क्या घर में रखी लाखों रुपये की नकदी के लिए हुआ था पति-पत्नी और बेटी का क़त्ल? पढ़ें दिल्ली की एक और अनसुलझी क्राइम मिस्ट्री h3>
पहले लूट के लिए हत्या का शक
घर के अन्य परिजनों ने जांच कर रही पुलिस टीम को बताया कि वहां से करीब 30 हजार रुपये, कुछ जूलरी, एक लैपटॉप, एक मोबाइल गायब था। इस कारण लूटपाट हत्याओं का मुख्य मकसद माना जाने लगा। इसके बाद इस तरह की वारदात करने वाले कई गैंग्स मेंबर्स को उठाकर पूछताछ भी की गई। चोरी और लूटपाट का माल खरीदने वालों को भी हिरासत में लिया गया। फिर भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। एक बार पुलिस को उम्मीद की किरण दिखी, जब एक चोर ने पूछताछ में ट्रिपल मर्डर करने की बात कबूल की। उससे पूछताछ की गई तो उसकी कहानी क्राइम सीन से मैच नहीं हुई। ना ही पुलिस को उसके खिलाफ कोई सबूत मिला। माना गया कि आरोपी चर्चित होने के लिए इस वारदात को कबूल रहा है।
किसी अपने के शामिल होने का ऐंगल
जांच में लगी पुलिस टीम को पता चला कि दो साल पहले योगेंद्र के बेटे की सड़क हादसे में मौत हुई थी, जिसके केस में उन्हें मुआवजे के तौर पर करीब 35 लाख रुपये मिले थे। इसके अलावा रोजी का पति से तलाक हुआ था। रोजी को भी पति से कुछ कैश मिला था। हत्यारों की घर में फ्रेंडली एंट्री थी। घर में चाय के जूठे कप भी रखे हुए थे। इन सब बातों से यह माना गया कि हत्यारे जानकार ही थे। उन्हें घर में रखे कैश के बारे में भी पता था। पुलिस ने चाय के कप से डीएनए लिए तो उम्मीद जगी कि यह केस भी जल्द सुलझ जाएगा, मगर पुलिस की इस आस पर भी पानी फिर गया। डीएनए परिवार के किसी सदस्य से मैच नहीं हुए। वह किसी बाहरी के निकले।
कॉल रेकॉर्ड से पूर्व दामाद पर शक
आपसी ऐंगल तलाशने के लिए पुलिस ने इस मामले में योगेंद्र और रोजी की कॉल डिटेल्स का रेकॉर्ड खंगाला। इससे खुलासा हुआ कि योगेंद्र की 20 सितंबर को ही दूसरी बेटी हेमा के पूर्व पति से बात हुई थी। वह राजस्थान में रहता था। पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए बुलाया था, मगर उसकी पूछताछ में भी ऐसा कुछ नहीं निकला, जिससे उस पर शक किया जा सके।