कोरोना से जीतने के लिए बूस्टर डोज की है जरूरत, आखिर ऐसा क्यों सोच रहे साइंटिस्ट h3>
हाइलाइट्स:
- दुनियाभर में अब तक कोरोना वैक्सीन की 1.7 अरब डोज दी जा चुकी है
- वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स की वजह से बूस्टर डोज की हो रही चर्चा
- वायरस के खिलाफ क्रॉस रिएक्टिव प्रोटेक्शन में मददगार बताई जा रही डोज
नई दिल्ली
8 दिसंबर 2020 को 90 वर्षीय मारग्रेट कीनन कोरोना वैक्सीन लेने वाली पहली व्यक्ति थीं। उसके बाद से अब तक दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की 1.3 अरब से ज्यादा डोज दी जा चुकी है। 6 महीने से एक मुद्दा जिस पर काफी चर्चा हो रही है, वो है कि अप्रूव की गई कोरोना वैक्सीन आखिर कितने समय तक प्रभावी रहेगी। क्या कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत है। इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा इम्युन सिस्टम कितने लंबे समय तक रिस्पॉन्स करता है। साथ ही वायरस किस तरह से अपना रूप बदलता है। हालांकि, अब इस बात पर आम राय बनने लगी है कि हमें बूस्टर डोज की जरूरत हो सकती है।
इम्युन सिस्टम से तय होगी बूस्टर डोज की जरूरत
हमारे इम्युन सिस्टम में एक प्रकार का वाइट ब्लड सेल होता है जिसे बी सेल्स कहते हैं। यह टी सेल (हमारे इम्युन सिस्टम का एक और सेल) की मदद से एंटीबॉडी प्रोड्यूस करते हैं। ये वायरस से बचाव के लिए मैक्रोफेजेस तैयार करते हैं। इसे फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस कहा जाता है। बी सेल्स बैक्टीरिया और वायरस की सतह एंटीजन को पहचान सकती हैं। एंटीजन वो बाहरी पदार्थ है जो कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने के लिए एक्टिवेट करता है। सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रो. विजय एस का कहना है कि यदि कुछ वायरस फिर से हमला करते हैं तो इस स्थिति में मेमरी बी और टी सेल्स इम्युन सिस्टम को फिर से रिएक्टिवेट करते हैं।
फाइजर सीईओ बोले थे- एक साल में होगी जरूरत
पिछले महीने वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर कंपनी के सीईओ अलबर्ट बोरला ने कहा था कि पूरी तरह से वैक्सीनेशन के बाद लोगों को कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है। कुछ सप्ताह पहले ही देश में भारत बायोटेक को एंटी कोरोना वैक्सीन के तीसरे बूस्टर डोज के टेस्ट की अनुमति मिली है। इसका मतलब है कि क्या हमें बूस्टर डोज की जरूरत है। इस बारे में वेटरन वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी जैकब हां में जवाब देते हैं। जैकब ने कहा कि बूस्टर डोज के जरूरत की उम्मीद है लेकिन यह एक साल या कितने समय बाद लगेगी इस बारे में अभी कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसकी वजह है कि यह महामारी अभी महज एक साल ही पुरानी है।
वैरिएंट्स का पड़ता है प्रभाव
स्टैनफर्ड में चिल्ड्रेन हेल्थ के संक्रामक रोग के एक्सपर्ट ग्रेस ली ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा कि वायरस के नए वैरिएंट्स को टाला नहीं जा सकता है। ऐसे में सवाल यह है कि वे कितने प्रभावशाली साबित हो सकते हैं। लगातार कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं। एंटी कोरोना वैक्सीन को लेकर समय-समय पर नई स्टडी भी आ रही हैं। इसमें बताया जा रहा है कि कौन सी वैक्सीन किस वैरिएंट्स पर कितनी प्रभावी है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने यह पाया था कि फाइजर-बायोएनटेक और ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बी.1.617.2 के खिलाफ क्रमशः 88% और 60% तक प्रभावी है।
जानें, कौन सी वैक्सीन है कितनी प्रभावी
फाइजर-बायोएनटेक : mRNA वैक्सीन की दो डोज ओवरऑल 95% प्रभावी
मॉडर्ना : mRNA वैक्सीन की दो डोज ओवरऑल 95% प्रभावी (B117, B1351 और P1 के खिलाफ खासी प्रभावी)
कोविशील्ड : वायरल वेक्टर वैक्सीन की दो डोज 70% तक प्रभावी
जॉनसन एंड जॉनसन : सिंगल डोज वायरल वेक्टर वैक्सीन 66% तक प्रभावी
स्पूतनिक वी : वायरल वेक्टर वैक्सीन की दो डोज 91% तक प्रभावी
सिनोवैक : इनएक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन की दो डोज 50% तक प्रभावी
नोवावैक्स : प्रोटीन आधारित वैक्सीन की दो डोज 89% तक प्रभावी
कोवैक्सीन : इनएक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन की दो डोज 78% तक प्रभावी
हाइलाइट्स:
- दुनियाभर में अब तक कोरोना वैक्सीन की 1.7 अरब डोज दी जा चुकी है
- वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स की वजह से बूस्टर डोज की हो रही चर्चा
- वायरस के खिलाफ क्रॉस रिएक्टिव प्रोटेक्शन में मददगार बताई जा रही डोज
8 दिसंबर 2020 को 90 वर्षीय मारग्रेट कीनन कोरोना वैक्सीन लेने वाली पहली व्यक्ति थीं। उसके बाद से अब तक दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन की 1.3 अरब से ज्यादा डोज दी जा चुकी है। 6 महीने से एक मुद्दा जिस पर काफी चर्चा हो रही है, वो है कि अप्रूव की गई कोरोना वैक्सीन आखिर कितने समय तक प्रभावी रहेगी। क्या कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत है। इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि हमारा इम्युन सिस्टम कितने लंबे समय तक रिस्पॉन्स करता है। साथ ही वायरस किस तरह से अपना रूप बदलता है। हालांकि, अब इस बात पर आम राय बनने लगी है कि हमें बूस्टर डोज की जरूरत हो सकती है।
इम्युन सिस्टम से तय होगी बूस्टर डोज की जरूरत
हमारे इम्युन सिस्टम में एक प्रकार का वाइट ब्लड सेल होता है जिसे बी सेल्स कहते हैं। यह टी सेल (हमारे इम्युन सिस्टम का एक और सेल) की मदद से एंटीबॉडी प्रोड्यूस करते हैं। ये वायरस से बचाव के लिए मैक्रोफेजेस तैयार करते हैं। इसे फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस कहा जाता है। बी सेल्स बैक्टीरिया और वायरस की सतह एंटीजन को पहचान सकती हैं। एंटीजन वो बाहरी पदार्थ है जो कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने के लिए एक्टिवेट करता है। सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रो. विजय एस का कहना है कि यदि कुछ वायरस फिर से हमला करते हैं तो इस स्थिति में मेमरी बी और टी सेल्स इम्युन सिस्टम को फिर से रिएक्टिवेट करते हैं।
फाइजर सीईओ बोले थे- एक साल में होगी जरूरत
पिछले महीने वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर कंपनी के सीईओ अलबर्ट बोरला ने कहा था कि पूरी तरह से वैक्सीनेशन के बाद लोगों को कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है। कुछ सप्ताह पहले ही देश में भारत बायोटेक को एंटी कोरोना वैक्सीन के तीसरे बूस्टर डोज के टेस्ट की अनुमति मिली है। इसका मतलब है कि क्या हमें बूस्टर डोज की जरूरत है। इस बारे में वेटरन वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी जैकब हां में जवाब देते हैं। जैकब ने कहा कि बूस्टर डोज के जरूरत की उम्मीद है लेकिन यह एक साल या कितने समय बाद लगेगी इस बारे में अभी कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसकी वजह है कि यह महामारी अभी महज एक साल ही पुरानी है।
वैरिएंट्स का पड़ता है प्रभाव
स्टैनफर्ड में चिल्ड्रेन हेल्थ के संक्रामक रोग के एक्सपर्ट ग्रेस ली ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में कहा कि वायरस के नए वैरिएंट्स को टाला नहीं जा सकता है। ऐसे में सवाल यह है कि वे कितने प्रभावशाली साबित हो सकते हैं। लगातार कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं। एंटी कोरोना वैक्सीन को लेकर समय-समय पर नई स्टडी भी आ रही हैं। इसमें बताया जा रहा है कि कौन सी वैक्सीन किस वैरिएंट्स पर कितनी प्रभावी है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने यह पाया था कि फाइजर-बायोएनटेक और ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बी.1.617.2 के खिलाफ क्रमशः 88% और 60% तक प्रभावी है।
जानें, कौन सी वैक्सीन है कितनी प्रभावी
फाइजर-बायोएनटेक : mRNA वैक्सीन की दो डोज ओवरऑल 95% प्रभावी
मॉडर्ना : mRNA वैक्सीन की दो डोज ओवरऑल 95% प्रभावी (B117, B1351 और P1 के खिलाफ खासी प्रभावी)
कोविशील्ड : वायरल वेक्टर वैक्सीन की दो डोज 70% तक प्रभावी
जॉनसन एंड जॉनसन : सिंगल डोज वायरल वेक्टर वैक्सीन 66% तक प्रभावी
स्पूतनिक वी : वायरल वेक्टर वैक्सीन की दो डोज 91% तक प्रभावी
सिनोवैक : इनएक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन की दो डोज 50% तक प्रभावी
नोवावैक्स : प्रोटीन आधारित वैक्सीन की दो डोज 89% तक प्रभावी
कोवैक्सीन : इनएक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन की दो डोज 78% तक प्रभावी