क्या एमपी में सीएम बदलेगी बीजेपी? त्रिपुरा में जीत से बढ़ी चर्चाएं

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क्या एमपी में सीएम बदलेगी बीजेपी? त्रिपुरा में जीत से बढ़ी चर्चाएं

क्या एमपी में सीएम बदलेगी बीजेपी? त्रिपुरा में जीत से बढ़ी चर्चाएं


Reported by पूनम पाण्डे | Edited by आदित्य पूजन | नवभारत टाइम्स | Updated: 4 Mar 2023, 9:07 am

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत से पार्टी खुश है, लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, त्रिपुरा की जीत से एक बार फिर एमपी में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो गई हैं। जानकारी के मुताबिक गुजरात और उत्तराखंड की तरह बीजेपी एमपी में भी विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदल सकती है।

 

हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश में फिर तेज हुईं नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं
  • विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदल सकती है बीजेपी
  • एमपी में आदिवासी चेहरे को कमान सौंप सकती है पार्टी
नई दिल्ली/भोपाल: बीजेपी क्या मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले वहां गुजरात और उत्तराखंड का फॉर्मूला दोहरा सकती है? इसकी चर्चाएं तेज हो गई हैं। वैसे तो काफी वक्त से बीच बीच में यह चर्चा उठती रही है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में सीएम बदल सकती है लेकिन त्रिपुरा के नतीजों के बाद यह कयासबाजी और तेज हुई है।

मध्य प्रदेश बीजेपी के कई नेताओं से अनौपचारिक बातचीत में इस बात के संकेत मिले कि पार्टी के भीतर इसकी चर्चा चल रही है कि क्या अप्रैल-मई तक बीजेपी मध्य प्रदेश को नया सीएम दे सकती है? बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर नेता और कार्यकर्ता क्या सोचते हैं, इसकी जानकारी नेतृत्व को है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्य प्रदेश इकाई ने भी अपना फीडबैक दिया है।

अप्रैल-मई में बदल सकता है सीएम

मध्य प्रदेश में नवंबर तक नई विधानसभा का गठन होना है। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि इसकी संभावना ज्यादा लग रही है कि पार्टी अगर बदलाव करेगी तो अप्रैल-मई के महीने में कर सकती है। इससे अगर किसी ऐसे व्यक्ति को सीएम बनाया जाता है जो अभी विधानसभा का सदस्य नहीं है तो चुनाव से पहले किसी सीट पर उपचुनाव की नौबत नहीं आएगी। दरअसल नियम के मुताबिक अगर किसी ऐसे व्यक्ति को सीएम बनाया जाता है जो विधानसभा का सदस्य नहीं है तो उसका छह महीने के भीतर सदस्य बनना जरूरी है।

नामों को लेकर लग रहे कयास

पार्टी के भीतर बदलाव की कयासबाजी के बीच नए सीएम के लिए कई नामों पर कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर लोग मान रहे हैं कि पार्टी आदिवासी पर दांव लगा सकती है। इसके पीछे उनके तर्क भी हैं।

आदिवासी चेहरे पर दांव लगा सकती है बीजेपी

मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। इनमें से 80 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासियों का प्रभाव है। आदिवासी वोटर यहां जीत-हार तय करते हैं। वैसे राज्य में एसटी रिजर्व सीट 47 हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासियों ने झटका दिया था। तब एसटी रिजर्व सीट में से 30 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। अब बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोट बैंक के लिए अलग अलग जुगत लगा रही हैं। बीजेपी जहां आदिवासियों को अपने पाले में वापस लाना चाहती है, वहीं कांग्रेस अपना दबदबा बरकरार रखने की कोशिश में है। आदिवासियों के एक बड़े संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पिछले चुनाव में ये कांग्रेस के साथ थे। कांग्रेस इन्हें इस बार भी साथ रखने की कोशिश कर रही है। जयस के संरक्षक कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन अभी वह बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं।

त्रिपुरा में जीत से तेज हुई चर्चाएं

बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में जीत के लिए आदिवासी वोटर्स को साथ लाना जरूरी है। बीजेपी ने राज्य में विकास यात्रा निकाली तो कई जगह आदिवासी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा। बीजेपी के भीतर इस पर भी मंथन हुआ है। बीजेपी का चुनाव से पहले सीएम बदलने का फॉर्मूला गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में कारगर हुआ है। जहां पार्टी ने चुनाव से पहले सीएम बदला और सत्ता में वापसी की। मध्य प्रदेश में भी बीजेपी के भीतर चर्चा तेज है।

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