खेल मैदान के नाम पर बिहार में हो गया खेला, बिना मिट्टी भरे मनरेगा के 28.39 लाख निकाल लिए h3>
मनरेगा के तहत बिहार के मुजफ्फरपुर में खेल मैदानों को विकसित करने के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। धरातल पर इन खेल मैदानों का कहीं अता-पता नहीं है। बावजूद इसके इन मैदानों में मिट्टी भराई के नाम पर लाखों रुपये की न केवल योजना स्वीकृत की गई, बल्कि काम पूरा दिखाकर योजना की पूरी राशि भी निकाल ली गई। ऐसे मामले पूरे जिले से सामने आए हैं। मोतीपुर प्रखंड में ऐसे कई मामलों के सामने आने के बाद जांच कराई गई। इसमें गलत तरीके से योजना चयन करते हुए राशि निकाले जाने की पुष्टि हुई, लेकिन आजतक इसके लिए जिम्मेवार लोगों से राशि वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इन मामलों का खुलासा तब हुआ जब इसकी शिकायत निगरानी विभाग से लेकर ग्रामीण विकास विभाग तक पहुंची। मोतीपुर के परसौनी कूपर निवासी संजय सिंह ने इसकी शिकायत करते हुए जांच कराने की मांग की थी। इसपर ग्रामीण विकास विभाग ने उप विकास आयुक्त मुजफ्फरपुर को जांच का आदेश दिया था। उप विकास आयुक्त ने महिला प्रसार पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में जांच टीम बनाई। इसमें डीआरडीए के प्रसार पदाधिकारी तरुण कुमार और कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण विभाग, कार्य प्रमंडल, मुजफ्फरपुर पश्चिमी को तकनीकी सदस्य बनाया गया था।
टीम ने भौतिक जांच के बाद योजनाओं के चयन से लेकर राशि निकासी तक अनियमितता बरतने की रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में कब्रिस्तान, केले के बगान और सड़क किनारे की जमीन को खेल मैदान बता दिया गया और फर्जी तरीके से योजना का चयन किए जाने की बात सामने आई थी। साथ ही, मिट्टी भराई करते हुए पूरी राशि गलत तरीके से निकाले जाने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है। टीम की रिपोर्ट पर जिला प्रसाशन गंभीरता से विचार कर रहा है। इस मामले में कार्रवाई की तैयारी चल रही है जिसमें कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
अधिकारियों व मुखिया से मांगा गया स्पष्टीकरण
केवल इन्हीं तीन योजनाओं के साथ ऐसा नहीं किया गया। बल्कि, मोतीपुर प्रखंड की एक ही पंचायत पगहिया की सात योजनाओं में मिट्टी भराई के नाम पर 28,38,912 रुपये का वारा न्यारा कर लिया गया। जांच टीम ने इसमें बीपीओ, जेई, पीटीए, पीआरएस और मुखिया की स्पष्ट संलिप्तता बताई। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीडीसी ने इन सभी से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन आजतक सरकारी पैसे की वापसी के लिए कोई पहल नहीं की गई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार एकौलिया गांव में जिस जमीन को खेल मैदान बताकर 2,07,103 रुपये मिट्टी भराई के नाम पर निकासी की गई, वह जमीन भौतिक जांच के दौरान कब्रिस्तान की निकली। मणिकपुर गांव में जिस भूमि को खेल मैदान बता 2,45,772 रुपये की मिट्टी भरी गई थी, जांच के दौरान वह जमीन सड़क किनारे की पगडंडी निकली। जांच टीम ने इसपर भी आपत्ति जताई। प्रखंड के गौसपुर गांव में केले के बगान को खेल मैदान बता योजना स्वीकृत की गई थी। इसमें मिट्टी भराई के नाम पर 4,93,452 रुपये निकाले जाने की बात सामने आई।
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मनरेगा के तहत बिहार के मुजफ्फरपुर में खेल मैदानों को विकसित करने के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। धरातल पर इन खेल मैदानों का कहीं अता-पता नहीं है। बावजूद इसके इन मैदानों में मिट्टी भराई के नाम पर लाखों रुपये की न केवल योजना स्वीकृत की गई, बल्कि काम पूरा दिखाकर योजना की पूरी राशि भी निकाल ली गई। ऐसे मामले पूरे जिले से सामने आए हैं। मोतीपुर प्रखंड में ऐसे कई मामलों के सामने आने के बाद जांच कराई गई। इसमें गलत तरीके से योजना चयन करते हुए राशि निकाले जाने की पुष्टि हुई, लेकिन आजतक इसके लिए जिम्मेवार लोगों से राशि वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इन मामलों का खुलासा तब हुआ जब इसकी शिकायत निगरानी विभाग से लेकर ग्रामीण विकास विभाग तक पहुंची। मोतीपुर के परसौनी कूपर निवासी संजय सिंह ने इसकी शिकायत करते हुए जांच कराने की मांग की थी। इसपर ग्रामीण विकास विभाग ने उप विकास आयुक्त मुजफ्फरपुर को जांच का आदेश दिया था। उप विकास आयुक्त ने महिला प्रसार पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में जांच टीम बनाई। इसमें डीआरडीए के प्रसार पदाधिकारी तरुण कुमार और कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण विभाग, कार्य प्रमंडल, मुजफ्फरपुर पश्चिमी को तकनीकी सदस्य बनाया गया था।
टीम ने भौतिक जांच के बाद योजनाओं के चयन से लेकर राशि निकासी तक अनियमितता बरतने की रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में कब्रिस्तान, केले के बगान और सड़क किनारे की जमीन को खेल मैदान बता दिया गया और फर्जी तरीके से योजना का चयन किए जाने की बात सामने आई थी। साथ ही, मिट्टी भराई करते हुए पूरी राशि गलत तरीके से निकाले जाने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है। टीम की रिपोर्ट पर जिला प्रसाशन गंभीरता से विचार कर रहा है। इस मामले में कार्रवाई की तैयारी चल रही है जिसमें कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
अधिकारियों व मुखिया से मांगा गया स्पष्टीकरण
केवल इन्हीं तीन योजनाओं के साथ ऐसा नहीं किया गया। बल्कि, मोतीपुर प्रखंड की एक ही पंचायत पगहिया की सात योजनाओं में मिट्टी भराई के नाम पर 28,38,912 रुपये का वारा न्यारा कर लिया गया। जांच टीम ने इसमें बीपीओ, जेई, पीटीए, पीआरएस और मुखिया की स्पष्ट संलिप्तता बताई। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीडीसी ने इन सभी से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन आजतक सरकारी पैसे की वापसी के लिए कोई पहल नहीं की गई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार एकौलिया गांव में जिस जमीन को खेल मैदान बताकर 2,07,103 रुपये मिट्टी भराई के नाम पर निकासी की गई, वह जमीन भौतिक जांच के दौरान कब्रिस्तान की निकली। मणिकपुर गांव में जिस भूमि को खेल मैदान बता 2,45,772 रुपये की मिट्टी भरी गई थी, जांच के दौरान वह जमीन सड़क किनारे की पगडंडी निकली। जांच टीम ने इसपर भी आपत्ति जताई। प्रखंड के गौसपुर गांव में केले के बगान को खेल मैदान बता योजना स्वीकृत की गई थी। इसमें मिट्टी भराई के नाम पर 4,93,452 रुपये निकाले जाने की बात सामने आई।