खुशी कभी बाहर नहीं हो सकती… यह सब दिमाग में है बस उसे खोजने की जरूरत है: हर्ष गोयनका

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खुशी कभी बाहर नहीं हो सकती… यह सब दिमाग में है बस उसे खोजने की जरूरत है: हर्ष गोयनका

खुशी कभी बाहर नहीं हो सकती… यह सब दिमाग में है बस उसे खोजने की जरूरत है: हर्ष गोयनका

नई दिल्ली:आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका उन कारोबारियों में शामिल हैं, जो केवल अपने ऑफिस के केबिन तक सिमट कर नहीं रहते, बल्कि आम लोगों से जुड़े रहते है। चाहे मिलकर या फिर सोशल मीडिया के जरिए। हर्ष गोयनका अक्सर एक्स (पहले ट्विटर) के जरिए लोगों से कनेक्ट रहते हैं, उन्हें मोटिवेशनल पोस्ट के जरिए लोगों को उत्साह बढ़ाते हैं। हाल ही में हर्ष गोयनका ने अपने एक पोस्ट के जरिए प्रयोग किया। उन्होंने लोगों को खुशी का असली मतलब समझाया। जिंदगी की असली खुशी किसमें है, इसे समझाने की कोशिश की है।

कैसे रहे हर दिन खुश

हर्ष गोयनका के मुताबिक हर दिन खुश रहने के लिए कुछ टास्क को पूरा करना जरूरी है।
– अपने प्रति दयालु रहें
– कुछ नया सीखो
– कृतज्ञता विकसित करें
– मुस्कुराओ और हंसो
– पर्याप्त नींद
– व्यायाम
– अच्छा खाएं

जिंदगी के कुछ नियम हैं जरूरी

1. लोगों को उनकी अपेक्षा से अधिक दें और खुशी-खुशी ऐसा करें
2. जब आप हारें तो सबक न खोएं
3. कुछ समय अकेले बिताएं
4. 3 आर याद रखें- स्वयं के लिए सम्मान, दूसरों के लिए सम्मान, अपने कार्यों के लिए जिम्मेदारी
5. घर में प्यार भरा माहौल जरूरी है

खुशियां तलाशने के लिए हर्ष गोयनका का प्रयोग

उन्होंने ट्विटर पर एक सामाजिक प्रयोग किया। उन्होंने पोस्ट किया, ‘एक गर्म दिन में एक सुंदर पार्क में बैठे एक संतुष्ट व्यक्ति की कल्पना करो। एक अच्छे अपार्टमेंट ब्लॉक में उसी पार्क के सामने एक एसी कमरे में बैठे एक अन्य व्यक्ति की कल्पना करें। सबसे महत्वपूर्ण क्या है- शांत, आरामदायक और अपार्टमेंट में रहने वाला या संतुष्ट और प्रकृति की गोद में रहनेवाला ? कौन ज्यादा खुश हैं ?

इस पोस्ट के जबाव में एक-तिहाई से अधिक लोगों ने महसूस किया कि पार्क को देखने वाला व्यक्ति अधिक खुश था। एक छोटे से अनुपात ने पार्क में ‘संतुष्ट’ आदमी को पसंद किया। लेकिन सबसे अधिक लोगों ने इस बात पर प्रतिक्रिया दी कि खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि आप जीवन को किस तरह देखते हैं। हम आनंद को खुशी समझ लेते हैं, और यही समस्या है। यह हमें खुशी के मूलभूत प्रश्न पर लाता है। क्या हमारी खुशी के माप वास्तविक जीवन के मापों पर आधारित हैं?

गोयनका लिखते हैं कि हम सभी खुशी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन हम इसे शायद ही कभी पाते हैं क्योंकि हम अन्य भावनाओं से निर्देशित होते हैं या गलत जगहों पर इसकी तलाश करते हैं। एक आम सोच हमें विश्वास दिलाती है कि गर्म दिन में बाहर रहने वाला व्यक्ति अपार्टमेंट में रहने वाले व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक हताश और दुखी होता है। कुछ लोगों के लिए अपार्टमेंट में रहने वाला अधिक संतुष्ट, खुश और सुरक्षित है तो पार्क में रहने वाला व्यक्ति पीड़ित और दुखी। ये आम जनधारणा है कि सुख और खुशी समृद्धि के साथ आती है।

गोयनका लिखते हैं कि उनके छोटे से सामाजिक प्रयोग से हमारे बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। हमें परिणामों के माध्यम से खुशी प्राप्त करने के लिए प्रोग्राम किया गया है। काम पर उपलब्धि, स्कूल में ग्रेड, साथियों से मान्यता … परिणाम-उन्मुख संतुष्टि जिसे हम खुशी से जोड़ते हैं, हमें जीवन की छोटी-छोटी चीजों के साथ संतुष्टि की हमारी प्राकृतिक स्थिति से दूर ले जाती है। कभी कभी उपलब्धियां भी वह उत्साह नहीं लाती जिसकी हम अपेक्षा करते हैं।

उन्होंने लिखा कि सफलता हमेशा खुशियां लाती है, लेकिन हमेशा अंतिम परिणाम मायने नहीं रखता । यह कड़ी मेहनत, संघर्ष, जीत, असफलता,ब्रेअकप और सुलह और व्यवसाय के सभी छोटे हिस्से बहुत महत्वपूर्ण हैं। नतीजों के साथ वो संघर्ष भी उतनी ही खुशियां देता है। खुशी उन प्रयासों में मिलती है, जिसमें हम सफलता हासिल करते हैं।

कैसे मिलेगी खुशियां

कृतज्ञता का अभ्यास करना, देखभाल करना और देना, रिश्तों को बनाए रखना, और मन और शरीर कीतंदुरूस्ती पर काम करना निरंतर खुशी ला सकता है। वित्तीय सुरक्षा महत्वपूर्ण है और आय, सुरक्षा और खुशी के बीच सीधा संबंध है। उन्होंने लिखा कि जितना हम गलती सुधारने की कोशिश करते हैं उतनी ही अधिक खुशियां समेट लेते हैं। उन्होंने कहा कि खुशी कभी बाहर नहीं हो सकती, यह सब दिमाग में है और इसके लिए लगातार काम करने की जरूरत है। इसलिए, शायद पार्क में आदमी और वातानुकूलित कमरे में आदमी दोनों समान रूप से खुश या दुखी हो सकते हैं, यह उनके दृष्टिकोण और सोच पर निर्भर करता है।

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