खेत सूखे, कागजों में फसल उगाकर लोन उठाया | Farms dried up, raised loan by growing crops on paper | News 4 Social h3>
वर्ष 2018 व उससे पहले हुए घोटाले, एसीबी ने चार साल बाद दर्ज किया मामला
विभिन्न जिलों के थानों में लम्बित हैं 16 एफआईआर जयपुर.
कागजों में फसल उगाकर सूखे खेतों पर ही फसली ऋण जारी कर दिए गए। यही नहीं खातेदार की मौत होने के बाद भी उसके नाम से लोन जारी किया जा रहा था। सहकारी बैंक के अल्पकालीन फसली ऋण में कुछ ऐसे ही फर्जीवाड़े के मामले में एसीबी ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें सहकारी बैंक के प्रबंधक व जीएसएस (ग्राम सेवा सहकारी समिति) के अध्यक्ष और फर्जी लोन से लाभान्वित किसानों को नामजद किया गया है। पोकरण में हुए फर्जीवाड़े की तरह विभिन्न थानों में 16 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। हालांकि इनमें प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इन मामलों में कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने एडीजी क्राइम को आदेश दिए हैं कि सभी मामलों की जांच के लिए एक दल गठित किया जाए।
एसीबी में दर्ज किया मामला जैसलमेर के पोकरण से जुड़ा है। यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति उजलां में हुए इस घोटाले में सबसे चौकाने वाला मामला नथियो देवी का है। नाथुसर गांव की नथियो देवी की वर्ष 2012 में मृत्यु हो चुकी थी। इसके बावजूद उसके नाम से ग्राम सेवा सहकारी समिति से 50 हजार का अल्पकालीन फसली ऋण उठाया गया। यह मामला प्रकाश में आया जनवरी 2019 में। मामले की शिकायत विभाग के साथ एसीबी को की गई। एसीबी की पड़ताल में सामने आया कि नथियो देवी के नाम से लोन स्वीकृत हुआ है। इसी साख सीमा पर किसी दूसरी महिला का नाम दर्ज है। एक ही साख सीमा पर दो नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा किया गया।
सहकारी बैंकों की ओर से रबी सीजन के लिए अल्पकालीन फसली ऋण दिया जाता है। यह ऋण सिंचित भूमि पर मिलता है। बैंक अधिकारी और जीएसएस पदाधिकारियों ने मिलकर ऐसी भूमि पर भी लोन दिया गया, जहां सिंचाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है। नियम है कि लोन देने से पहले गिरदावरी रिपोर्ट ली जाती है। इसी अनुरूप लोन देने के लिए साख सीमा तय की जाती है, जिसे बैंक स्तर पर स्वीकृत किया जाता है। लोन देने के मामले में इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया। इस तरह जीएसएस उजलां के नाथूसर गांव में ही करीब ग्यारह लोगों को सात लाख से अधिक के लोन दिए गए।
कागजों में फसल उगाकर सूखे खेतों पर ही फसली ऋण जारी कर दिए गए। यही नहीं खातेदार की मौत होने के बाद भी उसके नाम से लोन जारी किया जा रहा था। सहकारी बैंक के अल्पकालीन फसली ऋण में कुछ ऐसे ही फर्जीवाड़े के मामले में एसीबी ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें सहकारी बैंक के प्रबंधक व जीएसएस (ग्राम सेवा सहकारी समिति) के अध्यक्ष और फर्जी लोन से लाभान्वित किसानों को नामजद किया गया है। पोकरण में हुए फर्जीवाड़े की तरह विभिन्न थानों में 16 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। हालांकि इनमें प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इन मामलों में कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने एडीजी क्राइम को आदेश दिए हैं कि सभी मामलों की जांच के लिए एक दल गठित किया जाए।
एसीबी में दर्ज किया मामला जैसलमेर के पोकरण से जुड़ा है। यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति उजलां में हुए इस घोटाले में सबसे चौकाने वाला मामला नथियो देवी का है। नाथुसर गांव की नथियो देवी की वर्ष 2012 में मृत्यु हो चुकी थी। इसके बावजूद उसके नाम से ग्राम सेवा सहकारी समिति से 50 हजार का अल्पकालीन फसली ऋण उठाया गया। यह मामला प्रकाश में आया जनवरी 2019 में। मामले की शिकायत विभाग के साथ एसीबी को की गई। एसीबी की पड़ताल में सामने आया कि नथियो देवी के नाम से लोन स्वीकृत हुआ है। इसी साख सीमा पर किसी दूसरी महिला का नाम दर्ज है। एक ही साख सीमा पर दो नाम दर्ज कर फर्जीवाड़ा किया गया।
सहकारी बैंकों की ओर से रबी सीजन के लिए अल्पकालीन फसली ऋण दिया जाता है। यह ऋण सिंचित भूमि पर मिलता है। बैंक अधिकारी और जीएसएस पदाधिकारियों ने मिलकर ऐसी भूमि पर भी लोन दिया गया, जहां सिंचाई की कोई व्यवस्था ही नहीं है। नियम है कि लोन देने से पहले गिरदावरी रिपोर्ट ली जाती है। इसी अनुरूप लोन देने के लिए साख सीमा तय की जाती है, जिसे बैंक स्तर पर स्वीकृत किया जाता है। लोन देने के मामले में इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया। इस तरह जीएसएस उजलां के नाथूसर गांव में ही करीब ग्यारह लोगों को सात लाख से अधिक के लोन दिए गए।
वर्ष 2018 की ऋण माफी में सामने आए घोटाले, पांच साल बाद भी न रिकवरी न कार्रवाई
वर्ष 2018 में हुई कर्जमाफी में घोटाले सामने आए थे। कर्जमाफी से पहले ही ग्राम सेवा सहकारी समितियों में किसानों के नाम पर लोन उठाए गए। ऋण माफी में ये लोन जमा हो गए। इसका खुलासा तब हुआ जब विभाग ने कर्जमाफी के लाभान्वितों की सूची पोर्टल पर अपलोड की। इसके बाद प्रदेश के कई जिलों से फर्जीवाड़े की बात सामने आई। मामला प्रकाश में आने पर सिरोही, बाड़मेर, जालोर, भरतपुर, चूरू व झुंझुनूं में 16 एफआईआर दर्ज कराई गई। अधिक शिकायतें आने पर सहाकरी विभाग ने सिरोही, पाली व बाड़मेर में विशेष ऑडिट करवाई थी।
सात लाख ऋण खाते संदेह के घेरे में