कोरोना थर्ड वेव पर भविष्यवाणी! दिल्ली में रोज आ सकते हैं 60,000 केस, पीक का टाइम भी जान लीजिए h3>
हाइलाइट्स
- आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट बोले, इसी महीने के आखिर में आ सकता है पीक
- दिल्ली-मुंबई में एक हफ्ते में आ जाएगा पीक, रोज 60 हजार केस आ सकते हैं
- लॉकडाउन पर कहा, अभी इसकी जरूरत नहीं क्योंकि अस्पताल में भर्ती कम हो रहे
नई दिल्ली
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर ने एक बार फिर लोगों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि बहुत जरूरी हो तभी बाहर निकलें और मास्क चेहरे पर जरूर हो। दरअसल, कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने की क्षमता रखता है। IIT कानपुर के प्रोफेसर ने सूत्र मॉडल से अनुमान लगाया है कि कोविड-19 की तीसरी लहर का पीक देश में इसी महीने के आखिर में आ सकता है।
सरकार समर्थित सूत्र मॉडल को लीड कर रहे प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि भारत में पीक 4 से 8 लाख डेली केसेज पर आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली और मुंबई में जनवरी के मध्य में 50,000-60,000 केस रोज आ सकते हैं और सात दिन का औसत 30,000 केस रह सकता है। अग्रवाल ने मैथमेटिक्स के जरिए वायरस के प्रसार का अनुमान लगाया है।
दिल्ली-मुंबई में एक हफ्ते में पीक
इस मॉडल ने यह भी संकेत दिए हैं कि अलग-अलग शहरों समेत पूरे देश में पीक आने के बाद तेजी से केसेज घटेंगे। मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि हमें तीन-चार दिन और इंतजार करना होगा और तब भारत में पीक का सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा, लेकिन वह दिल्ली और मुंबई में पीक के अनुमान को लेकर काफी आश्वस्त हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि एक हफ्ते में यहां पीक आ सकता है। उन्होंने कहा कि देश के लिए तो अभी नहीं, पर इन दोनों शहरों के लिए Sutra मॉडल का विश्लेषण काफी सटीक है।
बेड की कमी होने वाली है?
उन्होंने आगे कहा, ‘कुल मिलाकर, इस लहर को काफी हद तक मैनेज कर लिया जाएगा क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम दिख रही है। हालांकि अगले कुछ हफ्तों में चीजें बदल भी सकती हैं। स्थानीय स्तर पर बेड की कमी पड़ सकती है। ऐसे में उचित देखभाल और योजना तैयार करने की जरूरत है।’ एक ट्वीट में उन्होंने कहा है कि पूरे भारत में 1.5 लाख बेड की जरूरत पड़ सकती है जबकि दिल्ली के लिए यह 12,000 से कम होगी।
क्या रैलियों से फैलता है कोरोना?
प्रोफेसर का यह भी साफ कहना है कि कोरोना केसेज के बढ़ने और चुनावी रैलियों का कोई सीधा संबंध दिखाई नहीं देता है। पिछले चुनाव के समय महामारी पर हुई स्टडी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी रैली महज एक वजह बनी, जिससे संक्रमण फैलता गया। इसके अलावा कई कारण थे।
भारत में पीक कब आएगा
Manindra Agrawal कहते हैं कि पूरे भारत के लिए फिलहाल डेटा नहीं है लेकिन हम अनुमान लगा रहे हैं कि इस महीने के आखिर या अगले महीने की शुरुआत तक पीक आ सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय पैरामीटर वैल्यूज लगातार बदल रहे हैं, ऐसे में सटीक रूप से नहीं कहा जा सकता कि कितने केस आएंगे लेकिन इतना जरूर है कि 4 से 8 लाख केसेज रोज आ सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई में जितनी तेजी से केस बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से गिरेंगे भी। पूरे भारत में तो अभी ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ है। यह एक और महीना अभी लेगा और फिर केस घटने लगेंगे। उन्होंने कहा कि मार्च के मध्य में महामारी की तीसरी लहर काफी हद तक समाप्ति की ओर होगी।
क्या लॉकडाउन ठीक रहेगा?
लॉकडाउन के सवाल पर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि पहली लहर के समय सख्त लॉकडाउन ने संक्रमण की रफ्तार रोक दी थी। दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग रणनीतियां अपनाईं। जिन राज्यों ने हल्का या मीडियम लॉकडाउन लगाया, वे संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाब रहे। इस तरह लॉकडाउन हेल्प तो करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सख्त लॉकडाउन हेल्प करता है लेकिन बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका पर भी बुरा असर पड़ता है। हम हमेशा कोविड के कारण मौतों की बातें तो करते हैं लेकिन हमें उन मौतों के बारे में भी चर्चा करनी चाहिए जो आजीविका छिनने के कारण होती हैं।
उन्होंने कहा कि शहरों के लिए, जहां हम जनवरी के मध्य में पीक की उम्मीद कर रहे हैं, वहां लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं है। राज्यों में केस बढ़ रहे हैं, इधर तमिलनाडु ने लॉकडाउन लगाया है, जो थोड़ा समय से पहले लिया गया कदम है क्योंकि इस समय अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत काफी कम हो रही है।
हाइलाइट्स
- आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट बोले, इसी महीने के आखिर में आ सकता है पीक
- दिल्ली-मुंबई में एक हफ्ते में आ जाएगा पीक, रोज 60 हजार केस आ सकते हैं
- लॉकडाउन पर कहा, अभी इसकी जरूरत नहीं क्योंकि अस्पताल में भर्ती कम हो रहे
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर ने एक बार फिर लोगों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि बहुत जरूरी हो तभी बाहर निकलें और मास्क चेहरे पर जरूर हो। दरअसल, कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने की क्षमता रखता है। IIT कानपुर के प्रोफेसर ने सूत्र मॉडल से अनुमान लगाया है कि कोविड-19 की तीसरी लहर का पीक देश में इसी महीने के आखिर में आ सकता है।
सरकार समर्थित सूत्र मॉडल को लीड कर रहे प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि भारत में पीक 4 से 8 लाख डेली केसेज पर आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली और मुंबई में जनवरी के मध्य में 50,000-60,000 केस रोज आ सकते हैं और सात दिन का औसत 30,000 केस रह सकता है। अग्रवाल ने मैथमेटिक्स के जरिए वायरस के प्रसार का अनुमान लगाया है।
दिल्ली-मुंबई में एक हफ्ते में पीक
इस मॉडल ने यह भी संकेत दिए हैं कि अलग-अलग शहरों समेत पूरे देश में पीक आने के बाद तेजी से केसेज घटेंगे। मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि हमें तीन-चार दिन और इंतजार करना होगा और तब भारत में पीक का सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा, लेकिन वह दिल्ली और मुंबई में पीक के अनुमान को लेकर काफी आश्वस्त हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि एक हफ्ते में यहां पीक आ सकता है। उन्होंने कहा कि देश के लिए तो अभी नहीं, पर इन दोनों शहरों के लिए Sutra मॉडल का विश्लेषण काफी सटीक है।
बेड की कमी होने वाली है?
उन्होंने आगे कहा, ‘कुल मिलाकर, इस लहर को काफी हद तक मैनेज कर लिया जाएगा क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या कम दिख रही है। हालांकि अगले कुछ हफ्तों में चीजें बदल भी सकती हैं। स्थानीय स्तर पर बेड की कमी पड़ सकती है। ऐसे में उचित देखभाल और योजना तैयार करने की जरूरत है।’ एक ट्वीट में उन्होंने कहा है कि पूरे भारत में 1.5 लाख बेड की जरूरत पड़ सकती है जबकि दिल्ली के लिए यह 12,000 से कम होगी।
क्या रैलियों से फैलता है कोरोना?
प्रोफेसर का यह भी साफ कहना है कि कोरोना केसेज के बढ़ने और चुनावी रैलियों का कोई सीधा संबंध दिखाई नहीं देता है। पिछले चुनाव के समय महामारी पर हुई स्टडी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चुनावी रैली महज एक वजह बनी, जिससे संक्रमण फैलता गया। इसके अलावा कई कारण थे।
भारत में पीक कब आएगा
Manindra Agrawal कहते हैं कि पूरे भारत के लिए फिलहाल डेटा नहीं है लेकिन हम अनुमान लगा रहे हैं कि इस महीने के आखिर या अगले महीने की शुरुआत तक पीक आ सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय पैरामीटर वैल्यूज लगातार बदल रहे हैं, ऐसे में सटीक रूप से नहीं कहा जा सकता कि कितने केस आएंगे लेकिन इतना जरूर है कि 4 से 8 लाख केसेज रोज आ सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई में जितनी तेजी से केस बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से गिरेंगे भी। पूरे भारत में तो अभी ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ है। यह एक और महीना अभी लेगा और फिर केस घटने लगेंगे। उन्होंने कहा कि मार्च के मध्य में महामारी की तीसरी लहर काफी हद तक समाप्ति की ओर होगी।
क्या लॉकडाउन ठीक रहेगा?
लॉकडाउन के सवाल पर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि पहली लहर के समय सख्त लॉकडाउन ने संक्रमण की रफ्तार रोक दी थी। दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग रणनीतियां अपनाईं। जिन राज्यों ने हल्का या मीडियम लॉकडाउन लगाया, वे संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाब रहे। इस तरह लॉकडाउन हेल्प तो करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सख्त लॉकडाउन हेल्प करता है लेकिन बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका पर भी बुरा असर पड़ता है। हम हमेशा कोविड के कारण मौतों की बातें तो करते हैं लेकिन हमें उन मौतों के बारे में भी चर्चा करनी चाहिए जो आजीविका छिनने के कारण होती हैं।
उन्होंने कहा कि शहरों के लिए, जहां हम जनवरी के मध्य में पीक की उम्मीद कर रहे हैं, वहां लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं है। राज्यों में केस बढ़ रहे हैं, इधर तमिलनाडु ने लॉकडाउन लगाया है, जो थोड़ा समय से पहले लिया गया कदम है क्योंकि इस समय अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत काफी कम हो रही है।