घोघरा के इस्तीफे के बाद कैसे पूरा होगा राहुल गांधी का ‘नवसंकल्प’, राजस्थान में कांग्रेस की कहीं पलट ना जाएं इससे रणनीति

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घोघरा के इस्तीफे के बाद कैसे पूरा होगा राहुल गांधी का ‘नवसंकल्प’, राजस्थान में कांग्रेस की कहीं पलट ना जाएं इससे रणनीति

घोघरा के इस्तीफे के बाद कैसे पूरा होगा राहुल गांधी का ‘नवसंकल्प’, राजस्थान में कांग्रेस की कहीं पलट ना जाएं इससे रणनीति

जयपुर: उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर(Congress Chintan Shivir) में हुए मंथन के बाद कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा युवाओं की पार्टी में भागीदारी बढ़ाने की बात की थी। नई रणनीति के तहत कहा गया है कि 50 से कम उम्र के लोगों को पार्टी में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके पीछे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की रणनीति बताई जा रही है, लेकिन चिंतन शिविर के संपन्न होने के बाद इस मामले में कांग्रेस ( Congress) को एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं। गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ( Hardik Patel) के पार्टी के इस्तीफा देने के बाद राजस्थान में भी सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) के खास कहे जाने वाले यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा (Ganesh Ghoghra Resign) भी पार्टी से अब नाराज दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में युवाओं को आगे बढ़ाने की रणनीति फेल होती दिखाई दे रही है।


यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष क्यों हो गए नाराज
बता दें यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्य़क्ष गणेश घोघरा ने बीते दिन बुधवार को नाराज होकर डूंगरपुर विधायक पद का इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेज दिया । घोघरा की नाराजगी उन पर की गई एफआईआर को लेकर है। दरअसल घोघरा पर आरोप है कि उन्होंने 17 मई को डूंगरपुर में उपखंड अधिकारी सहित 22 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम पंचायत में बंद कर ताला लगवा दिया। इसके बाद खुद भी पंचायत भवन के बाहर धरने पर बैठ गए। इसके बाद एसडीएम समेत कई अधिकारियों को बंधक बनाने के आरोप के बाद उनपर मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

विधायक रामलाल मीणा भी आए घोघरा के समर्थन में
इस पूरे मामले में कांग्रेस के ही विधायक रामलाल मीणा भी घोघरा के समर्थन में उतर गए हैं। मीणा ने सोशल मीडिया पर कहा है कि किसी के इशारे पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ मामला दर्ज करना गलत है। मीणा ने इशारों में विवाद की वजह का जिक्र करते हुए लिखा कि हम गहलोत के स्वामीभक्त हो सकते हैं, पर किसी थर्ड पार्टी के गुलाम नहीं । राजनीति के जानकारों का कहना है कि मीणा के बयान से साफ है कि घोघरा के विवाद की वजह गहलोत के दूसरे नजदीकी नेता है।

राजस्थान- गुजरात की राजनीति पर पड़ेगा असर
राजनीति के जानकारों का कहना है कि हार्दिक पटेल और गणेश घोघरा के नाराज होने से आदिवासी और पाटीदार समाज के वोटों पर असर पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि एक ओर जहां राहुल गांधी को बेणेश्वर धाम ले जाकर कांग्रेस पार्टी आदिवासी समाज को साधने की कोशिश में जुटी है। वहीं घोघरा की नाराजगी लंबे समय तक रहना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसकी वजह है कि एक ओर जहां यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते घोघरा की पकड़ युवा नेताओं के बीच है। वहीं ट्राइबल समाज से आने वाले घोघरा पूरे टीएसपी बेल्ट में अपना वर्चस्व रखते हैं। बता दें कि राजस्थान का यह टीएसपी बेल्ट गुजरात तक जाता है।

बीजेपी उठा सकती है फायदा
जानकारों का कहना है कि बीजेपी पिछले 27 सालों से गुजरात में सत्ता में है, लेकिन आदिवासी बेल्ट में कांग्रेस को सफलता मिलती रही है। इस समीकरण को कांग्रेस भी भलीभांति जानती है, लिहाजा कांग्रेस का फोकस इन दिनों दोनों ही राज्यों (गुजरात- राजस्थान) के इस एरिया में दिखाई दे रहा था, लेकिन हार्दिक पटेल और गणेश घोघरा की नाराजगी से यहां कांग्रेस की रणनीति कमजोर पड़ती दिखाई दे रही , जिसका फायदा बीजेपी उठा सकती है।

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