क्यों सुर्खियों में है देश के सबसे साफ शहर में हुई अमोल-डिंपल की शादी h3>
इंदौर: आमतौर पर आपने महंगी गाड़ी, हाथी, घोड़े, पालकी और पुराने समय में बैलगाड़ियों पर बारात निकलते हुए देखा होगा। लेकिन देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में एक अनोखी बारात निकली। जिसने प्यार और परंपरा के इस रचनात्मक उत्सव देखने वालों को हैरान कर दिया। शहर के वाधवानी परिवार ने अपने बेटे अमोल वाधवानी की शादी के लिए साइकल से बारात निकालने का फैसला किया। इस बारात के जरिए शहर में पर्यावरण, सेहत और साइकिल को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। ऐसा नहीं है कि वाधवानी परिवार ने साकिल में बारात निकालने का फैसला आर्थिक स्थिति के कारण लिया है। वास्तव में यह फैसला शादी के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने का संदेश देने के लिए लिया गया था।
लाल और नीले रंग की साइकिलिंग जर्सी में सजी दूल्हे की बारात लालबाग पैलेस से सुबह 6 बजे रवाना हुई। इंदौर की सड़कों से गुजरते हुए खालसा गार्डन, खातीवाला टैंक तक पहुंची। इस बारात के नजारे ने दर्शकों को हैरान कर दिया। इतना ही नहीं दुल्हन के घर के सामने मैदान पर साइकिलें भी इस प्रकार रखी गईं कि ऊपर से देखने पर दुल्हा- दुल्हन के नाम का पहला अक्षर नजर आया।
फिटनेस का प्रतीक
अमोल और डिंपल ने शादी में बारात निकालने का फैसला साइकिल से किया। सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं का सम्मान करते हुए दोनों ने फिटनेस और सेहत का ध्यान रखा। सोशल मीडिया पर इस अनूठी शादी की चर्चा हो रही है। वाधवानी परिवार को उम्मीद है कि उनकी अनूठी शादी दूसरों को रचनात्मकता और स्थायी प्रथाओं को अपने उत्सवों में शामिल करने के लिए प्रेरित करेगी। जिससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
अमोल के पिता प्रदीप वाधवानी ने बताया कि अमोल साइकिलिंग करता है। वह कलात्मक रूप से साइकल चलाता है। वो अपने रूट को इस प्रकार प्लान करता है कि जब लौटकर आए तो जीपीएस के माध्यम से अलग-अलग खूबसूरत तस्वीर बन जाए। वो शहर को बड़ा कैनवास और साइकिल को ब्रश और पेंट समझता है। एक बार उसने भारत का नक्शा तक बनाया था। वहीं उसने खूबसूरत डायनसोर पार्क तक बना दिया था। उस दौरान उनके पीछे तीन सौ लोग साइकिलिंग करते चल रहे थे। वो साढ़े 12 घंटे साइकिलिंग करते हुए इंदौर से भोपाल तक भी पहुंच चुका है।
कुछ अलग करना चाहता था
दूल्हे अमोल का कहना है कि मेरी कुछ अलग करने की कोशिश थी। जिसमें मेरे परिवार ने साथ दिया। साइकल से निकली बारात से कई परंपराएं पूरी नहीं हो पाईं। जैसे बारात में घोड़ी पर चलने और दरवाजे से उतरने की रस्म थी लेकिन पर्यावरण बचाना है तो इस तरह के काम करने होंगे। पर्यावरण बचेगा तो मनुष्य का भविष्य सुरक्षित रह पाएगा। वहीं, दुल्हन का कहना है कि ये अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत अच्छा लगा। ये प्रदूषण से बचाने औैर लोगों की अच्छी सेहत की पहल है। जो दूसरे लोगों को भी अपनानी चाहिए।
रिपोर्ट – संजय कुमार
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लाल और नीले रंग की साइकिलिंग जर्सी में सजी दूल्हे की बारात लालबाग पैलेस से सुबह 6 बजे रवाना हुई। इंदौर की सड़कों से गुजरते हुए खालसा गार्डन, खातीवाला टैंक तक पहुंची। इस बारात के नजारे ने दर्शकों को हैरान कर दिया। इतना ही नहीं दुल्हन के घर के सामने मैदान पर साइकिलें भी इस प्रकार रखी गईं कि ऊपर से देखने पर दुल्हा- दुल्हन के नाम का पहला अक्षर नजर आया।
फिटनेस का प्रतीक
अमोल और डिंपल ने शादी में बारात निकालने का फैसला साइकिल से किया। सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं का सम्मान करते हुए दोनों ने फिटनेस और सेहत का ध्यान रखा। सोशल मीडिया पर इस अनूठी शादी की चर्चा हो रही है। वाधवानी परिवार को उम्मीद है कि उनकी अनूठी शादी दूसरों को रचनात्मकता और स्थायी प्रथाओं को अपने उत्सवों में शामिल करने के लिए प्रेरित करेगी। जिससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
अमोल के पिता प्रदीप वाधवानी ने बताया कि अमोल साइकिलिंग करता है। वह कलात्मक रूप से साइकल चलाता है। वो अपने रूट को इस प्रकार प्लान करता है कि जब लौटकर आए तो जीपीएस के माध्यम से अलग-अलग खूबसूरत तस्वीर बन जाए। वो शहर को बड़ा कैनवास और साइकिल को ब्रश और पेंट समझता है। एक बार उसने भारत का नक्शा तक बनाया था। वहीं उसने खूबसूरत डायनसोर पार्क तक बना दिया था। उस दौरान उनके पीछे तीन सौ लोग साइकिलिंग करते चल रहे थे। वो साढ़े 12 घंटे साइकिलिंग करते हुए इंदौर से भोपाल तक भी पहुंच चुका है।
कुछ अलग करना चाहता था
दूल्हे अमोल का कहना है कि मेरी कुछ अलग करने की कोशिश थी। जिसमें मेरे परिवार ने साथ दिया। साइकल से निकली बारात से कई परंपराएं पूरी नहीं हो पाईं। जैसे बारात में घोड़ी पर चलने और दरवाजे से उतरने की रस्म थी लेकिन पर्यावरण बचाना है तो इस तरह के काम करने होंगे। पर्यावरण बचेगा तो मनुष्य का भविष्य सुरक्षित रह पाएगा। वहीं, दुल्हन का कहना है कि ये अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत अच्छा लगा। ये प्रदूषण से बचाने औैर लोगों की अच्छी सेहत की पहल है। जो दूसरे लोगों को भी अपनानी चाहिए।
रिपोर्ट – संजय कुमार