कैग रिपोर्ट पेश करने में इतनी देरी क्यों, जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है… LG ने दिल्ली सीएम को लिखी चिट्ठी

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कैग रिपोर्ट पेश करने में इतनी देरी क्यों, जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है… LG ने दिल्ली सीएम को लिखी चिट्ठी

कैग रिपोर्ट पेश करने में इतनी देरी क्यों, जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है… LG ने दिल्ली सीएम को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली: दिल्ली के नए उपराज्यपाल वीके सक्सेना और सीएम केजरीवाल के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर सीबीआई जांच, पानी की गुणवत्ता को लेकर सवाल के बाद अब दिल्ली के सीएम को कैग की रिपोर्ट में देरी के लिए पत्र लिखा है। उपराज्यपाल ने केजरीवाल से सार्वजनिक धन की ”बर्बादी” से बचने के लिए इस तरह की प्रथा से बचने को कहा है।

‘सभी रिपोर्ट एक साथ पेश करने से नहीं मिल पाएगा चर्चा का समय’
वीके सक्सेना ने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि विधानसभा में सभी लेखापरीक्षा रिपोर्टों को एक साथ पेश करने से नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानि कैग की गंभीर टिप्पणियों पर चर्चा करने का अवसर मिल पाएगा या नहीं। सक्सेना ने केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा, ‘यह देखा गया है कि उपरोक्त रिपोर्टों में इंगित की गई कई अनियमितताएं गंभीर प्रकृति की हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। विधानसभा के समक्ष लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों को प्रस्तुत करने में अत्यधिक विलम्ब से न केवल समय पर सुधारात्मक कार्रवाई में देरी हुई बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से कथित कमियां भी कायम रहीं। इस प्रकार दक्षता, जवाबदेही व निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने का लेखापरीक्षा का उद्देश्य विफल हो गया।’

‘रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों पर हो आवश्यक कार्रवाई’
उपराज्यपाल ने पत्र में कहा, ‘मैं एक बार फिर आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि भविष्य में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से संबंधित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष समय पर रखी जाए और सार्वजनिक धन की बर्बादी व दुरुपयोग से बचने के लिए समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।’ सरकार ने उपराज्यपाल कार्यालय के निरंतर हस्तक्षेप के बाद पांच जुलाई को दिल्ली विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान ये रिपोर्ट पेश की थीं।

क्या है पूरा मामला
संविधान के अनुसार कैग सरकार के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करता है, जो वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद रिपोर्ट को उपराज्यपाल के पास भेजकर इसे विधानसभा में पेश करने की सिफारिश करती है। इस महीने की शुरुआत में उपराज्यपाल कार्यालय ने आरोप लगाया था कि 2017-18 की ‘राज्य वित्त लेखापरीक्षा रिपोर्ट’, 2018-19 की ‘राजस्व आर्थिक, सामाजिक एवं सामान्य क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम’ रिपोर्ट, 2019-20 की सामान्य सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र (गैर-पीएसयू) रिपोर्ट’ और 2020-21 की ‘जीएनसीटीडी के वित्त खाते’ रिपोर्ट जून के अंत तक सरकार के पास लंबित हैं।

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