चीन की चुनौती, नार्को आंतक भी मुद्दा | China’s challenge, narco terrorism also issue | News 4 Social
जयपुरPublished: Jan 02, 2023 09:46:04 pm
चीन की बात करें तो शी जिनपिंग की नई रणनीति पीपल्स लिबरेशन आर्मी के रणनीतिक उद्देश्यों को ही मजबूत करती है। चीन मुख्य रूप से ताइवान, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ सीमा विवाद पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। हिन्द महासागर को बहुध्रुवीयता और जटिल रणनीतिक माहौल की ओर ले जाया जा रहा है।
चीन की चुनौती, नार्को आतंक भी मुद्दा सुधाकरजी
रक्षा विशेषज्ञ, भारतीय सेना में मेजर जनरल रह चुके हैं
भारत आज 3.4 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है। अमरीका और चीन के बाद भारत जर्मनी ((जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर से कुछ अधिक) तथा जापान ( जीडीपी 5.04 ट्रिलियन डॉलर) को पीछे छोड़ते हुए 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने की राह पर है। रिसर्च एजेंसी मॉर्गन स्टेनली ने यह भविष्यवाणी की है। मॉर्गन स्टेनली का यह अनुमान भारत के 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था स्तर हासिल करने के लक्ष्य के साथ अच्छी तरह मेल खाता है। भारत का लक्ष्य आगामी दशकों में 10 ट्रिलियन डॉलर या उससे अधिक की अर्थव्यवस्था के विजन के साथ 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करना है।
75 वर्ष पहले 565 रियासतों के विलय के साथ स्वतंत्र भारत ने विविधतायुक्त, बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी आबादी के साथ अपनी कठिन यात्रा शुरू की थी। 1991 में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विदेशी सहायता लेता था, लेकिन अब भारत दानी देश है। 2021 में भारत ने एशियाई पड़ोसियों और अफ्रीका के लिए 30.6 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है। 1991 में विकासशील देशों के समूह जी-77 में शुमार भारत अब 2022 में दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। रणनीतिक संसाधनों को जुटाने एवं उपयोग करने की क्षमता ने पिछले तीन दशकों से अधिक समय में ड्रैगन को ज्यादा विस्तारवादी बना दिया है। दूसरी ओर, बड़ी ताकतें भविष्य को संबोधित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति कम प्रतिबद्ध होती जा रही हैं। प्रमुख देशों के बीच तेज प्रतिस्पर्धा, सैन्य व्यय में इजाफा, परमाणु, अंतरिक्ष, साइबर और मिसाइल रक्षा में सामरिक क्षमता के वास्ते जोर देने से वैश्विक सुरक्षा स्थिति पर तेजी से प्रभाव पड़ रहा है।
वर्ष 2023 में भारत की बड़ी सामरिक, रणनीतिक चुनौतियों की बात करें, तो कट्टरता पनपी है, जिसके खिलाफ एकजुट रहने की जरूरत है। इसके अलावा सुरक्षा प्रतिष्ठानों, सामरिक संपत्तियों, पावर ग्रिड, विमानन उद्योग, स्वास्थ्य सेवा उद्योग, अंतरिक्ष और अन्य पर साइबर हमले भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना सकते हैं। ऐसे में आक्रामक साइबर क्षमता के साथ एकीकृत संरचना को जल्द प्रभावी बनाने की जरूरत है। वर्ष 2020 में गलवान हिंसा के बाद, चीन को सबक सिखाने के लिए सभी आर्थिक जवाबी उपायों के बावजूद 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 125.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का आयात 97.5 बिलियन डॉलर का था। निकट भविष्य में चीन से मुकाबले के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक रणनीति के आधार पर रोडमैप बनाने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही नार्को आतंकवाद भी बड़ा मुद्दा है। दरअसल, भारत दो प्रमुख अवैध ड्रग्स उत्पादन क्षेत्रों, पूर्व में गोल्डन ट्रायंगल (दक्षिण पूर्व एशिया) और पश्चिम में गोल्डन क्रिसेंट यानी अफगानिस्तान-ईरान और पाकिस्तान से घिरा है। नशीले पदार्थ की तस्करी इन्हीं रास्तों से होती है। देश को ज्यादा सक्रियता से इस चुनौती से निपटने की जरूरत है। अफगान-पाक क्षेत्र ‘वैश्विक आतंकवाद ‘ की जड़ बना हुआ है। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी हमले 51 फीसदी बढ़े हैं। नई दिल्ली में हाल में भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में सामने आया कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल फिर से आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।
चीन की बात करें तो शी जिनपिंग की नई रणनीति पीपल्स लिबरेशन आर्मी के रणनीतिक उद्देश्यों को ही मजबूत करती है। चीन मुख्य रूप से ताइवान, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ सीमा विवाद पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। हिन्द महासागर को बहुध्रुवीयता और जटिल रणनीतिक माहौल की ओर ले जाया जा रहा है। चीन इस इलाके में तुलनात्मक रूप से ज्यादा सक्रिय है। वर्तमान में भारत और चीन का परमाणु सिद्धान्त ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ और ‘गैर परमाणु हथियारों वाले देशों पर परमाणु हमला नहीं’ की नीति पर आधारित है। चीन परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहा है। ऐसी हालत में परमाणु सिद्धांत की समीक्षा और संशोधन करना भारत के लिए विवेकपूर्ण हो सकता है। भारत विरोधी ताकतें लोकतंत्र की जननी को लक्षित कर रही हैं। अत: भारत को अपनी रणनीतिक चुनौतियों पर काफी सक्रियता से विचार करते हुए बढ़त बनानी होगी।