क्या BJP को सपोर्ट कर सत्ता में लौटना चाहती हैं मायावती? आखिर विपक्ष से क्यों बना रही दूरी | Mayawati want to return power by supporting BJP BSP distanced from india alliance SP PDA | News 4 Social h3>
क्या ED-CBI की डर से मायावती कर रहीं बीजेपी को सपोर्ट ?
बसपा सुप्रीमो मायावती पर आय से अधिक संपत्ति और ताज कॉरिडोर घोटाले (Taj Corridor Scam) के मामले में फंसी हुई हैं। इसमें से आय से अधिक संपत्ति केस सीबीआई (CBI) ने 2013 में बंद कर दिया था। लेकिन 2023 में ताज कॉरिडोर घोटाले मामले में CBI से मायावती के खिलाफ एक्शन लेना शुरु कर दिया था। साल 2002 में मायावती ने आगरा के ताजमहल और उसके आसपास के इलाके को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने के लिए इस परियोजना की शुरुआत की थी। विपक्षी नेता बार बार ये कहते हैं कि ED-CBI की डर की वजह से मायावती पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ मुखरता से नहीं बोलती। 2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह ED और CBI से डर गई हैं।
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#WATCH Mayawatiji didn’t fight elections, we sent her the message to form an alliance but she didn’t respond. Kanshi Ram Ji raised voice of Dalits in UP, though it affected Congress. This time she didn’t fight for Dalit voices because there are CBI, ED & Pegasus: Rahul Gandhi pic.twitter.com/Jf7nvHAec0
— ANI (@ANI) April 9, 2022
2012 यूपी विधानसभा चुनाव से BSP की कम होती जा रही राजनीतिक ताकत
कभी उत्तर प्रदेश के सियासी हलके में बसपा और मायावती का बोल बाला था। मायावती 4 बार (1995, 1997, 2002 & 2007) यूपी की सीएम रही हैं। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद से बसपा और मायावती दोनों के बुरे दिन शुरू हो गए। साल 2012 के यूपी विधानसभा की कुल 403 सीटों में से बसपा ने 80 सीट जीती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी के कुल 80 सीटों में से बसपा 20 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव के मोदी लहर में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 71 और उसकी सहयोगी दल अपना दल एस को 2 सीटें मिली थी। उत्तर प्रदेश में सत्ता में काबिज होने के बावजूद अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी मात्र 5 सीटें जीत सकी। जबकि मायावती की बसपा पार्टी खाता तक नहीं खोल सकी।
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2017 यूपी विधानसभा में बसपा की हुई और बुरी हालत
2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो- तिहाई बहुमत से प्रदेश के सत्ता में अपने 14 वर्ष के वनवास को खत्म किया। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 325, समाजवादी पार्टी 47, कांग्रेस को 7 जबकि बसपा मात्र 19 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 लोकसभा चुनाव में SP-BSP का गठबंधन हो गया। इस गठबंधन के बावजूद बसपा 10 लोकसभा सीट जीतने में सफल रही लेकिन अखिलेश यादव और सपा को इसका कुछ भी लाभ नहीं मिला। सपा मात्र 5 सीट जीत सकी।
2022 विधानसभा में BSP सुफड़ा हुआ साफ
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा पार्टी का सुफड़ा साफ हो गया। इस चुनाव में बीजेपी ने दोबारा प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई। बीजेपी 255 उसके सहयोगी दलों ने 18, समाजवादी पार्टी 111, राष्ट्रीय लोकदल 8 सीटें जीतने में सफल रहीं। लेकिन बसपा को इस चुनाव में मात्र 1 सीट ही मिल सकी।
BSP का लगातार कम हो रहा जनाधार
साल
वोट प्रतिशत
2007 विधानसभा चुनाव
29%
2009 लोकसभा चुनाव
27%
2012 विधानसभा चुनाव
25.91%
2014 लोकसभा चुनाव
19.60%
2017 विधानसभा चुनाव
22.23%
2019 लोकसभा चुनाव
19.43%
2022 विधानसभा चुनाव
12.88%
BJP के सहारे सत्ता में लौटना चाहती हैं मायावती!
लगातार कम होते जनाधार से मायावती और उनके पार्टी बसपा ने अपनी राजनीतिक सत्ता खो दी है। ऐसे में सत्ता में वापस के लिए मायावती ने 2019 में सपा से गठबंधन करके एक प्रयास जरुर किया था। कई बार ऐसे मौके आएं है जब मायावती बीजेपी के सपोर्ट करते हुए दिखी हैं। संसद में यदि कोई अहम बिल भी बीजेपी सरकार की तरफ से लाई गई है, तो ऐसे समय में मायावती के सांसद सदन में गैरहाजिर रहे हैं। यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में भी बसपा विधायक ने बीजेपी कैंडिडेट के पक्ष में मतदान किया है। अब कई सियासी सवाल उठते हैं कि क्या मायावती बीजेपी के सहारे सत्ता में वापस लौटना चाहती है।
क्या ED-CBI की डर से मायावती कर रहीं बीजेपी को सपोर्ट ?
बसपा सुप्रीमो मायावती पर आय से अधिक संपत्ति और ताज कॉरिडोर घोटाले (Taj Corridor Scam) के मामले में फंसी हुई हैं। इसमें से आय से अधिक संपत्ति केस सीबीआई (CBI) ने 2013 में बंद कर दिया था। लेकिन 2023 में ताज कॉरिडोर घोटाले मामले में CBI से मायावती के खिलाफ एक्शन लेना शुरु कर दिया था। साल 2002 में मायावती ने आगरा के ताजमहल और उसके आसपास के इलाके को कॉरिडोर के रूप में विकसित करने के लिए इस परियोजना की शुरुआत की थी। विपक्षी नेता बार बार ये कहते हैं कि ED-CBI की डर की वजह से मायावती पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ मुखरता से नहीं बोलती। 2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह ED और CBI से डर गई हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बड़बोलेपन का राज्यसभा चुनाव में नुकसान उठा रहें अखिलेश यादव, सपा के 8 विधायकों ने छोड़ा पार्टी का साथ
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— ANI (@ANI) April 9, 2022
2012 यूपी विधानसभा चुनाव से BSP की कम होती जा रही राजनीतिक ताकत
कभी उत्तर प्रदेश के सियासी हलके में बसपा और मायावती का बोल बाला था। मायावती 4 बार (1995, 1997, 2002 & 2007) यूपी की सीएम रही हैं। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद से बसपा और मायावती दोनों के बुरे दिन शुरू हो गए। साल 2012 के यूपी विधानसभा की कुल 403 सीटों में से बसपा ने 80 सीट जीती थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी के कुल 80 सीटों में से बसपा 20 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।
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2017 यूपी विधानसभा में बसपा की हुई और बुरी हालत
2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो- तिहाई बहुमत से प्रदेश के सत्ता में अपने 14 वर्ष के वनवास को खत्म किया। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 325, समाजवादी पार्टी 47, कांग्रेस को 7 जबकि बसपा मात्र 19 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 लोकसभा चुनाव में SP-BSP का गठबंधन हो गया। इस गठबंधन के बावजूद बसपा 10 लोकसभा सीट जीतने में सफल रही लेकिन अखिलेश यादव और सपा को इसका कुछ भी लाभ नहीं मिला। सपा मात्र 5 सीट जीत सकी।
2022 विधानसभा में BSP सुफड़ा हुआ साफ
2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा पार्टी का सुफड़ा साफ हो गया। इस चुनाव में बीजेपी ने दोबारा प्रदेश की सत्ता में काबिज हुई। बीजेपी 255 उसके सहयोगी दलों ने 18, समाजवादी पार्टी 111, राष्ट्रीय लोकदल 8 सीटें जीतने में सफल रहीं। लेकिन बसपा को इस चुनाव में मात्र 1 सीट ही मिल सकी।
BSP का लगातार कम हो रहा जनाधार
साल | वोट प्रतिशत |
2007 विधानसभा चुनाव | 29% |
2009 लोकसभा चुनाव | 27% |
2012 विधानसभा चुनाव | 25.91% |
2014 लोकसभा चुनाव | 19.60% |
2017 विधानसभा चुनाव | 22.23% |
2019 लोकसभा चुनाव | 19.43% |
2022 विधानसभा चुनाव | 12.88% |
BJP के सहारे सत्ता में लौटना चाहती हैं मायावती!
लगातार कम होते जनाधार से मायावती और उनके पार्टी बसपा ने अपनी राजनीतिक सत्ता खो दी है। ऐसे में सत्ता में वापस के लिए मायावती ने 2019 में सपा से गठबंधन करके एक प्रयास जरुर किया था। कई बार ऐसे मौके आएं है जब मायावती बीजेपी के सपोर्ट करते हुए दिखी हैं। संसद में यदि कोई अहम बिल भी बीजेपी सरकार की तरफ से लाई गई है, तो ऐसे समय में मायावती के सांसद सदन में गैरहाजिर रहे हैं। यूपी की 10 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में भी बसपा विधायक ने बीजेपी कैंडिडेट के पक्ष में मतदान किया है। अब कई सियासी सवाल उठते हैं कि क्या मायावती बीजेपी के सहारे सत्ता में वापस लौटना चाहती है।