क्या भारत का मॉरीशस बन गया है Kanpur…कभी इत्र तो कभी सर्राफा कारोबारी के यहां IT रेड

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क्या भारत का मॉरीशस बन गया है Kanpur…कभी इत्र तो कभी सर्राफा कारोबारी के यहां IT रेड

क्या भारत का मॉरीशस बन गया है Kanpur…कभी इत्र तो कभी सर्राफा कारोबारी के यहां IT रेड

सुमित शर्मा, कानपुरः यूपी के कानपुर शहर को पूंजीपतियों और कारोबारियों का हब माना जाता है। कभी इसे पूरब का मैनेचेस्‍टर कहा जाता था। आयकर विभाग, ईडी और डॉयरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) जैसी जांच एजेंसियों की नजर लगातार कानपुर के छोटे-बड़े व्यापारियों और कारोबारियों पर रहती है। जांच एजेंसिया जब भी कानपुर के किसी कारोबारी के ठिकानों पर छापेमारी करती है, तो कर चोरी का बड़ा जखीरा मिलता है। यहां बंकरों, दीवारों, बेड के गद्दों और अलमारियों में बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डियां बरामद होती हैं। सिर्फ कैश ही नहीं बल्कि विदेशी सोना भी मिलता है। यही वजह है कि जानकार कहने लगे हैं कि कानपुर भारत का मॉरीशस बनता जा रहा है। कभी इत्र कारोबारी पीयूष जैन तो कभी सर्राफा कारोबारियों के यहां आईटी रेड इसी तरफ इशारे कर रही हैं। दरअसल मॉरीशस दुनिया का कुख्‍यात टैक्‍स हेवेन देश है।

कानपुर को भारत का मॉरीशस क्यों कहा जा रहा है, इसके पीछे की वजह समझ लीजिए। आम भारतीय मॉरिशस को एक पर्यटक स्थल के रूप में जानते हैं। मॉरीशस प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से बेहद खूबसूरत है। झील, झरने और हरे-भरे घने जंगल मॉरीशस को और भी खूबसूरत बताते हैं। शादी के बाद न्यू कपल हनीमून के लिए भी मॉरीशस जाना बहुत पसंद करते हैं। दूसरी ओर, बड़े बिजनेसमैन, कारोबारी, व्यापारी, सफेदपोश नेता मॉरीशस को टैक्स चोरी का एक बड़ा अड्डा मानते हैं। ये लोग भ्रष्टाचार से कमाई गई ब्लैक मनी को वाइट करने मॉरीशस आते हैं। इसीलिए मॉरीशस भारत के बड़े कारोबारियों की सबसे ज्यादा मनपसंद स्थान है।

संधि का दुरुपयोग तेजी से हो रहा है

आपको बता दें कि भारत और मॉरीशस के बीच हुए दोहरे करारोपण संधि के तहत इंडियन कंपनियां मॉरीशस की किसी भी कंपनी से समझौता कर के एफडीआई के माध्यम से निवेश करा लेती हैं। निवेशकों की भाषा में इसे मॉरीशस रूट भी कहा जाता है। इंडिया में मॉरीशस रूट के तहत निवेश करने में कोई टैक्स नहीं देना होता है। भारत में जो कंपनियां निवेश कराती हैं, वो कैपिटल गेन्स टैक्स देने से बच जाती हैं। कई साल पहले इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स की एक रिपोर्ट सामने आई थी। इसमें कहा गया था कि 1982 में हुई इस संधि का दुरुपयोग भारतीय कंपनियों तेजी से कर रही हैं। इसके तहत भारतीय कंपनियों को मॉरीशस में टैक्स रेजीडेंसी का लाभ मिल जाता है।

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निवेश का खेलकर टैक्स चोरी

इंडियन कंपनियां जीरो कैपिटल गेन्स की श्रेणी में आ जाती हैं। मॉरीशस रूट के जरिए कंपनियां घुमाकर अपना निवेश भारत वापस ले आती हैं। इस क्रम में इंडिया को करोड़ों रुपये के टैक्स का चूना लगता है। इस तरह की टैक्स चोरी से देश के विकास की गति धीमी पड़ती है। देशवासी सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं से आम लोग वंचित रह जाते हैं। भारतीय कंपनियों के शेयर बढ़े हुए दाम में बिकना शेयर मार्केट के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन मॉरीशस रूट के जरिए होने वाले निवेश नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। माना कि किसी कंपनी के शेयरों के दाम बढ़ते हैं, देशवासी मध्यम निवेशक भी निवेश करते हैं। जबकि असलियत में उस शेयर के दाम बेहद कम होते हैं।

इसलिए कहा जा रहा है कानपुर को भारत का मॉरीशस

यूपी में सर्राफा कारोबारियों की सबसे बड़ी मंडी कानपुर है। कानपुर में राधा मोहन पुरुषोत्‍तम दास जैसे बड़े सर्राफा कारोबारियों का हब है। आयकर विभाग की टीम बीते पांच दिनों से कानपुर समेत देश के 17 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई कर रही है। राधा मोहन पुरुषोत्‍तम दास के ठिकानों पर रेड के दौरान 250 करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसके साथ ही उनकी बीएमडब्ल्यू से 12 किलोग्राम सोना भी मिला था जिसके दस्तवेज भी सर्राफा कारोबारी के पास नहीं है। आईटी विभाग की टीम राधा मोहन पुरुषोत्‍तम दास ज्वैलर्स, राधा मोहन ज्वैलर्स एंड लिमिटेड, मोनिका ज्वैलर्स, और एमराल्ड गार्डन हाउसिंग के प्रमोटर के यहां छापेमारी की कार्रवाई कर रही है।

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इत्र कारोबारी के यहां से मिला था विदेशी गोल्ड

इससे पहले डॉयरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) अहमदाबाद की टीम ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन के आदंनपुरी स्थित आवास से 177.45 करोड़ रुपये की नगदी बरामद की थी। वहीं, कन्नौज स्थित आवास से जांच टीम ने 19 करोड़ रुपये, 23 किलो सोना और 600 लीटर चंदन का तेल मिला था। इस तेल की कीमत लगभग 6 करोड़ बताई जा रही थी। कन्नौज से मिले सोने के बिस्किट में विदेशी मार्क था। इसके साथ ही कन्नौज की एसबीआई बैंक के लॉकर से 9 लाख रुपये मिले थे। वहीं, 23 किलो विदेशी सोने की कीमत 11 करोड़ 37 लाख 35 आंकी गई थी।

जांच एजेंसियों की रडार पर हैं कई बड़े पूंजीपति

सूत्रों के मुताबिक, कानपुर के कई बड़े पूंजीपति, कारोबारी और बिजनेसमैन आयकर विभाग, ईडी और डीजीजीआई की रडार पर हैं। इन लोगों का कारोबार कानपुर समेत देशभर में फैला हुआ है। इसके साथ ही हवाले के जरिए रुपयों का लेनदेन किया जाता है। इससे देश को करोड़ों रुपए के टैक्स का चूना लगाया जा रहा है।

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