिए गए।