कौन हैं अमेरिका की सांसद इल्हान उमर जिन्होंने मोदी के नाम पर बाइडन की नाक में कर दिया दम? h3>
नई दिल्ली : भारत ने अमेरिकी सांसद इल्हान उमर के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) दौरे की कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ब्रीफिंग में उमर को एजेंडावादी बताते हुई जबर्दस्त फटकार लगाई। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि अपने यहां संकीर्ण सोच वाली राजनीति करना उनका काम है, लेकिन ऐसी नेता अगर हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करेंगी तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बागची ने बेहिचक कहा, ‘उनकी यह यात्रा निंदनीय है।’अमेरीका के जो बाइडन प्रशासन ने भी पीओके दौरे को उमर की व्यक्तिगत गतिविधि बताकर खुद को उनसे अलग कर लिया है। दरअसल, डेमोक्रेट सांसद उमर ने बाइडन प्रशासन को पहली बार सांसत में नहीं डाला है, वो भारत के मामले में ही कई बार अपनी ही सरकार की नाक में दम कर चुकी हैं। आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं इल्हान उमर…
शरणार्थी से सांसद तक का सफर
अमेरिकी प्रतिनिधिसभा (U.S. House of Representatives) की सदस्य इल्हान उमर, पाकिस्तान की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। प्रतिनिधि सभा की वेबसाइट पर इल्हान के उमर के बारे में बताया गया है कि वो पहली अफ्रीकी शरणार्थी हैं जो चुनाव जीतकर अमेरिकी संसद पहुंच गईं। उमर 2019 में मिनिसोटा से सांसद चुनी गईं। इस संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाली वह पहली अश्वेत महिला भी हैं। साथ ही, अमेरिकी संसद पहुंचने वाली पहली दो मुस्लिम-अमेरिकी महिलाओं में भी शामिल हैं।
सोमालिया में जन्मीं उमर के परिवार ने गृह युद्ध के कारण तब देश छोड़ दिया था जब उनकी उम्र महज आठ वर्ष थी। उमर के परिवार ने केन्या के शरणार्थी शिविर में चार साल बिताए और फिर 1990 के दशक में अमेरिका चला आया। दादा ने उमर को उनकी किशोरावस्था में ही राजनीति में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। वह 2016 में चुनाव जीतकर मिनिसोटा की प्रतिनिधि सभा पहुंचीं और तीन साल बाद 2019 में वो अमेरिकी संसद के लिए चुनी गईं।
इल्हान उमर ने अपने ट्विटर हैंडल पर दिए गए परिचय में खुद को एक ऐसी दुनिया के निर्माण की लड़ाई लड़ने वाली के रूप में पेश किया है जहां हर किसी को न्याय मिले, किसी पर अत्याचार नहीं हो, किसी के साथ भेदभाव या पक्षपात नहीं हो। वहीं, अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की वेबसाइट पर इल्हान का प्रोफाइल पेज कहता है कि वो अमेरिकियों के बीच विभेद पैदा करने की कोशिशों और अधिकारों एवं आजादियों को छीनने वाली विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ मुखर रहती हैं ताकि अमेरिका में समावेशी और संवेदनशील संस्कृति की जड़ें और गहरी हों।
नारा स्वतंत्रता-समानता का, लेकिन पैरोकारी कट्टर इस्लाम की
इल्हान उमर भले ही खुद को स्वतंत्रता-समानता का पहरुआ घोषित करती हों, लेकिन हकीकत में कट्टर इस्लाम के प्रति उनका झुकाव साफ-साफ झलकता है। वो बुरका, हिजाब और इस्लामोफोबिया की जबर्दस्त पैरोकार हैं। उन्होंने ही अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में वैश्विक स्तर पर इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए विशेष प्रतिनिधि का पद सृजित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन, उनके इस कदम की रिपब्लिकन पार्टी के टिकट पर अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव लड़ चुकीं एक और मुस्लिम नेता डालिया अल-अकिदी (Dalia Al-Aqidi) ने ही जबर्दस्त विरोध किया है। उन्होंने अरब न्यूज में एक लेख लिखकर पूछा है कि क्या इस्लाम के नाम पर आतंकी वारदातों को अंजाम देने वालों को मुस्लिम आतंकी कहना भी इस्लामोफोबिया के दायरे में आएगा?
वो कहती हैं कि इस्लामोफोबिया की राजनीति मुस्लिम दुनिया के लिए ही अभिशाप बनेगी। अकिदी लिखती हैं, ‘एक अमेरिकी मुस्लिम के तौर पर मैं अपनी जैसी सोच वाली अन्य मुसलमानों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर इस (इस्लामोफोबिया) बिल का विरोध करती हूं। हमें राजनीतिक इस्लाम के बारे में अच्छे से पता है, इसलिए ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हूं।’ वो आगे कहती हैं, ‘इस्लामोफोबिया शब्द अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है, खासकर इसलिए क्योंकि यह पॉलिटिकल इस्लामिस्टों का आविष्कार है जो उन मुसलमानों को भी चुप रखना चाहते हैं जो उनके इरादों पर संदेह जाहिर करते हैं और धार्मिक आजादी के नाम पर उनकी एकधिकारवादी विचाराधारा का विरोध करते हैं।’
वो पूछती हैं, ‘क्या हमास को आतंकवादी समूह कहना भी इस्लामोफोबिया है? इस्लामी जिहादियों के आत्मघाती हमले की नींदा करना क्या कहलाएगा? सबसे बड़ी बात, क्या मुस्लिम ब्रदरहुड (मुस्लिम उम्मा) की विचाराधारा के खिलाफ या उसके विरोधियों के साथ खड़ा होना क्या इस्लामोफोबिया है? क्या उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए?’ वो कहती हैं कि इल्हान उमर दुनियाभर में मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने का दंभ भरती हैं, लेकिन आर्मेनिया में हुए नरसंहार पर निंदा प्रस्ताव का विरोध करती हैं क्योंकि इससे तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोगन की छवि खराब होती है जिनका इल्हान उमर से दोस्ताना संबंध है।
राष्ट्रीय हित पर हावी इस्लामी एजेंडा
इल्हान उमर कश्मीर, भारतीय मुसलमान, बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी कई विवादित बयान दे चुकी हैं। खासकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर वो अपने बाइडन प्रशासन के लिए ही अप्रिय स्थितियां तैयार करती रहती हैं। उन्होंने इसी महीने की 6 तारीख को अमेरिकी संसद में यहां तक कह दिया कि आखिर मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ और क्या-क्या जुल्म करेगी तब जाकर बाइडन प्रशासन कुछ कहेगा? एजेंडा तैयार करके उसे हवा देने में माहिर उमर ने भारत समेत कई देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों को ‘ऐतिहासिक अन्याय’ की संज्ञा दे दी। अब सोचिए कि जो अमेरिका, भारत के साथ अपने रिश्तों को नई ऊंचाइयां देने को तत्पर रहता है, उसका एक सांसद ही इस प्रयास पर पानी फेरने को उतावली है। समझा जा सकता है कि इल्हान उमर पर इस्लामी एजेंडा किस कदर हावी है कि वह अमेरिका के राष्ट्रीय हितों की भी परवाह नहीं कर रही हैं।
मुस्लिम उदारवादियों के उमर पर गंभीर आरोप
सोमालिया में ही पैदा हुईं मानवाधिकार कार्यकर्ता अयान हिरसी अली (Ayaan Hirsi Ali) कहती हैं कि इल्हान उमर उन मुसलमानों में शामिल हैं जो दुनिया में जो भी गलत हो रहा है, उसके लिए एकमात्र दोषी यहूदियों को मानती हैं। उनमें गैर-मुसलमानों के प्रति नफरत कूट-कूटकर भरी है क्योंकि उन्हें बचपन से यही सिखाया गया है। अयान ने 12 जुलाई, 2019 को वॉल स्ट्रीट जर्नल में Can Ilhan Omar Overcome Her Prejudice? शीर्षक से लिखे लेख में कहा है कि किसी के मन में किसी के प्रति प्रति नफरत घर कर जाए तो उससे उबरना मुश्किल होता है। इल्हान उमर के साथ भी यही बात लागू है। इधर, भारत में काफी चर्चित पाकिस्तानी मूल के कनाडियन पत्रकार और लेखक तारेक फतेह भी इल्हान उमर को कट्टर इस्लामी करार देते हैं। वो कहते हैं कि इल्हान उमर जिहादी और पॉलिटिकल इस्लाम की झंडेबरदार हैं जो अमेरिका के समाज और वहां की राजनीति को भी कट्टर इस्लाम के रंग में रंगने को आतुर हैं जिसका पूरी दुनिया पर असर होगा।
शरणार्थी से सांसद तक का सफर
अमेरिकी प्रतिनिधिसभा (U.S. House of Representatives) की सदस्य इल्हान उमर, पाकिस्तान की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। प्रतिनिधि सभा की वेबसाइट पर इल्हान के उमर के बारे में बताया गया है कि वो पहली अफ्रीकी शरणार्थी हैं जो चुनाव जीतकर अमेरिकी संसद पहुंच गईं। उमर 2019 में मिनिसोटा से सांसद चुनी गईं। इस संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाली वह पहली अश्वेत महिला भी हैं। साथ ही, अमेरिकी संसद पहुंचने वाली पहली दो मुस्लिम-अमेरिकी महिलाओं में भी शामिल हैं।
सोमालिया में जन्मीं उमर के परिवार ने गृह युद्ध के कारण तब देश छोड़ दिया था जब उनकी उम्र महज आठ वर्ष थी। उमर के परिवार ने केन्या के शरणार्थी शिविर में चार साल बिताए और फिर 1990 के दशक में अमेरिका चला आया। दादा ने उमर को उनकी किशोरावस्था में ही राजनीति में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। वह 2016 में चुनाव जीतकर मिनिसोटा की प्रतिनिधि सभा पहुंचीं और तीन साल बाद 2019 में वो अमेरिकी संसद के लिए चुनी गईं।
इल्हान उमर ने अपने ट्विटर हैंडल पर दिए गए परिचय में खुद को एक ऐसी दुनिया के निर्माण की लड़ाई लड़ने वाली के रूप में पेश किया है जहां हर किसी को न्याय मिले, किसी पर अत्याचार नहीं हो, किसी के साथ भेदभाव या पक्षपात नहीं हो। वहीं, अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की वेबसाइट पर इल्हान का प्रोफाइल पेज कहता है कि वो अमेरिकियों के बीच विभेद पैदा करने की कोशिशों और अधिकारों एवं आजादियों को छीनने वाली विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ मुखर रहती हैं ताकि अमेरिका में समावेशी और संवेदनशील संस्कृति की जड़ें और गहरी हों।
नारा स्वतंत्रता-समानता का, लेकिन पैरोकारी कट्टर इस्लाम की
इल्हान उमर भले ही खुद को स्वतंत्रता-समानता का पहरुआ घोषित करती हों, लेकिन हकीकत में कट्टर इस्लाम के प्रति उनका झुकाव साफ-साफ झलकता है। वो बुरका, हिजाब और इस्लामोफोबिया की जबर्दस्त पैरोकार हैं। उन्होंने ही अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में वैश्विक स्तर पर इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए विशेष प्रतिनिधि का पद सृजित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन की मंजूरी भी मिल गई। लेकिन, उनके इस कदम की रिपब्लिकन पार्टी के टिकट पर अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव लड़ चुकीं एक और मुस्लिम नेता डालिया अल-अकिदी (Dalia Al-Aqidi) ने ही जबर्दस्त विरोध किया है। उन्होंने अरब न्यूज में एक लेख लिखकर पूछा है कि क्या इस्लाम के नाम पर आतंकी वारदातों को अंजाम देने वालों को मुस्लिम आतंकी कहना भी इस्लामोफोबिया के दायरे में आएगा?
वो कहती हैं कि इस्लामोफोबिया की राजनीति मुस्लिम दुनिया के लिए ही अभिशाप बनेगी। अकिदी लिखती हैं, ‘एक अमेरिकी मुस्लिम के तौर पर मैं अपनी जैसी सोच वाली अन्य मुसलमानों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर इस (इस्लामोफोबिया) बिल का विरोध करती हूं। हमें राजनीतिक इस्लाम के बारे में अच्छे से पता है, इसलिए ऐसे किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हूं।’ वो आगे कहती हैं, ‘इस्लामोफोबिया शब्द अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है, खासकर इसलिए क्योंकि यह पॉलिटिकल इस्लामिस्टों का आविष्कार है जो उन मुसलमानों को भी चुप रखना चाहते हैं जो उनके इरादों पर संदेह जाहिर करते हैं और धार्मिक आजादी के नाम पर उनकी एकधिकारवादी विचाराधारा का विरोध करते हैं।’
वो पूछती हैं, ‘क्या हमास को आतंकवादी समूह कहना भी इस्लामोफोबिया है? इस्लामी जिहादियों के आत्मघाती हमले की नींदा करना क्या कहलाएगा? सबसे बड़ी बात, क्या मुस्लिम ब्रदरहुड (मुस्लिम उम्मा) की विचाराधारा के खिलाफ या उसके विरोधियों के साथ खड़ा होना क्या इस्लामोफोबिया है? क्या उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए?’ वो कहती हैं कि इल्हान उमर दुनियाभर में मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने का दंभ भरती हैं, लेकिन आर्मेनिया में हुए नरसंहार पर निंदा प्रस्ताव का विरोध करती हैं क्योंकि इससे तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोगन की छवि खराब होती है जिनका इल्हान उमर से दोस्ताना संबंध है।
राष्ट्रीय हित पर हावी इस्लामी एजेंडा
इल्हान उमर कश्मीर, भारतीय मुसलमान, बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी कई विवादित बयान दे चुकी हैं। खासकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर वो अपने बाइडन प्रशासन के लिए ही अप्रिय स्थितियां तैयार करती रहती हैं। उन्होंने इसी महीने की 6 तारीख को अमेरिकी संसद में यहां तक कह दिया कि आखिर मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ और क्या-क्या जुल्म करेगी तब जाकर बाइडन प्रशासन कुछ कहेगा? एजेंडा तैयार करके उसे हवा देने में माहिर उमर ने भारत समेत कई देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों को ‘ऐतिहासिक अन्याय’ की संज्ञा दे दी। अब सोचिए कि जो अमेरिका, भारत के साथ अपने रिश्तों को नई ऊंचाइयां देने को तत्पर रहता है, उसका एक सांसद ही इस प्रयास पर पानी फेरने को उतावली है। समझा जा सकता है कि इल्हान उमर पर इस्लामी एजेंडा किस कदर हावी है कि वह अमेरिका के राष्ट्रीय हितों की भी परवाह नहीं कर रही हैं।
मुस्लिम उदारवादियों के उमर पर गंभीर आरोप
सोमालिया में ही पैदा हुईं मानवाधिकार कार्यकर्ता अयान हिरसी अली (Ayaan Hirsi Ali) कहती हैं कि इल्हान उमर उन मुसलमानों में शामिल हैं जो दुनिया में जो भी गलत हो रहा है, उसके लिए एकमात्र दोषी यहूदियों को मानती हैं। उनमें गैर-मुसलमानों के प्रति नफरत कूट-कूटकर भरी है क्योंकि उन्हें बचपन से यही सिखाया गया है। अयान ने 12 जुलाई, 2019 को वॉल स्ट्रीट जर्नल में Can Ilhan Omar Overcome Her Prejudice? शीर्षक से लिखे लेख में कहा है कि किसी के मन में किसी के प्रति प्रति नफरत घर कर जाए तो उससे उबरना मुश्किल होता है। इल्हान उमर के साथ भी यही बात लागू है। इधर, भारत में काफी चर्चित पाकिस्तानी मूल के कनाडियन पत्रकार और लेखक तारेक फतेह भी इल्हान उमर को कट्टर इस्लामी करार देते हैं। वो कहते हैं कि इल्हान उमर जिहादी और पॉलिटिकल इस्लाम की झंडेबरदार हैं जो अमेरिका के समाज और वहां की राजनीति को भी कट्टर इस्लाम के रंग में रंगने को आतुर हैं जिसका पूरी दुनिया पर असर होगा।