गोदामों का होगा अधिग्रहण, तीन दिन का अल्टीमेटम | Warehouses will be acquired, three days ultimatum | Patrika News h3>
जिले में धान के भंडारण की समस्या अभी समाप्त नहीं हुई है। 390 में से ज्यादातर वेयरहाउस संचालकों ने अभी तक कारपोरेशन को ऑफर नहीं दिए हैं। वेयरहाउस के संचालक भंडारण शुल्क आधे से कम करने पर खफा हैं। इसलिए ज्यादातर ने गोदाम देने से मना कर दिया है। जबलपुर में इस माह की 28 तारीख से धान खरीदी शुरू होनी है। इस बार भी पांच लाख मीट्रिक टन धान खरीदे जाने का अनुमान है। लेकिन इसके भंडारण के लिए जगह नहीं है। इसलिए प्रशासन परेशान है।
अभी वेयरहाउसिंग कारपोरेश के पास साढे़ तीन लाख मीट्रिक टन की क्षमता तो बन गई है लेकिन बाकी के लिए कवायद करनी पड़ रही है। दूसरी तरफ गोदाम संचालक इस बात का दावा कर रहे हैं कि किसी भी वेयरहाउस संचालक ने कारपोरेशन के साथ 40 से 45 रुपए मीट्रिक टन प्रतिमाह के भंडारण शुल्क पर अनुबंध नहीं किया है। कारपोरेशन ने गुरुवार को अल्टीमेटम देकर संचालको को चेताया कि वे अनुबंध नहीं करते तो वेयरहाउस अधिग्रहीत कर दिया जाएगा।
आक्रोशित हुए वेयरहाउस मालिक
इस आदेश से वेयर हाउस संचालकों में आक्रोश बढ़ गया है। उनका कहना है कि वेयर हाउस का संचालन इस राशि से करना मुश्किल हो जाएगा। अभी उन्हें 80 रुपए मीट्रिक टन से ज्यादा का भुगतान होता था लेकिन अब वह आधा हो गया है। वेयरहाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील शर्मा का कहना है कि शासन उनके ऊपर गोदाम लेने का दबाव बना रहा है। कई वेयर हाउस संचालक ऐसे हैं जिन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर भवन बनाया है। इस राशि से किस्त चुकाना मुश्किल होगा।
केंद्र सरकार करती है 24 रुपए का भुगतान
इधर शासन से जारी पत्र में कहा गया है कि धान के भंडारण के लिए केंद्र सरकार मात्र 24 रुपए प्रति मीट्रिक टन प्रतिमाह का भण्डारण शुल्क भुगतान करती है। ऐसे में बाकी राशि शासन को देनी पड़ती है। इसी प्रकार धान स्कंध में सूखत के कारण गोदाम संचालक धान के भंडारण में कम रुचि ली जाती है। इसलिए शासन ने नवीन संयुक्त भागीदारी योजना लागू की है। नीति में गोदाम संचालकों का उत्तरदायित्व केवल उपयुक्त गोदाम उपलब्ध करने तक सीमित है। भंडारित स्कंध की सुरक्षा और संरक्षण के साथ-साथ सूखत से संभावित हानि का उत्तरदायित्व कारपोरेशन का होगा। किराए पर गोदाम उपलब्ध कराने के बदले गोदाम संचालक को 40 से 45 रुपए प्रतिमाह किराया भुगतान किया जाएगा। योजना में ऑफर्ड नहीं करने और धान भंडारण के लिए गोदामों की जरुरत को ध्यान में रखकर इसका अधिग्रहण किया जाएगा। ऐसे गोदामों का किराया 25 रुपए मीट्रिक टन प्रतिमाह दिया जाएगा।
नवीन संयुक्त भागीदारी योजना के तहत ऑफर्ड के लिए तीन दिनों का समय गोदाम संचालकों को दिया गया है। यदि इस अवधि में गोदाम उपलब्ध नहीं कराया जाता तो उनका अधिग्रहण किया जाएगा। इसी प्रकार शासन के पत्र पर कलेक्टर के आदेश पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
एसआर निमोड़ा, जिला प्रबंधक मप्र वेयरहाउसिंग कारपोरेशन
जिले में धान के भंडारण की समस्या अभी समाप्त नहीं हुई है। 390 में से ज्यादातर वेयरहाउस संचालकों ने अभी तक कारपोरेशन को ऑफर नहीं दिए हैं। वेयरहाउस के संचालक भंडारण शुल्क आधे से कम करने पर खफा हैं। इसलिए ज्यादातर ने गोदाम देने से मना कर दिया है। जबलपुर में इस माह की 28 तारीख से धान खरीदी शुरू होनी है। इस बार भी पांच लाख मीट्रिक टन धान खरीदे जाने का अनुमान है। लेकिन इसके भंडारण के लिए जगह नहीं है। इसलिए प्रशासन परेशान है।
अभी वेयरहाउसिंग कारपोरेश के पास साढे़ तीन लाख मीट्रिक टन की क्षमता तो बन गई है लेकिन बाकी के लिए कवायद करनी पड़ रही है। दूसरी तरफ गोदाम संचालक इस बात का दावा कर रहे हैं कि किसी भी वेयरहाउस संचालक ने कारपोरेशन के साथ 40 से 45 रुपए मीट्रिक टन प्रतिमाह के भंडारण शुल्क पर अनुबंध नहीं किया है। कारपोरेशन ने गुरुवार को अल्टीमेटम देकर संचालको को चेताया कि वे अनुबंध नहीं करते तो वेयरहाउस अधिग्रहीत कर दिया जाएगा।
आक्रोशित हुए वेयरहाउस मालिक
इस आदेश से वेयर हाउस संचालकों में आक्रोश बढ़ गया है। उनका कहना है कि वेयर हाउस का संचालन इस राशि से करना मुश्किल हो जाएगा। अभी उन्हें 80 रुपए मीट्रिक टन से ज्यादा का भुगतान होता था लेकिन अब वह आधा हो गया है। वेयरहाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील शर्मा का कहना है कि शासन उनके ऊपर गोदाम लेने का दबाव बना रहा है। कई वेयर हाउस संचालक ऐसे हैं जिन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर भवन बनाया है। इस राशि से किस्त चुकाना मुश्किल होगा।
केंद्र सरकार करती है 24 रुपए का भुगतान
इधर शासन से जारी पत्र में कहा गया है कि धान के भंडारण के लिए केंद्र सरकार मात्र 24 रुपए प्रति मीट्रिक टन प्रतिमाह का भण्डारण शुल्क भुगतान करती है। ऐसे में बाकी राशि शासन को देनी पड़ती है। इसी प्रकार धान स्कंध में सूखत के कारण गोदाम संचालक धान के भंडारण में कम रुचि ली जाती है। इसलिए शासन ने नवीन संयुक्त भागीदारी योजना लागू की है। नीति में गोदाम संचालकों का उत्तरदायित्व केवल उपयुक्त गोदाम उपलब्ध करने तक सीमित है। भंडारित स्कंध की सुरक्षा और संरक्षण के साथ-साथ सूखत से संभावित हानि का उत्तरदायित्व कारपोरेशन का होगा। किराए पर गोदाम उपलब्ध कराने के बदले गोदाम संचालक को 40 से 45 रुपए प्रतिमाह किराया भुगतान किया जाएगा। योजना में ऑफर्ड नहीं करने और धान भंडारण के लिए गोदामों की जरुरत को ध्यान में रखकर इसका अधिग्रहण किया जाएगा। ऐसे गोदामों का किराया 25 रुपए मीट्रिक टन प्रतिमाह दिया जाएगा।
नवीन संयुक्त भागीदारी योजना के तहत ऑफर्ड के लिए तीन दिनों का समय गोदाम संचालकों को दिया गया है। यदि इस अवधि में गोदाम उपलब्ध नहीं कराया जाता तो उनका अधिग्रहण किया जाएगा। इसी प्रकार शासन के पत्र पर कलेक्टर के आदेश पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
एसआर निमोड़ा, जिला प्रबंधक मप्र वेयरहाउसिंग कारपोरेशन