कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की बात नकार रहे एक्सपर्ट्स, फिर भी… h3>
हाइलाइट्स:
- अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना की तीसरी लहर आने का अनुमान
- 12 से 18 साल के बच्चों को लग चुकी है ट्रायल में पहली डोज
- सर्वे के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को खतरा
नई दिल्ली
देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। पहले तीसरी लहर को लेकर कहा गया कि बच्चों पर ज्यादा खतरा होगा लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इसे नकार रहे हैं। इसके बावजूद बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द से जल्द तैयार करने का प्रेशर बना हुआ है। एम्स में बच्चों पर चल रहे कोवैक्सीन के ट्रायल को भी जल्द ही पूरा करने को कहा जा रहा है।
एम्स सूत्रों के अनुसार, तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे को देखते हुए ट्रायल कर रहे डिपार्टमेंट से यह कहा गया है कि इस ट्रायल को कम से कम समय में पूरा किया जाए, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर तक तीसरी वेव आने का अनुमान है। तब तक 18 साल से ज्यादा उम्र के बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी या फिर कुछ में नैचुरल इंफेक्शन से एंटीबॉडीज बन चुकी होंगी।
तेजी से चल रहा ट्रायल
ऐसे में सिर्फ 18 साल से कम उम्र के बच्चे ही बचेंगे जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होगी इसलिए जरूरी है कि ज्यादा समय ना लगाते हुए बच्चों पर ट्रायल को पूरा किया जाए। यही वजह है कि एम्स में एक हफ्ते के भीतर ही 12 से 18 साल के बच्चों में ट्रायल के तौर पर कोवैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई और अब 6 से 12 साल के बच्चों में भी ट्रायल डोज लगभग लग चुकी है। कुछ ही बच्चे बचे हैं जिन्हें पहली डोज देना बाकी है जबकि 6 से 12 साल की उम्र का ट्रायल भी बीते सोमवार से ही शुरू हुआ था। इन्हें भी एक हफ्ते के भीतर ही कवर किया जा चुका है।
वहीं, देश के जिन अलग-अलग संस्थानों में बच्चों पर ट्रायल चल रहा है, वहां भी इसे जल्द पूरा किया जा रहा। एम्स सूत्रों का कहना है कि ट्रायल जल्द पूरा करने से इसके परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो भी नतीजे निकलकर आएंगे, वह सही ही होंगे। बता दें कि कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स ने यह अनुमान लगाया है कि देशभर में अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि, यह दूसरी लहर के मुकाबले हल्की ही होगी और आसानी से स्थिति को कंट्रोल किया जा सकेगा।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच कराया गया सर्वे
हाल ही में एक इंटरनेशनल न्यूज एंजेंसी ने हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच एक सर्वे कराया है। इसमें विश्व के 40 हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट शामिल थे जिनमें डॉक्टर, साइंटिस्ट, महामारी विशेषज्ञ, वायरोलॉजिस्ट आदि शामिल थे। इनमें एक नाम एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का भी है, जिन्होंने इस सर्वे में कहा है कि तीसरी वेव में केस काफी कम होंगे क्योंकि तब तक वैक्सीनेशन काफी हो चुकी होगी।
साथ ही दूसरी लहर में संक्रमित हुए लोगों में एंटीबॉडीज भी होंगी। इस सर्वे में 21 हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट्स ने कहा कि भारत में तीसरी वेव अक्टूबर तक आ सकती है। अहम बात यह है कि जब इस सर्वे में यह पूछा गया कि क्या भारत में तीसरी वेव के दौरान 18 साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण होने का ज्यादा खतरा होगा, तो इस पर हां में जवाब दिया और कहा कि चूंकि इनकी लिए वैक्सीन अभी तक नहीं बनी है इसलिए इन पर खतरा होगा।
हाइलाइट्स:
- अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना की तीसरी लहर आने का अनुमान
- 12 से 18 साल के बच्चों को लग चुकी है ट्रायल में पहली डोज
- सर्वे के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को खतरा
देश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। पहले तीसरी लहर को लेकर कहा गया कि बच्चों पर ज्यादा खतरा होगा लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इसे नकार रहे हैं। इसके बावजूद बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द से जल्द तैयार करने का प्रेशर बना हुआ है। एम्स में बच्चों पर चल रहे कोवैक्सीन के ट्रायल को भी जल्द ही पूरा करने को कहा जा रहा है।
एम्स सूत्रों के अनुसार, तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे को देखते हुए ट्रायल कर रहे डिपार्टमेंट से यह कहा गया है कि इस ट्रायल को कम से कम समय में पूरा किया जाए, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर तक तीसरी वेव आने का अनुमान है। तब तक 18 साल से ज्यादा उम्र के बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लग चुकी होगी या फिर कुछ में नैचुरल इंफेक्शन से एंटीबॉडीज बन चुकी होंगी।
तेजी से चल रहा ट्रायल
ऐसे में सिर्फ 18 साल से कम उम्र के बच्चे ही बचेंगे जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होगी इसलिए जरूरी है कि ज्यादा समय ना लगाते हुए बच्चों पर ट्रायल को पूरा किया जाए। यही वजह है कि एम्स में एक हफ्ते के भीतर ही 12 से 18 साल के बच्चों में ट्रायल के तौर पर कोवैक्सीन की पहली डोज लगा दी गई और अब 6 से 12 साल के बच्चों में भी ट्रायल डोज लगभग लग चुकी है। कुछ ही बच्चे बचे हैं जिन्हें पहली डोज देना बाकी है जबकि 6 से 12 साल की उम्र का ट्रायल भी बीते सोमवार से ही शुरू हुआ था। इन्हें भी एक हफ्ते के भीतर ही कवर किया जा चुका है।
वहीं, देश के जिन अलग-अलग संस्थानों में बच्चों पर ट्रायल चल रहा है, वहां भी इसे जल्द पूरा किया जा रहा। एम्स सूत्रों का कहना है कि ट्रायल जल्द पूरा करने से इसके परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो भी नतीजे निकलकर आएंगे, वह सही ही होंगे। बता दें कि कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स ने यह अनुमान लगाया है कि देशभर में अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि, यह दूसरी लहर के मुकाबले हल्की ही होगी और आसानी से स्थिति को कंट्रोल किया जा सकेगा।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच कराया गया सर्वे
हाल ही में एक इंटरनेशनल न्यूज एंजेंसी ने हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच एक सर्वे कराया है। इसमें विश्व के 40 हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट शामिल थे जिनमें डॉक्टर, साइंटिस्ट, महामारी विशेषज्ञ, वायरोलॉजिस्ट आदि शामिल थे। इनमें एक नाम एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का भी है, जिन्होंने इस सर्वे में कहा है कि तीसरी वेव में केस काफी कम होंगे क्योंकि तब तक वैक्सीनेशन काफी हो चुकी होगी।
साथ ही दूसरी लहर में संक्रमित हुए लोगों में एंटीबॉडीज भी होंगी। इस सर्वे में 21 हेल्थकेयर स्पेशलिस्ट्स ने कहा कि भारत में तीसरी वेव अक्टूबर तक आ सकती है। अहम बात यह है कि जब इस सर्वे में यह पूछा गया कि क्या भारत में तीसरी वेव के दौरान 18 साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमण होने का ज्यादा खतरा होगा, तो इस पर हां में जवाब दिया और कहा कि चूंकि इनकी लिए वैक्सीन अभी तक नहीं बनी है इसलिए इन पर खतरा होगा।