गुड सेमेरिटन को तलाशने में दिलचस्पी नहीं ले रही पुलिस h3>
सीतामढ़ी। सड़क दुर्घटना में जख्मी की मदद के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा चलायी रही योजना जिले में फ्लॉप साबित हो रही है। कारण जिले की पुलिस को नेक दिल इंसान नही मिल रहा तो पुलिस नेक दिल इंसान को तलाशने में दिलचस्पी भी नही ले रही है। प्रत्येक वर्ष एक दो थानों को ही नेक दिल इंसान मिला। इस वर्ष भी 15 अगस्त को आयोजित समारोह में दो लोगों को गुड सेमेरिटन पुरस्कार से सम्मानित किया। जबकि, सम्मानित किए दो लोगों में एक ही इंसान को चार बार सम्मानित किया गया। ऐसा नही हैं कि जिले में नेक दिल इंसान नही हैं। जिले में हुए हादसों पर गौर करें तो अधिकतर हादसों में जख्मी लोगों को गोल्डेन ऑवर में आम नागरिकों ने ही अस्पताल पहुंचाकर जान बचाते दिखते हैं। बावजूद पुलिस को नेक दिल इंसान नही मिला रहे हैं। इसका खामियाजा है कि सड़क हादसों के बाद लोग मदद करने की बजाए जानकारी के अभाव में मुंह मोड़ कर चले जाते है कि कहीं केस मुकदमा में नहीं फंस जाए। जबकि, सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के मामलों में कमी लाने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ‘गुड सेमेरिटन नामक योजना चला रही है। इसके तहत सड़क दुर्घटना में पीड़ित को दुर्घटना के ‘महत्वपूर्ण घंटों के भीतर अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचाने का प्रयास करने वालों को 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान दिया जाता है।
दो से ज्यादा नही बढ़ रहा गुड सेमेरिटन की संख्या:
सरकार द्वारा यह योजना 2020 में ही शुरू की गई। वर्ष 2023 में 193 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई। जबकि 153 लोग घायल हुए। वहीं जून 2024 तक 100 लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके 15 अगस्त को मुख्य समारोह स्थल पर मात्र दो लोगों को ही गुड सेमेरिटन का पुरस्कार दिया गया। ऐसा नहीं की घटना के बाद लोग जख्मी को अस्पताल नही पहुंचाते। लोगो में जागरूकता का आभाव है, लोग केस में नाम फसने के डर से जख्मी को छूते तक नहीं। नतीजतन कई जाने चली जाती है।
पुलिस व परिवहन विभाग कर रही सिर्फ कोरम पूरा:
पुलिस प्रशासन या परिवहन विभाग भी सिर्फ कोरम पूरा करता है। अगर लोगों को इस योजना की जानकारी दी जाए तो शायद कई लोगों की जान बच सकेगी। अब परिवहन आयुक्त ने सभी डीएम को प्रति माह गुड स्मार्टिएन को चिन्हित करने का निर्देश भी दिया है। इस योजना का मकसद आपातकालीन स्थिति में सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिए आम जनता को प्रेरित करना है। नकद पुरस्कार के साथ एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। इस पुरस्कार के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर 10 सबसे नेक मददगारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देने की योजना है।
सड़क हादसे में जो लोग मददगार बने है, उन्हें चिह्नित कर पुरस्कृत किया गया है। सभी थानों को सड़क हादसे में लोगों के मददगार बने नेक दिल इंसान को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। ताकि, नेक दिल इंसान की संख्या बढ़े और हादसों में मृत्यु दर में कमी आए।
– मनोज कुमार तिवारी, एसपी।
लोगों में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाया जायेगा। नेक दिल इंसान की पहचान कर पुलिस को रिपोर्ट करनी है। इसके आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। हालांकि, नेक दिल इंसान के चयन करने में पुलिस तत्परता नही दिखा रही है।
– स्वप्निल, डीटीओ।
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सीतामढ़ी। सड़क दुर्घटना में जख्मी की मदद के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा चलायी रही योजना जिले में फ्लॉप साबित हो रही है। कारण जिले की पुलिस को नेक दिल इंसान नही मिल रहा तो पुलिस नेक दिल इंसान को तलाशने में दिलचस्पी भी नही ले रही है। प्रत्येक वर्ष एक दो थानों को ही नेक दिल इंसान मिला। इस वर्ष भी 15 अगस्त को आयोजित समारोह में दो लोगों को गुड सेमेरिटन पुरस्कार से सम्मानित किया। जबकि, सम्मानित किए दो लोगों में एक ही इंसान को चार बार सम्मानित किया गया। ऐसा नही हैं कि जिले में नेक दिल इंसान नही हैं। जिले में हुए हादसों पर गौर करें तो अधिकतर हादसों में जख्मी लोगों को गोल्डेन ऑवर में आम नागरिकों ने ही अस्पताल पहुंचाकर जान बचाते दिखते हैं। बावजूद पुलिस को नेक दिल इंसान नही मिला रहे हैं। इसका खामियाजा है कि सड़क हादसों के बाद लोग मदद करने की बजाए जानकारी के अभाव में मुंह मोड़ कर चले जाते है कि कहीं केस मुकदमा में नहीं फंस जाए। जबकि, सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के मामलों में कमी लाने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ‘गुड सेमेरिटन नामक योजना चला रही है। इसके तहत सड़क दुर्घटना में पीड़ित को दुर्घटना के ‘महत्वपूर्ण घंटों के भीतर अस्पताल पहुंचा कर उसकी जान बचाने का प्रयास करने वालों को 10 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान दिया जाता है।
दो से ज्यादा नही बढ़ रहा गुड सेमेरिटन की संख्या:
सरकार द्वारा यह योजना 2020 में ही शुरू की गई। वर्ष 2023 में 193 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई। जबकि 153 लोग घायल हुए। वहीं जून 2024 तक 100 लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके 15 अगस्त को मुख्य समारोह स्थल पर मात्र दो लोगों को ही गुड सेमेरिटन का पुरस्कार दिया गया। ऐसा नहीं की घटना के बाद लोग जख्मी को अस्पताल नही पहुंचाते। लोगो में जागरूकता का आभाव है, लोग केस में नाम फसने के डर से जख्मी को छूते तक नहीं। नतीजतन कई जाने चली जाती है।
पुलिस व परिवहन विभाग कर रही सिर्फ कोरम पूरा:
पुलिस प्रशासन या परिवहन विभाग भी सिर्फ कोरम पूरा करता है। अगर लोगों को इस योजना की जानकारी दी जाए तो शायद कई लोगों की जान बच सकेगी। अब परिवहन आयुक्त ने सभी डीएम को प्रति माह गुड स्मार्टिएन को चिन्हित करने का निर्देश भी दिया है। इस योजना का मकसद आपातकालीन स्थिति में सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिए आम जनता को प्रेरित करना है। नकद पुरस्कार के साथ एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। इस पुरस्कार के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर 10 सबसे नेक मददगारों को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार देने की योजना है।
सड़क हादसे में जो लोग मददगार बने है, उन्हें चिह्नित कर पुरस्कृत किया गया है। सभी थानों को सड़क हादसे में लोगों के मददगार बने नेक दिल इंसान को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। ताकि, नेक दिल इंसान की संख्या बढ़े और हादसों में मृत्यु दर में कमी आए।
– मनोज कुमार तिवारी, एसपी।
लोगों में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाया जायेगा। नेक दिल इंसान की पहचान कर पुलिस को रिपोर्ट करनी है। इसके आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। हालांकि, नेक दिल इंसान के चयन करने में पुलिस तत्परता नही दिखा रही है।
– स्वप्निल, डीटीओ।