गुजरात के गधे: 5 साल पहले क्या कहा था अखिलेश यादव ने जिसकी पीएम मोदी ने दिलाई याद; भारी पड़ा था मजाक h3>
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी को लेकर भी जवाब दिया। पीएम मोदी ने अखिले-जयंत को लेकर पूछे गए सवाल को लेकर कहा कि दो लड़कों का खेल पहले भी देखा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी की ओर इशारा करते हुए पीएम ने कहा कि इतना अहंकार था कि उन्होंने गुजरात के दो गधों का शब्द प्रयोग किया था। लेकिन उन्हें यूपी ने सबक सिखाया। आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी है क्या।
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने ‘गुजरात के गधों’ को लेकर एक चुनावी रैली में तंज कसा था, जिसे पीएम मोदी पर निशाना समझा गया था। पीएम मोदी ने इसके बाद हुई रैलियों में अखिलेश को जवाब देते हुए कहा था कि वह गधों से प्रेरणा लेकर मेहनत करते हैं। पीएम ने यह भी कहा था कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल भी गुजरात के ही रहने वाले थे। इस चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन 54 सीटों पर सिमट गया था तो बीजेपी पहली बार यूपी में 300 के पार चली गई।
आखिर क्या कहा था अखिलेश यादव ने?
हमारे साथियों ने टीवी देखा होगा कि एक गधे का विज्ञापन आता है। बताओ किसान भाइयों एक गधे का विज्ञापन आता है। हम तो सदी के महानायक (अमिताभ बच्चन) से कहेंगे कि अब आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। अब चुनाव इलाहाबाद में है, हम तो पत्रकार साथियों से कहेंगे कि विज्ञापन आपके चैनल पर भी चला होगा, हम तो सदी के सबसे बड़े महानायक से निवेदन करेंगे कि आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। जिन्होंने ऐड देखा होगा जानते होंगे, बताओ कहीं गधों का भी प्रचार होता है क्या। गधों का प्रचार होने लगा तो कैसे काम चलेगा। गुजरात के लोग तो गुजरात के गधों का भी प्रचार करा रहे हैं और हम पर आरोप लगा रहे हैं कि हमने केवल कब्रिस्तान के लिए काम किया है।
जवाब में क्या कहा था मोदी ने?
पीएम मोदी ने इसके बाद इसे मुद्दा बना लिया था। वह सभी रैलियों में इसका जिक्र करने लगे और माना जाता है कि सपा को अखिलेश के तंज का नुकसान उठाना पड़ा। पीएम ने कहा था, ”अखिलेश जी को पता नहीं है, गधा भी हमें प्रेरणा देता है। अगर दिल दिमाग साफ हो तो प्रेरणा ले भी सकते हैं। गधा अपने मालिक का वफादार होता है। गधा जिनता मालिक काम ले उतना काम करता है। गधा कम से कम खर्च वाला होता है। गधा कितना ही बीमार हो, खाली पेट हो, कितना ही थका हुआ हो, लेकिन मालिक अगर उससे काम लेता है तो सहन करते हुए भी मालिक का काम पूरा करता है। अखिलेश जी यह सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं। वो मुझसे जितना काम लेते हैं मैं करता हूं, बिना छुट्टी लिए करता हूं, थक जाता हूं तो भी करता हूं। कभी भूखा रहा तो भी करता हूं क्योंकि गधे से प्रेरणा लेता हूं और बड़े गर्व से लेता हूं ताकि इन सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए गधे से भी ज्यादा मजदूरी करके उनके काम आऊं इस गौरव से काम करता हूं।”
कहां से हुई थी शुरुआत?
इस विवाद की जड़ में था गुजरात टूरिज्म का एक विज्ञापन जिसमें अमिताभ बच्चन कच्छ के छोटा रण में रहने वाले जंगली गधों के बारे में बताते हैं। वह इन गधों की तारीफ करते हुए पर्यटकों को गुजरात आने को कहते हैं। अखिलेश यादव ने इसी प्रचार को लेकर तंज कसा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जोड़ी को लेकर भी जवाब दिया। पीएम मोदी ने अखिले-जयंत को लेकर पूछे गए सवाल को लेकर कहा कि दो लड़कों का खेल पहले भी देखा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी की ओर इशारा करते हुए पीएम ने कहा कि इतना अहंकार था कि उन्होंने गुजरात के दो गधों का शब्द प्रयोग किया था। लेकिन उन्हें यूपी ने सबक सिखाया। आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी है क्या।
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने ‘गुजरात के गधों’ को लेकर एक चुनावी रैली में तंज कसा था, जिसे पीएम मोदी पर निशाना समझा गया था। पीएम मोदी ने इसके बाद हुई रैलियों में अखिलेश को जवाब देते हुए कहा था कि वह गधों से प्रेरणा लेकर मेहनत करते हैं। पीएम ने यह भी कहा था कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल भी गुजरात के ही रहने वाले थे। इस चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन 54 सीटों पर सिमट गया था तो बीजेपी पहली बार यूपी में 300 के पार चली गई।
आखिर क्या कहा था अखिलेश यादव ने?
हमारे साथियों ने टीवी देखा होगा कि एक गधे का विज्ञापन आता है। बताओ किसान भाइयों एक गधे का विज्ञापन आता है। हम तो सदी के महानायक (अमिताभ बच्चन) से कहेंगे कि अब आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। अब चुनाव इलाहाबाद में है, हम तो पत्रकार साथियों से कहेंगे कि विज्ञापन आपके चैनल पर भी चला होगा, हम तो सदी के सबसे बड़े महानायक से निवेदन करेंगे कि आप गुजरात के गधों का प्रचार मत करिए। जिन्होंने ऐड देखा होगा जानते होंगे, बताओ कहीं गधों का भी प्रचार होता है क्या। गधों का प्रचार होने लगा तो कैसे काम चलेगा। गुजरात के लोग तो गुजरात के गधों का भी प्रचार करा रहे हैं और हम पर आरोप लगा रहे हैं कि हमने केवल कब्रिस्तान के लिए काम किया है।
जवाब में क्या कहा था मोदी ने?
पीएम मोदी ने इसके बाद इसे मुद्दा बना लिया था। वह सभी रैलियों में इसका जिक्र करने लगे और माना जाता है कि सपा को अखिलेश के तंज का नुकसान उठाना पड़ा। पीएम ने कहा था, ”अखिलेश जी को पता नहीं है, गधा भी हमें प्रेरणा देता है। अगर दिल दिमाग साफ हो तो प्रेरणा ले भी सकते हैं। गधा अपने मालिक का वफादार होता है। गधा जिनता मालिक काम ले उतना काम करता है। गधा कम से कम खर्च वाला होता है। गधा कितना ही बीमार हो, खाली पेट हो, कितना ही थका हुआ हो, लेकिन मालिक अगर उससे काम लेता है तो सहन करते हुए भी मालिक का काम पूरा करता है। अखिलेश जी यह सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे मालिक हैं। वो मुझसे जितना काम लेते हैं मैं करता हूं, बिना छुट्टी लिए करता हूं, थक जाता हूं तो भी करता हूं। कभी भूखा रहा तो भी करता हूं क्योंकि गधे से प्रेरणा लेता हूं और बड़े गर्व से लेता हूं ताकि इन सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए गधे से भी ज्यादा मजदूरी करके उनके काम आऊं इस गौरव से काम करता हूं।”
कहां से हुई थी शुरुआत?
इस विवाद की जड़ में था गुजरात टूरिज्म का एक विज्ञापन जिसमें अमिताभ बच्चन कच्छ के छोटा रण में रहने वाले जंगली गधों के बारे में बताते हैं। वह इन गधों की तारीफ करते हुए पर्यटकों को गुजरात आने को कहते हैं। अखिलेश यादव ने इसी प्रचार को लेकर तंज कसा था।