चुनाव से 19 माह पहले ही भाजपा-कांग्रेस की पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान की 54 सीटों पर नजर | BJP-Congress’s eye on Dalit-tribal belt | Patrika News h3>
– 10 जिलों की 54 में से 29 सीटें आरक्षित, इसलिए दलित आदिवासी पर किया जा रहा विशेष फोकस
– गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 34, भाजपा 12 पर जीती, अन्य निर्दलीय, बीटीपी, आरएलडी के खाते में
जयपुर
Published: April 20, 2022 01:05:28 pm
सुनील सिंह सिसोदिया/ अरविन्द सिंह शक्तावत जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अभी करीब 19 माह हैं, लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान के 10 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर अभी से नजर गड़ा दी है। यहां 54 में से 29 सीटें एसटी-एससी के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में दोनों दलों के कार्यक्रम इन क्षेत्रों में दलित-आदिवासियों पर विशेष फोकस करते हुए ही बनाए जा रहे हैं।
चुनाव से 19 माह पहले ही भाजपा-कांग्रेस की पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान की 54 सीटों पर नजर
पूर्वी राजस्थान करौली दंगे और ईआरसीपी को लेकर पहले ही सुर्खियों में हैं। हाल ही पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के दौरे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी आ चुके हैं। अब राजस्थान के दक्षिण की ओर गुजरात से सटे जिलों के दौरे में मजबूती के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कार्यक्रम बनाया जा रहा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के चिंतन शिविर को भी उदयपुर में कराने को लेकर मंथन चल रहा है, जिससे कांग्रेस मेवाड़ और गुजरात से सटे जिलों में मजबूती का संदेश दे सके। हाल ही कांग्रेस ने आजादी की गौरव यात्रा के स्वागत को लेकर डूंगरपुर से रतनपुर बॉर्डर पर बड़ी सभा की थी।
इन क्षेत्रों के दस जिलों के गत विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखा जाए तो कांग्रेस के प्रत्याशी सभी जिलों में जीते, वहीं भाजपा भरतपुर, दौसा, करौली, प्रतापगढ़, सवाईमाधोपुर जिले में तो अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। भाजपा को उदयपुर में 6, अलवर-बांसवाडा में 2-2 और धौलपुर-डूंगरपुर में 1-1 सीट जरूर मिली।
— गत विधानसभा चुनाव में यह रही स्थिति- 34 सीटों पर कांग्रेस जीती – 12 सीटों पर भाजपा ने मारी बाजी – 5 सीटों पर निर्दलीयों ने किया कब्जा – 2 सीटें डूंगरपुर में बीटीपी के खाते में गई
– 1 सीट भरतपुर में आरएलडी ने जीती — भाजपा का चुनावी दाव भाजपा की ओर से प्रचारित किया जा रहा है कि दलित और आदिवासियों के लिए जितना काम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया, उतना किसी ने नहीं किया। वहीं राज्य की पिछली भाजपा सरकारों ने भी गरीब-दलित को अंग्रिम पंक्ति में रखकर काम किया।
— कांग्रेस का चुनावी दाव – कांग्रेस की ओर से प्रचारित किया जा रहा है कि एससी-एसटी और ट्राइबल क्षेत्र के विकास के लिए विधानसभा में अलग से बिल पास कराकर तय राशि विशेष रूप से इसी क्षेत्र में खर्च करने का प्रावधान कराया है। शिक्षा के विकास के लिए आवासीय विद्यालय खोले जा रहे हैं। विद्यालयों के नाम इनके लोक देवता के नाम पर रखे जा रहे हैं।
— दक्षिण के 4 जिलों में 19 सीट बांसवाडा – सभी 5 सीटें आरक्षित डूंगरपुर – सभी 4 सीटें आरक्षित प्रतापगढ़ – सभी 2 सीटें आरक्षित उदयपुर – 8 में से 5 सीटें आरक्षित
— पूर्व के 6 जिलों में 35 सीट अलवर – 11 में से 3 सीट आरक्षित भरतपुर – 7 में से 2 सीटें आरक्षित धौलपुर – 4 में से 1 सीट आरक्षित
करौली – 4 में से 3 सीट आरक्षित दौसा – 5 में से 2 सीट आरक्षित सवाई माधोपुर – 4 में से 2 सीट आरक्षित — भाजपा की गणित – जे.पी. नड्डा की पूर्वी राजस्थान में बैठक करवाई जा चुकी है
– केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की डूंगरपुर-बांसवाड़ा में सभी करवाने की योजना है – डूंगरपुर-बांसवाडा में रैली कर राजस्थान सीमा से सटे गुजरात के आदिवासी बेल्ट में भी मैसेज की कोशिश – डूंगरपुर-बांसवाडा में बीटीपी की ताकत को भी आंका जा रहा है, वह किसे ज्यादा नुकसान कर रही है
– करौली दंगों को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरा जा रहा है — कांग्रेस की गणित – आजादी की गौरव यात्रा के स्वागत को रतनपुर बॉर्डर पर बड़ी सभा की, मुख्यमंत्री, अध्यक्ष, प्रदेशप्रभारी मौजूद रहे
– पूर्वी राजस्थान के ईआरसीपी प्रोजेक्ट केंद्र की ओर से रोके जाने को प्रचारित किया जा रहा – ईआरसीपी को लेकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में धरने-प्रदर्शन किए – एआइसीसी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर आगामी 12 मई से उदयपुर में प्रस्तावित बताया जा रहा है
– जिलों में पार्टी की मजबूती को लेकर कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन किए जा रहे हैं — राजस्थान के साथ ही गुजरात पर भी फोकस दक्षिण में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी भाजपा-कांग्रेस का फोकस राजस्थान के साथ गुजरात पर भी है। राजस्थान बॉर्डर से गुजरात के साबरकांठा और बनासकांठा भी जुड़े हैं। गुजरात में करीब छह माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
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– 10 जिलों की 54 में से 29 सीटें आरक्षित, इसलिए दलित आदिवासी पर किया जा रहा विशेष फोकस
– गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 34, भाजपा 12 पर जीती, अन्य निर्दलीय, बीटीपी, आरएलडी के खाते में
जयपुर
Published: April 20, 2022 01:05:28 pm
सुनील सिंह सिसोदिया/ अरविन्द सिंह शक्तावत जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अभी करीब 19 माह हैं, लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान के 10 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर अभी से नजर गड़ा दी है। यहां 54 में से 29 सीटें एसटी-एससी के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में दोनों दलों के कार्यक्रम इन क्षेत्रों में दलित-आदिवासियों पर विशेष फोकस करते हुए ही बनाए जा रहे हैं।
चुनाव से 19 माह पहले ही भाजपा-कांग्रेस की पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान की 54 सीटों पर नजर
पूर्वी राजस्थान करौली दंगे और ईआरसीपी को लेकर पहले ही सुर्खियों में हैं। हाल ही पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के दौरे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी आ चुके हैं। अब राजस्थान के दक्षिण की ओर गुजरात से सटे जिलों के दौरे में मजबूती के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कार्यक्रम बनाया जा रहा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के चिंतन शिविर को भी उदयपुर में कराने को लेकर मंथन चल रहा है, जिससे कांग्रेस मेवाड़ और गुजरात से सटे जिलों में मजबूती का संदेश दे सके। हाल ही कांग्रेस ने आजादी की गौरव यात्रा के स्वागत को लेकर डूंगरपुर से रतनपुर बॉर्डर पर बड़ी सभा की थी।
इन क्षेत्रों के दस जिलों के गत विधानसभा चुनाव के परिणामों को देखा जाए तो कांग्रेस के प्रत्याशी सभी जिलों में जीते, वहीं भाजपा भरतपुर, दौसा, करौली, प्रतापगढ़, सवाईमाधोपुर जिले में तो अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। भाजपा को उदयपुर में 6, अलवर-बांसवाडा में 2-2 और धौलपुर-डूंगरपुर में 1-1 सीट जरूर मिली।
— गत विधानसभा चुनाव में यह रही स्थिति- 34 सीटों पर कांग्रेस जीती – 12 सीटों पर भाजपा ने मारी बाजी – 5 सीटों पर निर्दलीयों ने किया कब्जा – 2 सीटें डूंगरपुर में बीटीपी के खाते में गई
– 1 सीट भरतपुर में आरएलडी ने जीती — भाजपा का चुनावी दाव भाजपा की ओर से प्रचारित किया जा रहा है कि दलित और आदिवासियों के लिए जितना काम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया, उतना किसी ने नहीं किया। वहीं राज्य की पिछली भाजपा सरकारों ने भी गरीब-दलित को अंग्रिम पंक्ति में रखकर काम किया।
— कांग्रेस का चुनावी दाव – कांग्रेस की ओर से प्रचारित किया जा रहा है कि एससी-एसटी और ट्राइबल क्षेत्र के विकास के लिए विधानसभा में अलग से बिल पास कराकर तय राशि विशेष रूप से इसी क्षेत्र में खर्च करने का प्रावधान कराया है। शिक्षा के विकास के लिए आवासीय विद्यालय खोले जा रहे हैं। विद्यालयों के नाम इनके लोक देवता के नाम पर रखे जा रहे हैं।
— दक्षिण के 4 जिलों में 19 सीट बांसवाडा – सभी 5 सीटें आरक्षित डूंगरपुर – सभी 4 सीटें आरक्षित प्रतापगढ़ – सभी 2 सीटें आरक्षित उदयपुर – 8 में से 5 सीटें आरक्षित
— पूर्व के 6 जिलों में 35 सीट अलवर – 11 में से 3 सीट आरक्षित भरतपुर – 7 में से 2 सीटें आरक्षित धौलपुर – 4 में से 1 सीट आरक्षित
करौली – 4 में से 3 सीट आरक्षित दौसा – 5 में से 2 सीट आरक्षित सवाई माधोपुर – 4 में से 2 सीट आरक्षित — भाजपा की गणित – जे.पी. नड्डा की पूर्वी राजस्थान में बैठक करवाई जा चुकी है
– केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की डूंगरपुर-बांसवाड़ा में सभी करवाने की योजना है – डूंगरपुर-बांसवाडा में रैली कर राजस्थान सीमा से सटे गुजरात के आदिवासी बेल्ट में भी मैसेज की कोशिश – डूंगरपुर-बांसवाडा में बीटीपी की ताकत को भी आंका जा रहा है, वह किसे ज्यादा नुकसान कर रही है
– करौली दंगों को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरा जा रहा है — कांग्रेस की गणित – आजादी की गौरव यात्रा के स्वागत को रतनपुर बॉर्डर पर बड़ी सभा की, मुख्यमंत्री, अध्यक्ष, प्रदेशप्रभारी मौजूद रहे
– पूर्वी राजस्थान के ईआरसीपी प्रोजेक्ट केंद्र की ओर से रोके जाने को प्रचारित किया जा रहा – ईआरसीपी को लेकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में धरने-प्रदर्शन किए – एआइसीसी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर आगामी 12 मई से उदयपुर में प्रस्तावित बताया जा रहा है
– जिलों में पार्टी की मजबूती को लेकर कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन किए जा रहे हैं — राजस्थान के साथ ही गुजरात पर भी फोकस दक्षिण में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटी भाजपा-कांग्रेस का फोकस राजस्थान के साथ गुजरात पर भी है। राजस्थान बॉर्डर से गुजरात के साबरकांठा और बनासकांठा भी जुड़े हैं। गुजरात में करीब छह माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
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