छह कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाब- तलब

10
छह कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाब- तलब

छह कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाब- तलब

ऐप पर पढ़ें

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विवि के दरभंगा जिले के पांच व मधुबनी के एक सहित कुल छह कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से जवाब तलब किया गया है। स्नातक प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2024-28) में नामांकन के दौरान एससी-एसटी छात्रों व सभी कोटि के छात्राओं से शुल्क लिये जाने की छात्र संगठनों की शिकायत के बाद प्रधानाचार्यों से इस मामले में जवाब देने को कहा गया है।
डीएसडब्ल्यू प्रो. विजय कुमार यादव ने दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज, सीएम कॉलेज, मिल्लत कॉलेज, एमआरएम कॉलेज व एमकेएस कॉलेज, चंदौना तथा मुधबनी के आरके कॉलेज के प्रधानाचार्य को पत्र जारी करते हुए 24 घंटों में स्पष्टीकरण देने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि एससी-एसटी के छात्रों एवं सभी कोटि की छात्राओं से नामांकन के समय शुल्क लेना राज्य सरकार, न्यायादेश एवं विश्वविद्यालय के निर्देशों का उल्लंघन है। उपरोक्त कोटि के छात्र-छात्राओं का बिना किसी प्रकार का शुल्क लिये नामांकन लेने तथा उपरोक्त कोटि में नामांकित छात्र-छात्राओं से नामांकन के रूप में लिए गए शुल्क को वापस करते हुए विवि को सूचित का निर्देश भी दिया गया है।

गौरतलब है कि नामांकन के समय शुल्क लेने के मामले में विवि के निर्देशों का कॉलेजों में अनुपालन नहीं हो रहा है। पीजी सत्र 2022-24 एवं 2023-25 में नामांकन के समय भी ऐसे मामले सामने आए थे। यूजी एवं पीजी नामांकन के लिए अब विवि में केंद्रीकृत व्यवस्था लागू है। आवेदन विवि स्तर पर लिये जाते हैं और कॉलेजों का आवंटन भी यहीं से होता है। नामांकन के समय कॉलेजों में अलग से नामांकन फॉर्म एवं प्रोस्पेक्टस के नाम पर भी छात्र-छात्राओं से अवैध वसूली के मामले सामने आते रहे हैं।

इस बार चयन सूची जारी करने के साथ ही कॉलेजों को निर्देश दिया गया था कि किसी भी छात्र-छात्रा से नामांकन फॉर्म या प्रास्पेक्टस के नाम पर शुल्क नहीं लिया जाए। छात्र संगठनों की ओर से शिकायत मिलने के बाद एससी-एसटी छात्रों व सभी कोटि की छात्राओं से नामांकन के समय किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिए जाने का निर्देश भी 26 जून को दिया गया। पिछले वर्ष भी 19 मई एवं तीन जुलाई को इस आशय का निर्देश कॉलेजों को भेजा गया था।

ंछात्र संगठन लगातार इस मामले को लेकर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन नामांकन के समय अवैध वसूली का सिलसिला लगातार जारी है। कॉलेज प्रबंधनों का कहना है कि नामांकन शुल्क कॉलेज की आंतरिक आय का प्रमुख स्रोत हुआ करता था। नामांकन के समय आवेदन शुल्क और नामांकन शुल्क से प्राप्त राशि कॉलेज के खाते में जाती थी, लेकिन केंद्रीकृत नामांकन व्यवस्था लागू होने के बाद आवेदन शुल्क से होने वाली आय बंद हो गई। मुफ्त शिक्षा लागू होने के बाद स्थिति और बिगड़ गई। खासकर महिला कॉलेजों के सामने अस्तित्व का संकट मंडराने लगा। मुफ्त शिक्षा लागू होने के बाद क्षतिपूर्ति राशि का ससमय भुगतान नहीं हुआ। ऐसे में कॉलेज आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

वर्ष 2016 से ही लागू है विवि में मुफ्त शिक्षा : राज्य सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति एवं छात्राओं को स्नातकोत्तर तक की मुफ्त शिक्षा की घोषणा कर चुकी है। इस सम्बंध में शिक्षा विभाग से 24 जुलाई 2015 को विभागीय संकल्प जारी है। इसके अनुसार राज्य के विश्वविद्यालयों तथा अंगीभूत व सम्बद्ध कॉलेजों में सामान्य पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति-जनजाति एवं महिला विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा में प्रत्येक स्तर पर नामांकन के समय किसी भी प्रकार के शुल्क नहीं लिए जाने का आदेश जारी है। यह व्यवस्था सत्र 2016-17 से लागू है। इसमें यह भी कहा गया है कि इससे होने वाले आर्थिक नुकसान की पूर्ति विश्वविद्यालय से सूचना प्राप्त कर क्षति होने वाले वर्ष के अगले वित्तीय वर्ष में की जाएगी।

छात्र संगठनों ने कुलपति से की शिकायत

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से कुलपति को ज्ञापन देकर कॉलेजों में चल रहे अवैध शुल्क वसूली की शिकायत की जिसके बाद कॉलेजों को चिन्हित करते हुए जवाब तलब किया गया है। जिला सह संयोजक रवि यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नवनीत रंजन, सीएम कॉलेज उपाध्यक्ष मनोहर मिश्रा आदि ने अविलंब अवैध शुल्क वसूली पर रोक लगाने की मांग की। प्रदेश सह मंत्री उत्सव पराशर ने कहा कि कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की है। विवि प्रशासन का यह कदम सराहनीय है। 25 मई को आइसा की ओर से भी स्नातक नामांकन में अवैध शुल्क वसूली की शिकायत की गई थी जिसके बाद कॉलेजों को निर्देश जारी किया गया था।

अब तक छह कॉलेजों के प्रधानाचार्यों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जवाब मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। कॉलेजों को एससी-एसटी छात्र व सभी कोटि की छात्राओं से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेने का निर्देश दिया गया है।

– प्रो. विजय कुमार यादव, डीएसडब्ल्यू

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News