गंदगी,गोबर व बदबू के बीच बच्चें ले रहे क,ख,ग का आखर ज्ञान | Children are taking knowledge due to lack of facilities | News 4 Social

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गंदगी,गोबर व बदबू के बीच बच्चें ले रहे क,ख,ग का आखर ज्ञान | Children are taking knowledge due to lack of facilities | News 4 Social

गंदगी,गोबर व बदबू के बीच बच्चें ले रहे क,ख,ग का आखर ज्ञान | Children are taking knowledge due to lack of facilities | News 4 Social


जयपुर। राजधानी जयपुर में गुर्जर की थड़ी स्थित राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय मुलभूत सुविधाओं से झुज रहा हैं। सुविधाओं के अभाव से बच्चें अपनी शिक्षा सही तरह से प्राप्त नही कर पा रहे हैं। स्कूल में बच्चों के लिए नहीं तो शौचालय की व्यवस्था है ना ही बच्चों के बैठने की व्यवस्था। स्कूल की छत भी लोहे की टीन से बनी हूई है जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। स्कूल के चारों तरफ गंदगी और अवारा पशुओं का कब्जा हैं। यह सभी असुविधाए बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करन में बाधा बन रही हैं।

84 बच्चों के लिए नहीं है बैठनी की सुविधा-
विद्यालय आठवी कक्षा तक होने के बावजूद भी बच्चों के लिए विद्यालय में एक ही रुम बना हुआ है। जिसमें सभी बच्चें अपनी क्लास लेते हैं। क्लास रूम में ही बच्चों के लिए पोषण का आहार बनता है औऱ बर्तन धोने की सुविधा हैं। बच्चों की तादात अधिक होने के बावजूद पहली से आठवी तक के बच्चें एक रुम में अपनी शिक्षा ले रहे हैं। क्लास रूम की छत लोहे की टीन से बनी हुई है जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। स्कूल की टीचर संगीता जैन बताती है कि बरसात के दिनों में क्लासरूम पूरी तरह से पानी से भर जाता है और मजबूरन हमें बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है या फिर बच्चों को बरसात से बचाने के लिए पास के मंदीर में ले जाना पड़ता है। बरसात का पानी 2 से 3 दिन तक क्लास रुम में भरा रहता है जिससे हमें बच्चों को बाहर बैठाकर पढ़ाना पड़ता हैं।

विद्यालय के चारों तरफ पसरा है गंदगी और अवारा पशुओं का आलम-
विद्यालय की प्रधानाचार्य कमला देवी बताती है कि स्कूल के चारों तरफ कचरों का ढ़ेर लगा हुआ है। आस-पास के लोग अपने घर का कचरा स्कूल के पास में ही फेक जाते है जिसके कारण कचरे की गंद क्लास रूम तक आती है और कचरे की वजह से आसपास मच्छर भी पनप रहे जो बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। औऱ उन्होंने बताया की स्कूल के चारों और दिवार नहीं होने के कारण एक दिन आसपास कुछ अवारा पशु लड़ते हुए क्लास रूम के अंदर घुस गए थे जिसके कारण हमें बच्चों को क्लासरूम के दूसरे गेट से बाहर निकालना पड़ा था। अगर क्लास रूम में दूसरा गेट नही होता तो बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी हो सकती थी।

स्कूल में है शौचालय का अभाव, बच्चों का जाना पड़ रहा है बाहर-
विद्यालय के अंदर शौचालय के अभाव से बच्चें बाहर जाने के लिए मजबूर है। जब हमारे रिपोर्टर दिनेश ने एक चौथी कक्षा की छात्रा से इस विषय के बारे में सवाल किया तो बच्ची ने बताया की स्कूल में शौचालय कई दिनों से टूटे पड़े है। शौचालय के अभाव से हम पास के खुले मैदान की झाड़ियों में जाने को मजबूर हैं।

बजट की देरी से अटका है काम,एनजीओं की सहायता से चला रहे है स्कूल-
प्रधानाचार्य कमला देवी कहती है सरकार की तरफ से मिलने वाले बजट के अभाव से हमें मजबूरन एनजीओं और आसपास के भामाशाहों की मदद लेनी पड़ रही हैं। स्कूल में सभी सुविधाए एनजीओं और भामाशाह की देन है। दो साल पहले जब मेरी यहां पोस्टिंग हुई थी तब यहां केवल एक कमरा बना हुआ था, नहीं तो यहां पानी की सुविधा थी ना ही बच्चों के बैठने के लिए दरपट्टीयों की व्यवस्था। लेकिन फिर भी मैंने आसपास के भामाशाह औऱ एनजीओंस की मदद ली और 15 बच्चों से मैनें स्कूल की शुरूआत की। आज हमारे पास 84 बच्चें जुड़ गए हैं। लेकिन फिर भी सुविधाओं के अभाव से हम बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

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