कोर्ट को चकमा देने वाली फर्जी जमानती गैंग: मर चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाकर बदलते पहचान; 1000 रुपए लेकर गारंटी लेते – Jaipur News h3>
राजस्थान में पहली बार कोर्ट की आंखों में धूल झोंक कर फर्जी जमानत देने वाली गैंग पकड़ी गई है। इस गैंग के सदस्य महज 1 हजार से 10 हजार रुपए लेकर कोर्ट में गंभीर आरोपियों के लिए जमानती बन जाते थे।
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गैंग के 3 आरोपियों को जयपुर की सदर थाना पुलिस ने पकड़ा है। गैंग सैकड़ों आरोपियों की जमानत करवा चुकी है। ये ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन शातिर इतने हैं कि फर्जी आधार कार्ड बनाने में ऐसे लोगों के नाम और पते इस्तेमाल करते हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
आरोपी तब पकड़ में आए, जब जमानत पर बाहर आया नाबालिग से रेप का एक आरोपी फरार हो गया। जब पुलिस ने जमानतियों को टटोला तो पता चला उस नाम के शख्स अब इस दुनिया में ही नहीं हैं।
क्या है ये मामला और कैसे ये गैंग करती थी काम, पढ़िए- इस रिपोर्ट में
सबसे पहले पढ़िए कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल, जयपुर के महेश नगर थाने में वर्ष 2022 में नाबालिग से रेप का एक मुकदमा (FIR संख्या 264-2022) दर्ज हुआ था। इस मुकदमे में आरोपी अमित कुमार के खिलाफ महानगर पॉक्सो कोर्ट-2 में सुनवाई चल रही थी। 10 फरवरी 2023 को पॉक्सो के आरोपी को जमानत मिल गई।
आरोपी की जमानत मोती सिंह और सीताराम नाम के दो व्यक्तियों ने दी थी। लेकिन, जमानत मिलते ही आरोपी अमित ने इस मामले से जुड़ी पेशियों में जाना बंद कर दिया। कई पेशियों में जब आरोपी कोर्ट नहीं पहुंचा तो उसके खिलाफ निचली अदालत ने वारंट जारी किया। जमानत देने वालों के खिलाफ वसूली जमानत राशि में गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया।
आरोपी जमानत के लिए ऐसे लोगों के नाम-पते इस्तेमाल करते थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।
इस मामले में एक जमानती सीताराम ने तो पेश होकर वसूली राशि जमा करा दी। लेकिन, दूसरे जमानती मोती सिंह के पते पर जब वारंट पहुंचा तो वहां से उसके परिवार के दो लोगों के कोर्ट पहुंचने पर पूरे खेल का खुलासा हुआ। परिवार से आए इन्द्रा कंवर और ओम प्रताप सिंह ने बताया कि मोती सिंह की मौत तो जमानत देने की तारीख से एक साल यानी 8 फरवरी 2022 को ही हो चुकी है। दोनों गवाहों ने मोती सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र और फोटो भी कोर्ट में पेश किया।
इसके बाद कोर्ट के आदेश पर सदर थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जमानती दस्तावेज की जांच में तथाकथित मोती सिंह और असली मोती सिंह की फोटो, आधार कार्ड दोनों अलग-अलग पाए गए। पुलिस ने तफ्तीश करते हुए 19 अप्रैल को जमानत देने वाले फर्जी मोती सिंह को गिरफ्तार कर लिया। सामने आया कि उसका असली नाम नंद सिंह सिसोदिया (70) है और मुरलीपुरा इलाके में रहता है।
पुलिस ने जमानत देने के वक्त पेश शपथ पत्र और उसके आधार कार्ड पर चस्पा फोटो से मिलान किया तो दोनों सेम पाए गए। लेकिन, असली मोती सिंह के फोटो और आधार कार्ड से मिलान नहीं हो पाया। शुरुआत में तो नंद सिंह इस मामले में आरोपों पर इनकार करता रहा।
जयपुर की सदर थाना पुलिस की गिरफ्त में मनोवर और नंद सिंह।
सख्ती से पूछताछ में उगले राज गिरफ्तारी के वक्त आरोपी नंद सिंह कब्जे से बाइक नंबर आरजे-14 डीसी 2935 का असली रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, मोती सिंह का असली आधार कार्ड XXXXXXXX5012 और खुद के असली नाम (नंद सिंह) का आधार कार्ड नंबर XXXXXXXX8682 मिला।
जब पुलिस ने नंद सिंह से सख्ती से पूछा तो उसने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि रामगंज इलाके में रहने वाले मनोवर नाम के शख्स के कहने पर उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर जमानत पेश की थी। उसने बताया कि फर्जी जमानत देने की एवज में उसे 1000-1500 रुपए मिले थे। उसने कबूला कि वह मनोवर के कहने पर पहले भी पैसों के बदले सेशन कोर्ट में कई लोगों की जमानत पेश कर चुका है।
आर्थिक स्थिति खराब होने और लालच में आकर पिछले चार साल से फर्जी जमानत देना शुरू किया था। नंद सिंह ने ये भी खुलासा किया कि मनोवर के अलावा कोर्ट परिसर में मुंशी का काम करने वाला भरत सिंह भी पैसे देकर फर्जी जमानतियों को तैयार करता है। इस काम में एक अन्य व्यक्ति राजेन्द्र फर्जी जमानतियों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने में सहयोग करता है।
जांच में ही दूसरा मामला पकड़ा
नंद सिंह ने जो खुलासा किया उसके आधार पर पुलिस ने आरोपियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसी बीच कोर्ट में फोटो कॉपी का काम करने वाले जयप्रकाश सैनी ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया। उसने बताया कि इसी साल 11 फरवरी को उसकी फोटो स्टेट की दुकान पर रामगोपाल सैनी नाम के एक शख्स के हाथ में हैसियत प्रमाण पत्र देखा था। उस हैसियत पत्र में लिखा पता रामगोपाल का न होकर जयप्रकाश के पुश्तैनी मकान का था।
इस मामले में पुलिस ने करीब दो महीने पहले आरोपी रामगोपाल सैनी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में रामगोपाल सैनी ने भी उसी भरत सिंह का नाम लिया, जिसने नंद सिंह को फर्जी जमानत के लिए तैयार किया था। रामगोपाल ने पुलिस को बताया कि भरत सिंह ने उसे रुपयों की लालच में फर्जी जमानत देने के लिए कोर्ट परिसर बुलाया था।
रामगोपाल ने पुलिस को टिप दी कि सोडाला निवासी राजेन्द्र कुमार भी इस गिरोह का सदस्य है। जो तैयार किए गए फर्जी जमानतियों के लिए हैसियत वाले ऐसे लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड तैयार करता है, जो इस दुनिया में नहीं हैं। इस काम के लिए मनोवर और भरत सिंह ही पूरा भुगतान करते हैं।
मनोवर और भरत ही असली मास्टरमाइंड
अब तक हुई तफ्तीश के बाद पुलिस ने शिकंजा कसते हुए मनोवर को गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में बताया कि वो कोर्ट परिसर में एक एडवोकेट के पास मुंशी का काम करता था। इस दौरान कोर्ट में वकालतनामा और नकल निकलवाने के दौरान कई ऐसे मुल्जिम टकराते थे, जिनके जमानती की व्यवस्था नहीं होती थी। ऐसी स्थिति में मुल्जिम जमानती की एवज में पैसे देने को तैयार रहते थे। इसलिए जरूरतमंदों को रुपयों का लालच देकर फर्जी जमानत देने के लिए तैयार कर लेता था। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से सैकड़ों फाइलें और दस्तावेज जब्त किए हैं।
एडीसीपी, जयपुर पश्चिम आलोक सिंघल ने बताया- जांच में सामने आया है कि अब तक इस गैंग ने कई आरोपियों की फर्जी जमानत दी है। फर्जी जमानती नंद सिंह उर्फ मोती सिंह पिछले चार साल से इस गैंग में काम कर रहा है। अभी गैंग के सभी सदस्यों से पूछताछ के बाद ही ये पता चल पाएगा कि किस-किस मामले में आरोपियों ने जमानत दी है। अभी निशानदेही पर और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।