गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले पर भव्य कार्यक्रम, 11 मुख्यमंत्रियों की जुटान और पीएम का देश के नाम संबोधन…जानें सियासी मायने h3>
नई दिल्ली: दो महीने पहले हुए पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Elections 2022) से पहले और चुनाव के बाद भी केंद्र सरकार सिखों को लुभाने का कोई मौका हाथ से नहीं गंवा रही। कभी अफगानिस्तान से आए सिखों से पीएम की मुलाकात तो कभी समुदाय के नेताओं संग चर्चा, कभी अफगानिस्तान में तालिबानी राज के बाद काबुल से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को गाजा-बाजा के साथ भारत लाने की बात हो या फिर साहिबजादों के बलिदान को ‘बाल वीर दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान। पंजाब चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद भी केंद्र की सिख समुदाय को लुभाने की कोशिश जारी है।
सिख गुरु तेग बहादुर सिंह के 400वें प्रकाश पर्व (400th Prakash Parv) पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने जा रहे हैं। इसके जरिए पीएम मोदी (PM Modi Address To Sikh Community) सिख समुदाय को साधने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पंजाब में समुदाय के भीतर बीजेपी के लिए जमीन तैयार हो सके।
प्रकाश पर्व पर लाल किले से संबोधित करने वाले पहले पीएम होंगे मोदी
गुरु तेगबहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले से देश को संबोधित करने जा रहे पीएम मोदी ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं। इससे पहल 2018 में पीएम मोदी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराया था। वह कार्यक्रम दिन में था जबकि आज का कार्यक्रम सूर्यास्त के बाद का है। इस मौके पर देश को संबोधित करने के अलावा पीएम मोदी एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे।
गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के लिए ऐतिहासिक लाल किला सजा हुआ है। कार्यक्रम में 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और देशभर के तमाम सिख नेता हिस्सा ले रहे हैं। 400 सिख जत्थेदारों के परिवारों को भी न्योता दिया गया है। खास बात यह है कि चांदनी चौक स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Sheeshaganj Saahib) लाल किले के ही पास है। ये गुरुद्वारा उसी जगह बना है जहां मुगलों ने गुरु तेगबहादुर का सिर काटा था।
गुरुनानक जयंती पर ही वापस हुए थे कृषि कानून
पंजाब चुनाव से चंद महीने पहले गुरुनानक जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने 3 विवादित कृषि कानूनों (Farm laws Repeal) को वापस लेने का ऐलान किया था। तकरीबन उसी समय करतारपुर कॉरिडोर को भी दोबारा खोला गया जो कोरोना महामारी की वजह से बंद था। 2019 में ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ था। इसके जरिए सिख श्रद्धालु बिना वीजा के पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब का दर्शन कर सकते हैं। ये जगह सिख समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरुनानक देव ने अपनी जिंदगी के आखिरी कई साल वहीं पर गुजारे थे।
बीजेपी को उम्मीद थी कि इन कदमों से पंजाब में वह मजबूत होगी। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 73 सीटों पर लड़ी थी और महज 2 सीट जीत पाई। अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद चुनाव सूबे में बीजेपी के लिए बड़ा इम्तिहान भी था। पूर्व सीएम और कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिलने के बाद भी बीजेपी राज्य में अपनी छाप नहीं छोड़ पाई।
पंजाब चुनाव में करारी हार के बाद भी बीजेपी लगातार सिख समुदाय को रिझाने की कोशिश में लगी है। चुनाव नतीजों के बाद पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक आवास पर तमाम सिख बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी। बाद में सिख बुद्धिजीवियों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिख समुदाय की बेहतरी के लिए वास्तव में गंभीर हैं। पंजाब में हर पार्टी सिखों को लुभाने की कोशिश में है। भगवंत मान ने तो भगत सिंह के पैतृक गांव में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके जरिए आम आदमी पार्टी ने खुद को ‘असली’ देशभक्त जताने और सिख समुदाय को ही रिझाने की कोशिश की थी।
प्रकाश पर्व पर लाल किले से संबोधित करने वाले पहले पीएम होंगे मोदी
गुरु तेगबहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले से देश को संबोधित करने जा रहे पीएम मोदी ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही प्रधानमंत्री लाल किले से देश को संबोधित करते हैं। इससे पहल 2018 में पीएम मोदी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज तिरंगा फहराया था। वह कार्यक्रम दिन में था जबकि आज का कार्यक्रम सूर्यास्त के बाद का है। इस मौके पर देश को संबोधित करने के अलावा पीएम मोदी एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे।
गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के लिए ऐतिहासिक लाल किला सजा हुआ है। कार्यक्रम में 11 राज्यों के मुख्यमंत्री और देशभर के तमाम सिख नेता हिस्सा ले रहे हैं। 400 सिख जत्थेदारों के परिवारों को भी न्योता दिया गया है। खास बात यह है कि चांदनी चौक स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब (Sheeshaganj Saahib) लाल किले के ही पास है। ये गुरुद्वारा उसी जगह बना है जहां मुगलों ने गुरु तेगबहादुर का सिर काटा था।
गुरुनानक जयंती पर ही वापस हुए थे कृषि कानून
पंजाब चुनाव से चंद महीने पहले गुरुनानक जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने 3 विवादित कृषि कानूनों (Farm laws Repeal) को वापस लेने का ऐलान किया था। तकरीबन उसी समय करतारपुर कॉरिडोर को भी दोबारा खोला गया जो कोरोना महामारी की वजह से बंद था। 2019 में ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ था। इसके जरिए सिख श्रद्धालु बिना वीजा के पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब का दर्शन कर सकते हैं। ये जगह सिख समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरुनानक देव ने अपनी जिंदगी के आखिरी कई साल वहीं पर गुजारे थे।
बीजेपी को उम्मीद थी कि इन कदमों से पंजाब में वह मजबूत होगी। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 73 सीटों पर लड़ी थी और महज 2 सीट जीत पाई। अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद चुनाव सूबे में बीजेपी के लिए बड़ा इम्तिहान भी था। पूर्व सीएम और कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिलने के बाद भी बीजेपी राज्य में अपनी छाप नहीं छोड़ पाई।
पंजाब चुनाव में करारी हार के बाद भी बीजेपी लगातार सिख समुदाय को रिझाने की कोशिश में लगी है। चुनाव नतीजों के बाद पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक आवास पर तमाम सिख बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी। बाद में सिख बुद्धिजीवियों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिख समुदाय की बेहतरी के लिए वास्तव में गंभीर हैं। पंजाब में हर पार्टी सिखों को लुभाने की कोशिश में है। भगवंत मान ने तो भगत सिंह के पैतृक गांव में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके जरिए आम आदमी पार्टी ने खुद को ‘असली’ देशभक्त जताने और सिख समुदाय को ही रिझाने की कोशिश की थी।