कैलादेवी मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब: दुर्गाष्टमी पर 5 लाख भक्तों ने किए दर्शन, 11 अप्रैल तक 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना – Karauli News

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कैलादेवी मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब:  दुर्गाष्टमी पर 5 लाख भक्तों ने किए दर्शन, 11 अप्रैल तक 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना – Karauli News

कैलादेवी मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब: दुर्गाष्टमी पर 5 लाख भक्तों ने किए दर्शन, 11 अप्रैल तक 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना – Karauli News

दुर्गाष्टमी पर सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं।

करौली के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कैलादेवी में चैत्र मास का वार्षिक लक्खी मेला चल रहा है। दुर्गाष्टमी पर सुबह 3 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं। भक्त माता के जयकारे लगाते हुए दर्शन कर रहे हैं। दरबार में भीड़ इतनी है कि दर्शन में करीब एक घंटे का समय ल

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26 मार्च से 11 अप्रैल तक चलने वाले इस मेले में अब तक 30 लाख से अधिक भक्त पहुंच चुके हैं। मेले में कुल 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। दुर्गाष्टमी और रामनवमी पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इन दो दिनों में ही करीब 5 लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं। राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा से भी बड़ी संख्या में भक्त आ रहे हैं। कई श्रद्धालु हाथों में ध्वजा लेकर पैदल यात्रा कर रहे हैं। नवविवाहित जोड़े और नवजात के परिवार विशेष रूप से दर्शन करने आ रहे हैं।

मेले में कानून व्यवस्था के लिए 1000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हिंडौन और करौली सहित अन्य आगारों की 350 रोडवेज बसें लगाई गई हैं। दुर्गाष्टमी के मौके पर जिले भर में घर-घर में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की गई और कन्या भोज का आयोजन किया गया।

कैलादेवी में बहने वाली कालीसिल नदी से भी लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि कालीसिल नदी में स्नान करने के बाद दर्शन करने से ही कैला माता प्रसन्न होती है और देवी की जात पूरी होती है। इसी के चलते कैलादेवी मेले में आने वाले अधिकांश यात्री माता के दर्शनों से पूर्व कालीसिल नदी में स्नान कर स्वयं को पवित्र करते हैं।

मनौती पूरी होने पर की जाती है जात कैला मैया के दरबार में भक्त अपनी मनौती पूरी होने पर वाहनों से पहुंचते हैं। वहीं कुछ पैदल चलकर आते हैं। वहीं कुछ श्रद्धालु प्रतिवर्ष बिना किसी मनौती के ही नियमित दर्शनों को आते हैं। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे दिल से माता से कुछ मांगता है तो कैला मां उसे कभी निराश नहीं करती। माता के कृपा भाव के कारण ही प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

हर उम्र के श्रद्धालु हैं शामिल कैलादेवी माता के दर्शनों के आने वाले भक्तों में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं। दूध पीते बच्चों से लेकर 100 वर्ष तक की उम्र के भक्त माता के जयकारे लगाते हुए निरंतर आगे बढ़ते हैं। इनमें बच्चे, युवक-युवती, महिला-पुरूष शामिल रहते हैं।

कैलादेवी में ही कराते हैं मुंडन कैलादेवी के भक्तों में मान्यता है कि घर में बच्चे के जन्म के बाद पहली बार कैलादेवी में ही बच्चे का मुण्डन कराकर मां को बाल समर्पित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त बड़े बुजुर्ग और युवा भी मनौती पूरी होने पर अपने बाल मां के चरणों में समर्पित कर मुण्डन कराते हैं।

नव विवाहित जोड़े पहुंचते हैं मां के द्वार मां के भक्तों में पीढ़ियों से ऐसी भी मान्यता है कि घर में बेटे की शादी के बाद आने वाले पहले चैत्र मेले में नवविवाहित पति-पत्नी का जोड़ा मां के दरबार में आशीर्वाद लेने पहुंचता है। जब तक पूरा परिवार मां के दर्शनों की जात करने नहीं पहुंचता है, तब तक घर का कोई सदस्य माता के मंदिर में अकेले दर्शनों को नहीं जाता है।

डकैतों का भी रहा वर्चस्व कैलादेवी मेला चम्बल नदी के उस डांग क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जहां डकैतों का डंका बजता था। यहीं कारण है कि डकैत भी कैला मां के प्रति अपनी अटूट आस्था रखते थे। कई इनामी डकैत पुलिस से मुंह छिपाकर कैलादेवी में माता के दर्शनों के लिए पहुंचते थे। वहीं मनौती पूरी होने पर डकैतों द्वारा मां के चरणों में विजय घंट आदि चढ़ाकर मां को प्रसन्न करने के प्रयास किए जाते हैं।

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