गंदे पानी के बीच नारकीय जीवन जीने को विवश हैं आस्थानगर के मोहल्लेवासी h3>
निगम के वार्ड-23 के आस्थानगर मोहल्ले की सड़क पर सालोंभर रहता है जलजमाव… आस्थानगर मोहल्ला में व्यास बाबू के घर से शिक्षक प्रभात कुमार के घर तक का नजारा। बेगूसराय, निज प्रतिनिधि।
Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायWed, 2 Oct 2024 02:42 PM
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बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। जलनिकासी व साफ-सफाई के मद में निगम का हर साल एक करोड़ रुपये अधिक खर्च हो रहे हैं। उसके बाद भी नगर निगम के वार्ड-23 आस्थानगर मोहल्ला में दिवंगत प्रो. व्यास बाबू के घर से शिक्षक प्रभात कुमार के घर तक सालों भर जलजमाव रहता है। नाले में पानी की निकासी नहीं होने से नाला में जमा गंदा पानी सड़क पर ही आ जाता है। करीब 300 वाली आबादी वाले इस मोहल्लेवासियों में नगर निगम प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश है। मोहल्लेवासियों ने एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार मुख्य पार्षद से लेकर नगर आयुक्त को मोहल्लेवासियों का संयुक्त हस्ताक्षर वाला आवेदन दिया जा चुका है। जब भी आवेदन दिया जाता है तो निगम प्रशासन आकर सड़क से पानी निकलवा देता है। सफाई भी करायी जाती है। लेकिन तीसरे ही दिन सड़क पर फिर से काला पानी अपना साम्राज्य स्थापित कर लेता है। नगर निगम प्रशासन की उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से नाराज मोहल्लेवासियों में शशि रंजन, विनोद कुमार, शंकर साह आदि ने बताया कि निगम फरमान जारी करता है कि समय पर टैक्स जमा करो। ससमय टैक्स जमा करने के बाद भी महज एक जलजमाव की समस्या का समाधान निगम प्रशासन से नहीं हो रहा है। वर्षा के समय में तो इस सड़क पर एक से दो फूट तक पानी जमा हो जाता है। सामान्य दिनों में सड़क पर नाले का पानी जमा रहता है। वर्तमान स्थिति यह है कि इस सड़क से पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। सड़क पर जहां तहां बड़े-बड़े पत्थर व टुकड़े लोगों को जख्मी कर रहा है। गंदा पानी की वजह से संक्रामक बीमारी फैलने की संभावना भी अलग से। पिछले साल आस्थानगर में एक दर्जन से अधिक लोग डेंगू के शिकार हो गये थे। रिश्तेदारों के आने पर होना पड़ रहा है शर्मशार मोहल्लेवासियों में रामा शंकर सिंह, राजेश कुमार ने बताया कि कहने के लिए वे लोग शहरी बाबू कहलाते हैं। जबकि गांव देहात के सगे संबंधी कभी कभार घर पर पहुंचते हैं तो ताना मारते हैं कि गंदगी के बीच रहने वाले अपने को शहरीबाबू कहते हैं। चलिए न हमारे गांव में। एकदम सब जगह चकाचक सड़कें मिलेगी। जलजमाव का नजारा दूर तक दिखाई नहीं देगा। हमारे यहां के मुखिया सीमित साधन के बाद बारिकी से सब पर ध्यान देते हैं। जबकि नगर निगम में पैसे की कमी भी नहीं है। साथ ही यह भी कहते हैं कि जब शादी के लिए नये रिश्तेदार आते हैं तो सड़क की दुर्दशा देखकर हाथ जोड़कर यह कहते हुए निकल जाते हैं कि पहले आप लोग जलजमाव की समस्या से मुक्त होइये। तब रिश्ते की बात होगी। तब यह बात सुन मोहल्लेवासियों को शर्मशार होना पड़ता है। कहती हैं मुख्य पार्षद कई बार पंपसेट से गली का पानी निकाला गया है। स्थायी समाधान के लिए सड़क का उंचीकरण व नाला निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। गुड्डू चौधरी के घर से मुख्य नाला ममता होटल तक सामने तक पीसीसी एवं आरसीसी नाला निर्माण पर 39 लाख 27 हजार का प्राक्कलन तैयार है। निविदा की प्रक्रिया में है। जल्द ही इस मोहल्ले का कायाकल्प होगा। पिंकी देवी, मुख्य पार्षद
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निगम के वार्ड-23 के आस्थानगर मोहल्ले की सड़क पर सालोंभर रहता है जलजमाव… आस्थानगर मोहल्ला में व्यास बाबू के घर से शिक्षक प्रभात कुमार के घर तक का नजारा। बेगूसराय, निज प्रतिनिधि।
बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। जलनिकासी व साफ-सफाई के मद में निगम का हर साल एक करोड़ रुपये अधिक खर्च हो रहे हैं। उसके बाद भी नगर निगम के वार्ड-23 आस्थानगर मोहल्ला में दिवंगत प्रो. व्यास बाबू के घर से शिक्षक प्रभात कुमार के घर तक सालों भर जलजमाव रहता है। नाले में पानी की निकासी नहीं होने से नाला में जमा गंदा पानी सड़क पर ही आ जाता है। करीब 300 वाली आबादी वाले इस मोहल्लेवासियों में नगर निगम प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश है। मोहल्लेवासियों ने एक बार नहीं बल्कि दर्जनों बार मुख्य पार्षद से लेकर नगर आयुक्त को मोहल्लेवासियों का संयुक्त हस्ताक्षर वाला आवेदन दिया जा चुका है। जब भी आवेदन दिया जाता है तो निगम प्रशासन आकर सड़क से पानी निकलवा देता है। सफाई भी करायी जाती है। लेकिन तीसरे ही दिन सड़क पर फिर से काला पानी अपना साम्राज्य स्थापित कर लेता है। नगर निगम प्रशासन की उदासीनता व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से नाराज मोहल्लेवासियों में शशि रंजन, विनोद कुमार, शंकर साह आदि ने बताया कि निगम फरमान जारी करता है कि समय पर टैक्स जमा करो। ससमय टैक्स जमा करने के बाद भी महज एक जलजमाव की समस्या का समाधान निगम प्रशासन से नहीं हो रहा है। वर्षा के समय में तो इस सड़क पर एक से दो फूट तक पानी जमा हो जाता है। सामान्य दिनों में सड़क पर नाले का पानी जमा रहता है। वर्तमान स्थिति यह है कि इस सड़क से पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। सड़क पर जहां तहां बड़े-बड़े पत्थर व टुकड़े लोगों को जख्मी कर रहा है। गंदा पानी की वजह से संक्रामक बीमारी फैलने की संभावना भी अलग से। पिछले साल आस्थानगर में एक दर्जन से अधिक लोग डेंगू के शिकार हो गये थे। रिश्तेदारों के आने पर होना पड़ रहा है शर्मशार मोहल्लेवासियों में रामा शंकर सिंह, राजेश कुमार ने बताया कि कहने के लिए वे लोग शहरी बाबू कहलाते हैं। जबकि गांव देहात के सगे संबंधी कभी कभार घर पर पहुंचते हैं तो ताना मारते हैं कि गंदगी के बीच रहने वाले अपने को शहरीबाबू कहते हैं। चलिए न हमारे गांव में। एकदम सब जगह चकाचक सड़कें मिलेगी। जलजमाव का नजारा दूर तक दिखाई नहीं देगा। हमारे यहां के मुखिया सीमित साधन के बाद बारिकी से सब पर ध्यान देते हैं। जबकि नगर निगम में पैसे की कमी भी नहीं है। साथ ही यह भी कहते हैं कि जब शादी के लिए नये रिश्तेदार आते हैं तो सड़क की दुर्दशा देखकर हाथ जोड़कर यह कहते हुए निकल जाते हैं कि पहले आप लोग जलजमाव की समस्या से मुक्त होइये। तब रिश्ते की बात होगी। तब यह बात सुन मोहल्लेवासियों को शर्मशार होना पड़ता है। कहती हैं मुख्य पार्षद कई बार पंपसेट से गली का पानी निकाला गया है। स्थायी समाधान के लिए सड़क का उंचीकरण व नाला निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। गुड्डू चौधरी के घर से मुख्य नाला ममता होटल तक सामने तक पीसीसी एवं आरसीसी नाला निर्माण पर 39 लाख 27 हजार का प्राक्कलन तैयार है। निविदा की प्रक्रिया में है। जल्द ही इस मोहल्ले का कायाकल्प होगा। पिंकी देवी, मुख्य पार्षद