क्या सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेने का अवसर मिले? | Should the MPs get an opportunity to decide on the voice of conscience | Patrika News h3>
अंतरात्मा की आवाज
सांसदों को व्हिप के आधार पर पार्टी निर्णय को मानने को बाध्य कर दिया जाता है। यह अंतरात्मा की आवाज नहीं है। जब भी निर्णय में द्वंद्व की स्थिति हो। मन में बेचैनी और विचलन हो, तब तब मनुष्य की अंतरात्मा की आवाज ही सत्य निर्णय दे सकती है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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दल के प्रति समर्पण नहीं रहेगा
सांसद अंतरात्मा की आवाज पर बोलेंगे, तब दल का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। सांसद आवश्यकता पडऩे पर व्हिप के माध्यम से दल के प्रति समर्पण दर्शाते हैं। सांसदगण संसद में बोलने के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं।
-प्रहलाद यादव, महू, मध्य प्रदेश
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आम जनता को भूल जाते हैं सांसद
आजकल ज्यादातर नेता मौका पड़ते ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो देश में घोटाले नहीं होते। जो सांसद चुनाव जीत जाने के बाद आमजन को भूल जाते हैं, लोकतंत्र के मंदिर संसद में जाकर बेवजह हो हल्ला करते हैं, जो पैसों की खातिर राजनीति में आते हैं, उन्हें अपनी अंतरात्मा से खुद ही सवाल करना चाहिए कि वे क्या सही कर रहे हैं? अंतरात्मा कभी भी किसी को भी गलत करने की इजाजत नहीं देती।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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जनता से जुड़ें सांसद
सभी सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय का अवसर मिलना चाहिए। सांसदों को लोगों से अधिक से अधिक जुड़ाव के लिए सप्ताह में दो बार अपने संसदीय क्षेत्र में जनदर्शन कार्यक्रम चलाना चाहिए और समस्याओं का मौके पर ही निराकरण करना चाहिए। सदन में भी क्षेत्र से जुड़े हुए मुद्दों को प्रमुखता से उठाना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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जवाबदेही तय की जाए
सभी सांसदों को अपनी अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेने का अवसर मिलना चाहिए। वर्तमान में अधिकतर विधेयक ध्वनिमत से पारित कर लिए जाते हैं तथा ज्यादातर सांसद ऐसे मौकों पर संसद में उपस्थित भी नहीं रहते हैं। संसदीय लोकतंत्र में सांसदों की जवाबदेही तय करना बहुत जरूरी हो गया है।
-माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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चिंताजनक स्थिति
विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किया जाने लगा है, सदन में वोट दर्ज करने के लिए कभी कभार ही सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है। संसद की उत्पादकता उल्लेखनीय है, पर बहस की परम्परा लुप्त होती जा रही है। यह वाकई चिंताजनक है।
– राजन वर्मा , सूरतगढ़,
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सांसदों की जिम्मेदारी
अंतरात्मा की आवाज ईश्वरीय आदेश होता है कि अमुक इंसान को क्या करना है, क्या नहीं। सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेना चाहिए। सांसदों को कुछ अच्छा करने का मौका आम लोगों के कारण मिला है तो अंतरात्मा की आवाज सुनकर निर्णय लेना इनकी जिम्मेदारी बनती है।
-अशोक कुमार शर्मा, जयपुर
अंतरात्मा की आवाज
सांसदों को व्हिप के आधार पर पार्टी निर्णय को मानने को बाध्य कर दिया जाता है। यह अंतरात्मा की आवाज नहीं है। जब भी निर्णय में द्वंद्व की स्थिति हो। मन में बेचैनी और विचलन हो, तब तब मनुष्य की अंतरात्मा की आवाज ही सत्य निर्णय दे सकती है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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दल के प्रति समर्पण नहीं रहेगा
सांसद अंतरात्मा की आवाज पर बोलेंगे, तब दल का कोई महत्त्व नहीं रहेगा। सांसद आवश्यकता पडऩे पर व्हिप के माध्यम से दल के प्रति समर्पण दर्शाते हैं। सांसदगण संसद में बोलने के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं।
-प्रहलाद यादव, महू, मध्य प्रदेश
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आम जनता को भूल जाते हैं सांसद
आजकल ज्यादातर नेता मौका पड़ते ही भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो देश में घोटाले नहीं होते। जो सांसद चुनाव जीत जाने के बाद आमजन को भूल जाते हैं, लोकतंत्र के मंदिर संसद में जाकर बेवजह हो हल्ला करते हैं, जो पैसों की खातिर राजनीति में आते हैं, उन्हें अपनी अंतरात्मा से खुद ही सवाल करना चाहिए कि वे क्या सही कर रहे हैं? अंतरात्मा कभी भी किसी को भी गलत करने की इजाजत नहीं देती।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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जनता से जुड़ें सांसद
सभी सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय का अवसर मिलना चाहिए। सांसदों को लोगों से अधिक से अधिक जुड़ाव के लिए सप्ताह में दो बार अपने संसदीय क्षेत्र में जनदर्शन कार्यक्रम चलाना चाहिए और समस्याओं का मौके पर ही निराकरण करना चाहिए। सदन में भी क्षेत्र से जुड़े हुए मुद्दों को प्रमुखता से उठाना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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जवाबदेही तय की जाए
सभी सांसदों को अपनी अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेने का अवसर मिलना चाहिए। वर्तमान में अधिकतर विधेयक ध्वनिमत से पारित कर लिए जाते हैं तथा ज्यादातर सांसद ऐसे मौकों पर संसद में उपस्थित भी नहीं रहते हैं। संसदीय लोकतंत्र में सांसदों की जवाबदेही तय करना बहुत जरूरी हो गया है।
-माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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चिंताजनक स्थिति
विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किया जाने लगा है, सदन में वोट दर्ज करने के लिए कभी कभार ही सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाती है। संसद की उत्पादकता उल्लेखनीय है, पर बहस की परम्परा लुप्त होती जा रही है। यह वाकई चिंताजनक है।
– राजन वर्मा , सूरतगढ़,
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सांसदों की जिम्मेदारी
अंतरात्मा की आवाज ईश्वरीय आदेश होता है कि अमुक इंसान को क्या करना है, क्या नहीं। सांसदों को अंतरात्मा की आवाज पर निर्णय लेना चाहिए। सांसदों को कुछ अच्छा करने का मौका आम लोगों के कारण मिला है तो अंतरात्मा की आवाज सुनकर निर्णय लेना इनकी जिम्मेदारी बनती है।
-अशोक कुमार शर्मा, जयपुर