गणतंत्र दिवस के चौथे दिन क्यों मनाई जाती है बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी – News4Social h3>
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बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी 2025
हर साल 29 जनवरी को दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। इसी के साथ 4 दिन तक चलने वाले गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का समापन हो जाता है। राष्ट्रपति भवन के सामने देश की तीनों सेनाओं के बैंड बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में देशभक्ति से भरी धुनों के साथ कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौ सेना के बैंड शामिल होते हैं। बीटिंग रिट्रीट में गणतंत्र दिवस के जैसी ही शानदार परेड होती है। इस जश्न को मनाने के लिए इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सभी जगहों को खूबसूरत लाइट से सजाया जाता है। आइये जानते हैं क्या है बीटिंग रिट्रीट मनाने की परंपरा?
क्या है बीटिंग रिट्रीट की परंपरा
गणतंत्र दिवस की परेड और समारोह के लिए देश की तीनों सेनाएं दिल्ली पहुंचती हैं और महीनों पहले से परेड की रिहर्सल शुरु हो जाती है। रिपब्लिक डे पर भव्य परेड का आयोजन होता है जिसमें देश की तीनों सेनाओं के सैन्य बल अपनी ताकत और क्षमता की अद्भुद प्रदर्शनी करते हैं। गणतंत्र दिवस के चौथे दिन ‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ का आयोजन होता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का मतलब है, सेना की बैरक में वापसी। ये परंपरा राजा महाराजाओं के समय से चली आ रही है। जिसमें सेनाएं दिनभर युद्ध लड़ती थीं और फिर सूर्यास्त के बाद सैनिक युद्ध बंद कर देते थे। उस वक्त एक संगीत बजता था जिसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता था। गणतंत्र दिवस के बाद बीटिंग रिट्रीट भी उसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए मनाई जाती है। जिसमें सूर्यास्त के बाद राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रीय ध्वज को झुका दिया जाता है।
कौन होता है बीटिंग रिट्रीट का चीफ गेस्ट
देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई जानी मानी हस्तियां बीटिंगि रिट्रीट सेरेमनी में शामिल होती हैं। लेकिन इस सेरेमनी का चीफ गेस्ट देश का प्रथम नागरिक यानि राष्ट्रपति होता है। विजय चौक पर राष्ट्रपति के पहुंचते ही राष्ट्रगान के साथ उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है। तीनों सेनाओं के बैंड राष्ट्रीय धुनों के साथ मार्च करते हुए संगीत प्रस्तुत करते हैं। इसके बाद प्रमुख बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाकर बैंड्स वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। जिसका मतलब होता है कि गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम अब समाप्त हो गया है। आखिर में ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन बजते हुए कार्यक्रम समाप्त हो जाता है।
भारत में कब हुई बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत
भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। साल 1955 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप भारत में राजकीय यात्रा पर आए हुए थे। उस वक्त भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने पहली बार भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की कल्पनी की जिसे उस वक्त प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पूरा करवाया था। तभी से हर साल भारत में गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है। भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और कई दूसरे देशों में भी बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन होता है।