गला काट हो चुकी है OTT की जंग, ये कंपनियां भर रही हैं दम… आपको लुभाने के लिए आगे क्या है प्लान? h3>
नई दिल्ली: कोरोना (Covid-19) आया तो लोग घरों में कैद हो गए। तमाम कारोबार ठप्प पड़ गए। इसके उलट एक ऐसा सेगमेंट था जो इस दौरान कुलांचे मारने लगा। वह था OTT (Over-The-Top) स्पेस। घरों में बंद लोगों को इसने अलग तरह का चस्का लगाया। जब थियेटर और सिनेमाघर सब बंद थे, तब इसने उन्हें घर बैठे मनोरंजन करने का मौका दिया। आज OTT के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार बन चुका है। इस स्पेस में अब गला काट प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। नेटफ्लिक्स, जी5, सोनी लाइव, अमेजन प्राइम, डिज्नी+हॉटस्टार सहित अन्य कई कंपनियां इसमें अपनी-अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए दम भर रही हैं। इन सभी के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्वालिटी कंटेंट की है। इन्होंने दर्शकों को लुभाने के लिए हर तरकीब अपनानी शुरू कर दी है। OTT ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो इंटरनेट के जरिये वीडियो या दूसरे मीडिया कंटेंट उपलब्ध करते है।
महामारी के दो सालों में ओटीटी प्लेटफॉर्म खूब फले-फूले हैं। इस दौरान इनकी कमाई 4 गुना बढ़ी है। एक अनुमान के अनुसार, 2019 में ओटीटी का रेवेन्यू 2,714 करोड़ रुपये था। 2021 में यह बढ़कर 10,863 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, कोरोना काल खत्म हो चुका है। मनोरंजन के तमाम जरिये दोबारा खुले गए हैं। प्रोडक्शन फिर पहले की तरह शुरू हो चुका है। ऐसे में ओटीटी की ग्रोथ थोड़ी नरम पड़ने के आसार हैं। 2026 तक इस स्पेस के 21,035 करोड़ तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
सेगमेंट में है तगड़ी टक्कर
इस स्पेस में कितनी तगड़ी टक्कर है इसका अंदाजा लगाने के लिए आपको एक आंकड़ा देते हैं। देश में करीब 60 स्ट्रीमिंग फर्में हैं जो आपका ध्यान खींचने के लिए दम लगाए हुए हैं। तमाम बड़ी कंपनियां पैसा झोंकने के लिए बिलकुल तैयार हैं। इन्हीं में से एक अमेजन प्राइम वीडियो है। इसने 2021 में 1,040 करोड़ रुपये झोंके हैं। अगले पांच सालों में कंपनी कंटेंट पर निवेश को दोगुना करने का ऐलान कर चुकी है।
अप्रैल में इसने अगले दो सालों के लिए हिंदी, तमिल और तेलुगु में 41 ओरिजनल सीरीज, मूवीज और को-प्रोडक्शन की घोषणा की थी। ई-कॉमर्स दिग्गज ने न्यूजीलैंड के मैचों के प्रसारण के अधिकार हासिल करके क्रिकेट स्ट्रीमिंग में भी कदम रखा है। इसने भारत में कीमतों में बढ़ोतरी की है। यह बढ़त 50 फीसदी तक है।
इसके उलट नेटफ्लिक्स ने कीमतों में कटौती की है। कैलिफोर्निया की स्ट्रीमिंग दिग्गज को भारत में ग्राहकों को जोड़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। हाल में कंपनी ने हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम में फिल्मों के डिजिटल प्रीमियर के बीच भूल भुलैया 2, गंगूबाई काठियावाड़ी और आरआरआर जैसी हिट ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्मों को खरीदा। इसने 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के साथ भारत में 90 से अधिक ओरिजनल फिल्में और सीरीज बनाई हैं। इसने गेमिंग में भी कदम रखा है।
स्ट्रीमिंग की एक और बड़ी कंपनी SonyLIV है। इसने ओरिजनल कंटेंट और स्पोर्ट्स इवेंट के बूते अपनी जगह मजबूत की है। इसके कैटलॉग में हिंदी में डब दक्षिण भारतीय फिल्मों की भरमार है। ओटीटी स्पेस में Disney+ Hotstar और ZEE5 भी ऐसे स्ट्रीमर्स हैं जिनके पास कंटेंट की कमी नहीं है। नजर वूट पर भी है। मुकेश अंबानी की वायाकॉम 18 के आईपीएल 2023-27 के स्ट्रीमिंग राइट्स लेने के बाद इसके सब्सक्राइबर बढ़ सकते हैं। इनमें दो से ढाई करोड़ का इजाफा हो सकता है। MX Player जैसे विज्ञापन आधारित वीडियो ऑन डिमांड (AVOD) जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म भी हैं। ‘आश्रम’ और ‘भौकाल’ जैसी ओरिजनल सीरीज से इसने जगह बनाई है। AVOD स्पेस 1.1 अरब डॉलर का है।
AVOD स्पेस में किसकी कितनी हिस्सेदारी?
स्ट्रीमर
हिस्सेदारी
ZEE5
2%
वूट
2%
SonyLIV
3%
एमएक्स प्लेयर
6%
Disney+ Hotstar
16%
यूट्यूब
33%
अन्य
38%
कौन बनेगा किंग?
ओटीटी स्पेस बहुत बड़ा है। इसमें संभावनाएं भी भरपूर हैं। हालांकि, इस सेगमेंट में किंग वही बनेगा जिसके पास ओरिजनल कंटेंट होगा। साथ ही जो सही कीमतों पर सर्विसेज दे सकेगा। भारतीय मार्केट बहुत प्राइस सेंसिटिव है। यह फिजूल किसी पर पैसा नहीं खर्च करेगा। हालांकि, कंटेंट भर से भी बात नहीं बनेगी। यूजर एक्सपीरियंस एक और ऐसी बुनियादी चीज है जो सब्सक्राइबरों का रुख तय करेगी। यानी किंग बनने के लिए कंटेंट और क्वालिटी दोनों आवश्यक शर्तें होंगी। भारत में अभी भी ओटीटी अपने शुरुआती दौर में है। इसमें काफी कुछ हो सकता है। स्ट्रीमिंग कंपनियां इस मौके को भुनाने के लिए खुद को कैसे तैयार करती हैं, यही बड़ी बात है।
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
सेगमेंट में है तगड़ी टक्कर
इस स्पेस में कितनी तगड़ी टक्कर है इसका अंदाजा लगाने के लिए आपको एक आंकड़ा देते हैं। देश में करीब 60 स्ट्रीमिंग फर्में हैं जो आपका ध्यान खींचने के लिए दम लगाए हुए हैं। तमाम बड़ी कंपनियां पैसा झोंकने के लिए बिलकुल तैयार हैं। इन्हीं में से एक अमेजन प्राइम वीडियो है। इसने 2021 में 1,040 करोड़ रुपये झोंके हैं। अगले पांच सालों में कंपनी कंटेंट पर निवेश को दोगुना करने का ऐलान कर चुकी है।
अप्रैल में इसने अगले दो सालों के लिए हिंदी, तमिल और तेलुगु में 41 ओरिजनल सीरीज, मूवीज और को-प्रोडक्शन की घोषणा की थी। ई-कॉमर्स दिग्गज ने न्यूजीलैंड के मैचों के प्रसारण के अधिकार हासिल करके क्रिकेट स्ट्रीमिंग में भी कदम रखा है। इसने भारत में कीमतों में बढ़ोतरी की है। यह बढ़त 50 फीसदी तक है।
इसके उलट नेटफ्लिक्स ने कीमतों में कटौती की है। कैलिफोर्निया की स्ट्रीमिंग दिग्गज को भारत में ग्राहकों को जोड़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। हाल में कंपनी ने हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम में फिल्मों के डिजिटल प्रीमियर के बीच भूल भुलैया 2, गंगूबाई काठियावाड़ी और आरआरआर जैसी हिट ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्मों को खरीदा। इसने 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश के साथ भारत में 90 से अधिक ओरिजनल फिल्में और सीरीज बनाई हैं। इसने गेमिंग में भी कदम रखा है।
स्ट्रीमिंग की एक और बड़ी कंपनी SonyLIV है। इसने ओरिजनल कंटेंट और स्पोर्ट्स इवेंट के बूते अपनी जगह मजबूत की है। इसके कैटलॉग में हिंदी में डब दक्षिण भारतीय फिल्मों की भरमार है। ओटीटी स्पेस में Disney+ Hotstar और ZEE5 भी ऐसे स्ट्रीमर्स हैं जिनके पास कंटेंट की कमी नहीं है। नजर वूट पर भी है। मुकेश अंबानी की वायाकॉम 18 के आईपीएल 2023-27 के स्ट्रीमिंग राइट्स लेने के बाद इसके सब्सक्राइबर बढ़ सकते हैं। इनमें दो से ढाई करोड़ का इजाफा हो सकता है। MX Player जैसे विज्ञापन आधारित वीडियो ऑन डिमांड (AVOD) जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म भी हैं। ‘आश्रम’ और ‘भौकाल’ जैसी ओरिजनल सीरीज से इसने जगह बनाई है। AVOD स्पेस 1.1 अरब डॉलर का है।
AVOD स्पेस में किसकी कितनी हिस्सेदारी?
स्ट्रीमर | हिस्सेदारी |
ZEE5 | 2% |
वूट | 2% |
SonyLIV | 3% |
एमएक्स प्लेयर | 6% |
Disney+ Hotstar | 16% |
यूट्यूब | 33% |
अन्य | 38% |
कौन बनेगा किंग?
ओटीटी स्पेस बहुत बड़ा है। इसमें संभावनाएं भी भरपूर हैं। हालांकि, इस सेगमेंट में किंग वही बनेगा जिसके पास ओरिजनल कंटेंट होगा। साथ ही जो सही कीमतों पर सर्विसेज दे सकेगा। भारतीय मार्केट बहुत प्राइस सेंसिटिव है। यह फिजूल किसी पर पैसा नहीं खर्च करेगा। हालांकि, कंटेंट भर से भी बात नहीं बनेगी। यूजर एक्सपीरियंस एक और ऐसी बुनियादी चीज है जो सब्सक्राइबरों का रुख तय करेगी। यानी किंग बनने के लिए कंटेंट और क्वालिटी दोनों आवश्यक शर्तें होंगी। भारत में अभी भी ओटीटी अपने शुरुआती दौर में है। इसमें काफी कुछ हो सकता है। स्ट्रीमिंग कंपनियां इस मौके को भुनाने के लिए खुद को कैसे तैयार करती हैं, यही बड़ी बात है।
News