जज कैश केस– कमेटी ने CJI को जांच रिपोर्ट सौंपी: जस्टिस वर्मा के घर 500-500 के जले नोटों के बंडल मिले थे h3>
नई दिल्ली4 घंटे पहले
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14 मार्च को दिल्ली HC जज के सरकारी बंगले में आग लगी थी। वहां दमकल कर्मियों को जले हुए 500 रुपए के नोटों से भरी बोरियां मिलीं थी।
कैश मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रेस रिलीज के जरिए इसकी जानकारी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 3 मई को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई। 4 मई को ये रिपोर्ट CJI को दी गई है। अब इस मामले में आगे का फैसला CJI लेंगे।
जांच कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।
जस्टिस वर्मा तब विवादों में घिर गए थे, जब उनके लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।
CJI खन्ना के आदेश पर 21 मार्च को मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी।24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफारिश की।
कोर्ट की सिफारिश और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आदेश के बाद 28 मार्च को केंद्र सरकार ने ट्रांसफर की अधिसूचना जारी की। जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 अप्रैल 2025 को शपथ ली।
हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए।
यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।
घर के बाहर ₹500 के नोट मिले थे
16 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले के बाहर भी सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों को 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। सफाईकर्मियों ने बताया कि 4-5 दिन पहले भी हमें ऐसे नोट मिले थे। ये नोट सफाई के दौरान सड़क पर पत्तों में पड़े हुए थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ट्रांसफर के विरोध में 23 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। बार ने जनरल हाउस मीटिंग बुलाई थी, जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था।
साथ ही मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव की कॉपी सुप्रीम कोर्ट CJI को भी भेजी गई थी। 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था।
एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने 27 मार्च को CJI संजीव खन्ना और कॉलेजियम के सदस्यों से मिलकर ट्रांसफर पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।
जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं।
28 मार्च- जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा की पेशी हुई 28 मार्च को जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा की पेशी हुई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनु शिवरामन मौजूद रहे थे। जस्टिस वर्मा से उनके घर में आग लगने और कैश के बारे में पूछताछ की गई थी।
इनहाउस जांच कमेटी के सामने फायर सर्विस चीफ की पेशी
दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग से 5 घंटे की पूछताछ के बाद सर्किट हाउस से बाहर निकलते जस्टिस नागू।
27 मार्च को दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग की भी सुप्रीम कोर्ट जांच पैनल के समक्ष पेश हुए थे। सूत्रों के मुताबिक अतुल गर्ग ने चाणक्यपुरी में हरियाणा स्टेट सर्किट हाउस में जांच पैनल के समक्ष गवाही दी और अपना बयान दर्ज कराया था। हालांकि, गर्ग ने अग्निशमन कर्मियों के नकदी बरामद किए जाने के दावों से इनकार किया था।
पुलिसकर्मियों के फोन फोरेंसिक लैब भेजे गए कैश मामले में दिल्ली पुलिस के 8 कर्मियों के मोबाइल फोन जब्त कर फोरेंसिक विभाग को भेजा गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक तुगलक रोड थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO), जांच अधिकारी हवलदार रूपचंद, सब-इंस्पेक्टर रजनीश, मोबाइल बाइक पेट्रोलिंग पर मौके पर पहुंचे दो कर्मियों और तीन PCR कर्मियों के मोबाइल की जांच की गई।
अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आग लगने के दौरान जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो क्या इनके मोबाइल फोन पर कोई वीडियो रिकॉर्ड किया गया था या नहीं। अगर वीडियो रिकॉर्ड किया था, तो क्या उसके साथ कोई छेड़छाड़ की गई। दिल्ली पुलिस ने इन सभी के बयान भी दर्ज किए हैं।
2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ा था
इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।
जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।
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