जबलपुर में पुलिस कस्टडी में युवक को पीटने का आरोप: पाटन उपजेल में भी पीटा, हालत बिगड़ने पर बहन के सुपुर्द किया, एसएसपी-जेलर ने आरोपों को नकारा – Jabalpur News h3>
जबलपुर के बंशीपुर गांव में रहने वाले 48 वर्षीय युवक के साथ पुलिस कस्टडी में बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आया है। शहपुरा पुलिस द्वारा उसके साथ मारपीट करने और फिर उसी हालत में पाटन जेल भेजने का आरोप है।
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चार दिन बाद जेल से छूटने पर पीड़ित सुदर्शन सिंह शहपुरा के समाजसेवी के पास पहुंचा और अपने साथ हुई सारी घटना बताई। समाजसेवी ने शहपुरा थाना पुलिस पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि झूठा शराब का मामला दर्ज कर पुलिस ने थाने में बंद करके इसे जमकर पीटा। हालांकि इस आरोप को वरिष्ठ अधिकारी ने सिरे से खारिज कर दिया। बताया जा रहा है कि 9 अप्रैल को स्थानीय विधायक की पदयात्रा निकल रही थी, उस दौरान सुदर्शन सिंह ने महिलाओं के साथ छेड़खानी की थी, जिसके चलते उसे भीड़ ने मारा था।
पीठ-कमर-आंख में चोट
14 अप्रैल को पाटन जेल से बाहर आने के बाद सुदर्शन सिंह ने समाजसेवी जंग बहादुर से संपर्क किया। समाजसेवी ने आरोप लगाया कि सुदर्शन सिंह के घर पर पुलिस ने अवैध शराब के शक में छापा मारा। जब उन्हें वहां पर शराब नहीं मिली तो उसे जमकर पीटा, जिसके सबूत शरीर पर दिख रहे ये निशान हैं। जंग बहादुर का कहना है कि शहपुरा पुलिस ने थाने में मारपीट के बाद उसे तहसीलदार की कोर्ट में पेश किया। यहां उसके खिलाफ धारा 170, 171 के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया। उसे इतना मारा गया है कि हालत मुर्दे जैसी हो गई है। ना ही ढंग से चल पा रहा है। ना ही बैठ पा रहा है।
सुदर्शन को इंसाफ दो
समाजसेवी जंगबहादुर ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से इस घटना की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे गरीब लोग जो कि गांव में मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं उसके साथ पुलिस निर्ममता से मारपीट नहीं कर सकती है। जंगबहादुर का कहना है कि अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाओ, अच्छी बात है, पर इस कदर मारना गलत है। उनका कहना है कि पिटाई के बाद सुदर्शन के मुंह से आवाज नहीं निकल रही है, ना वह चल सकता है, और न ही कुछ काम कर पा रहा है।
अवैध शराब बेचने के कई मामले दर्ज हैं
जिस सुदर्शन सिंह को पीटने के शहपुरा पुलिस पर आरोप लगे हैं उसके खिलाफ अवैध शराब बेचने के कई मामले दर्ज हैं। बताया यह भी जा रहा है कि स्थानीय विधायक ने शराबबंदी के खिलाफ पूरे विधानसभा में पदयात्रा की थी। 9 तारीख को जब ये घटना हुई, उस दौरान विधायक की यात्रा शहपुरा में थी। सुदर्शन पर अवैध शराब बेचने के दर्जनों मामले दर्ज हैं।
एएसपी बोले-पुलिस ने नहीं मारा
एएसपी आनंद कलादगी का कहना है कि पुलिस पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने कहा कि सुदर्शन नाम के व्यक्ति के आरोपों की पूरी जांच करवाई गई है। जिसमें यह कहीं से भी साबित नहीं होता कि पुलिस ने उसे मारा है। एएसपी ने कहा कि थाना प्रभारी से भी इस विषय में बात की गई है। मारपीट के किसी भी तरह के साक्ष्य नहीं मिले हैं। अगर पीड़ित को कोई शिकायत दर्ज करवानी है, तो वह थाने में आवेदन दे सकता है। उसकी जांच करवा ली जाएगी।
ऐसी हालत में ही आया था जेल
पाटन उप जेल के जेलर हेमेंद्र बागरी ने भी जेल में मारपीट के आरोपों को नकार दिया है। जेलर का कहना है कि 9 अप्रैल को शहपुरा थाना पुलिस बीएनएस की धारा 170, 171 के तहत जेल लेकर आई थी। तहसीलदार ने उसका जेल वारंट बनाया था। सुदर्शन जब जेल आया था, उस दौरान पहले से ही उसके शरीर पर निशान थे। जिसका रजिस्टर में उल्लेख करने के बाद पुलिस और पीड़ित से साइन भी करवाए थे। सुदर्शन 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक जेल में था। 14 तारीख की सुबह जेल से तहसीलदार को जानकारी दी गई कि सुदर्शन की हालत बिगड़ रही है, उसे इलाज की जरूरत है। इसके बाद उसे जेल से रिहा करते हुए बहन के सुपुर्द कर दिया गया था।