गाजियाबाद: बेटे से शूटिंग की कोचिंग, 69 साल की दादी ने लगाया गोल्डन पर निशाना h3>
20th Pre UP State Shooting Championship: हौसला अगर हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती है। कुछ ऐसी ही कर दिखाया है गाजियाबाद की रेनू बाला चौहान ने। रेनू ने 20वीं प्री-यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।
हाइलाइट्स
ट्रिगर फिंगर में सूजन थी, फिर भी चैंपियनशिप में किया कमाल
64 साल की उम्र में कूलर पर निशाना लगाकर शुरू की थी प्रैक्टिस
दादी ने अब तक 20 प्रतियोगिताओं में गोल्ड जीता
कुलदीप काम्बोज, गाजियाबाद: कहावत है, ‘उम्र तो बस एक नंबर है… हौसले बुलंद होने चाहिए।’ 69 साल की रेनू बाला चौहान पर यह बिल्कुल फिट बैठती है। रेनू ने 20वीं प्री-यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल पर निशाना लगाया है। तुगलकाबाद (दिल्ली) के करणी सिंह शूटिंग रेंज में एक से 6 जून तक चैंपियनशिप हुई थी। पॉइंट 22 बोर की पिस्टल से उन्होंने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उस दौरान उनकी ट्रिगर फिंगर में सूजन थी, फिर भी हौसला कम नहीं हुआ। जिस उम्र में लोग खुद को रिटायर्ड समझते हैं, उस उम्र में रेनू ने प्रैक्टिस शुरू की थी। रेनू की उम्र 64 थी, जब बेटे ने कोचिंग देनी शुरू की। प्रैक्टिस के लिए रेंज नहीं थी, ऐसे में घर में रखे कूलर को निशाना बनाया। प्री नैशनल चैंपियन तक रेनू पहुंच चुकी हैं। संजय नगर के जागृति विहार की रहने वाली रेनू ने बताया कि बेटे तरुण सिंह ने निशानेबाजी शुरू कराई। रोज छत पर ही एक घंटे प्रैक्टिस करती हूं। पति देवेंद्र सिंह चौहान भी निशानेबाज हैं। पति के साथ भी कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। देवेंद्र ने अब तक 16 मेडल जीते हैं, लेकिन मेडल्स की गिनती में रेनू आगे हैं। रेनू हाउस मैनेजर हैं। उनके दो बेटे तरुण और वरुण हैं। 2 बहुएं और 2 पोते हैं। मुरादनगर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में दादरी निवासी मथन सिंह रावल के यहां रेनू का जन्म हुआ था। पढ़ाई में उन्होंने प्रभाकर की डिग्री ली, फिर शादी हुई तो घर संभालने में जुट गईं। मायके का माहौल खेल वाला था। बड़े भाई रणजीत और प्रदीप ऑल राउंडर प्लेयर थे। कहते हैं कि मुरादनगर स्टेडियम में प्रदीप ने एक किक में फुटबॉल को बाहर कर दिया था। उनका यह रेकॉर्ड आज भी उस स्टेडियम में नहीं टूटा है। रेनू ने कहा कि स्पोर्ट्स से जुड़ाव का नशा उन्हें मायके से ही लगा था।
लोगों ने मजाक समझा, फिर बेटे ने बढ़ाया हौसला
भला 64 की उम्र में कौन प्रैक्टिस शुरू करता है। यह उम्र में तो रिटायर होने की होती है। कुछ ऐसे ही ताने रेनू को सुनने को मिले, जब उन्होंने शूटिंग करने की ठानी। बेटे तरुण ने उनकी भावनाओं को समझा। उन्होंने हौसला बढ़ाया। घर में ही प्रैक्टिस का इंतजाम किया। निशाने के लिए कूलर के ऊपर टारगेट पेपर लगाया। कुछ दिनों की प्रैक्टिस में रेनू परफेक्ट हो गईं। पहली चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड जीता तो हौसले की उड़ान आसमान पर पहुंच गई। उस दिन के बाद रेनू ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। अब तक 20 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। उनका अगला टारगेट नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता है।
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