क्या महबूबा मुफ्ती के कहने पर पाकिस्तान से बात करेगी मोदी सरकार? जानिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का जवाब h3>
Jitendra Singh reply to Mehbooba Mufti: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के बयान का जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान (Talk with Pakistan) से तभी बात होगी जब वहां से आतंकवाद रुकेगा। गोलियों की गूंज में संवाद नहीं हो सकता है। वह यह भी बोले कि बीजेपी अपने लोगों से बात करेगी या विदेश के लोगों से। यह फैसला पूरी तरह से विदेश मंत्रालय का होगा कि पाकिस्तान से बात करनी है या नहीं। कोई भी खड़ा होकर यह राय नहीं दे सकता कि किससे बात करनी चाहिए और किससे नहीं। शनिवार को महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी सरकार से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के लोगों के साथ बातचीत की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, तब तक शांति नहीं आएगी।
क्या बोली थीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम?
महबूबा मुफ्ती ने कहा था, ‘कश्मीर पिछले 70 सालों से समाधान का इंतजार कर रहा है। जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक इस क्षेत्र में शांति नहीं होगी। इसके लिए पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत जरूरी है।’
महबूबा ने जम्मू के अपने सप्ताह भर के दौरे के आखिरी दिन रामबन में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सवाल किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोनों पाकिस्तान गए। लेकिन, जब हम इसके बारे में (पड़ोसी देश के साथ बातचीत करने) बात करते हैं तो वो (बीजेपी) नाराज क्यों हो जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि मौजूदा सरकार केंद्र शासित प्रदेश के अंदर और बाहर युवाओं को जेल भेजकर सिर्फ दमन की भाषा बोल रही है।
जितेंद्र सिंह ने क्या दिया जवाब?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस देश से आतंक को बढ़ावा मिल रहा है, उससे बातचीत करने का मतलब यह होगा कि आपने आतंक और संवाद को साथ-साथ चलाने का प्रयास किया है। संवाद भी उसी वातावरण में होता है जब गोली और बंदूक की आवाज शांत हो जाए। गोलीबारी की आवाज में संवाद सुनाई नहीं देता है। वह बोले, ‘भारतीय जनता पार्टी अपने लोगों से बात करेगी या विदेश के लोगों से बात करेगी। मुझे यह समझ नहीं आता है।’
जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन बातों पर संज्ञान लेने का अधिकार सिर्फ विदेश मंत्रालय के पास है। अगर मैं उठकर खड़ा हो जाऊं और कहने लगूं कि पाकिस्तान से बात करें या किसी अन्य देश से बात करें तो उसका हक किसी को नहीं है।
टीका लाल टपलू के नाम पर स्कूल
जितेंद्र सिंह ने इस दौरान यह भी बताया कि रविवार को दिल्ली में एक स्कूल का नाम टीका लाल टपलू के नाम पर रखा गया है। वह हमारे लिए सिर्फ इसलिए आदरणीय नहीं थे क्योंकि वो कश्मीर में बीजेपी प्रेसीडेंट थे, बल्कि वो कश्मीर की संस्कृति का प्रतीक थे। कश्मीर में हालात बिगड़ने पर सबसे पहले बीजेपी के कश्मीर अध्यक्ष टीका लाल टपलू की हत्या हुई थी। इसके बाद सिलसिलेवार तरीके से वहां चुनचुनकर कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया था।
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महबूबा मुफ्ती ने कहा था, ‘कश्मीर पिछले 70 सालों से समाधान का इंतजार कर रहा है। जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक इस क्षेत्र में शांति नहीं होगी। इसके लिए पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत जरूरी है।’
महबूबा ने जम्मू के अपने सप्ताह भर के दौरे के आखिरी दिन रामबन में एक कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सवाल किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोनों पाकिस्तान गए। लेकिन, जब हम इसके बारे में (पड़ोसी देश के साथ बातचीत करने) बात करते हैं तो वो (बीजेपी) नाराज क्यों हो जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि मौजूदा सरकार केंद्र शासित प्रदेश के अंदर और बाहर युवाओं को जेल भेजकर सिर्फ दमन की भाषा बोल रही है।
जितेंद्र सिंह ने क्या दिया जवाब?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस देश से आतंक को बढ़ावा मिल रहा है, उससे बातचीत करने का मतलब यह होगा कि आपने आतंक और संवाद को साथ-साथ चलाने का प्रयास किया है। संवाद भी उसी वातावरण में होता है जब गोली और बंदूक की आवाज शांत हो जाए। गोलीबारी की आवाज में संवाद सुनाई नहीं देता है। वह बोले, ‘भारतीय जनता पार्टी अपने लोगों से बात करेगी या विदेश के लोगों से बात करेगी। मुझे यह समझ नहीं आता है।’
जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन बातों पर संज्ञान लेने का अधिकार सिर्फ विदेश मंत्रालय के पास है। अगर मैं उठकर खड़ा हो जाऊं और कहने लगूं कि पाकिस्तान से बात करें या किसी अन्य देश से बात करें तो उसका हक किसी को नहीं है।
टीका लाल टपलू के नाम पर स्कूल
जितेंद्र सिंह ने इस दौरान यह भी बताया कि रविवार को दिल्ली में एक स्कूल का नाम टीका लाल टपलू के नाम पर रखा गया है। वह हमारे लिए सिर्फ इसलिए आदरणीय नहीं थे क्योंकि वो कश्मीर में बीजेपी प्रेसीडेंट थे, बल्कि वो कश्मीर की संस्कृति का प्रतीक थे। कश्मीर में हालात बिगड़ने पर सबसे पहले बीजेपी के कश्मीर अध्यक्ष टीका लाल टपलू की हत्या हुई थी। इसके बाद सिलसिलेवार तरीके से वहां चुनचुनकर कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया था।