केके पाठक पर सड़क से सदन तक हुआ संग्राम, 8 महीने में मंत्री हो या राज्यपाल, सबसे भिड़े h3>
आईएएस अधिकारी केके पाठक ने विवादों के बीच बिहार छोड़कर दिल्ली जाने का फैसला लिया है। उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए नीतीश सरकार को आवेदन दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया है। वर्तमान में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पद संभाल रहे केके पाठक चर्चित आईएएस अधिकारी हैं। शिक्षा विभाग में बीते 8 महीने में उनका कार्यकाल काफी विवादों भरा रहा। इस दौरान वे मंत्री और राज्यपाल तक से भिड़ गए। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई सख्त फैसले लिए। इसका शिक्षकों से लेकर पदाधिकारियों ने जमकर विरोध किया। उनके खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संग्राम हुआ।
केके पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते आईएएस अधिकारी माने जाते हैं। नीतीश सरकार उन्हें साल नवंबर 2021 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लेकर आई थी। उस समय उन्हें मद्य निषेध विभाग की जिम्मेदारी दी गई। करीब डेढ़ साल के बाद जून 2023 में पाठक का तबादला शिक्षा विभाग में कर दिया गया। इस विभाग में उन्होंने मुश्किल से 8 महीने का समय बिताया।
शिक्षा विभाग के एसीएस रहते केके पाठक की राजभवन और सरकार से कई मुद्दों पर तनातनी हुई। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई ऐसे फैसला लिए जो शिक्षकों और उनके ही विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रास नहीं आए। स्कूल से लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काटा गया। वहीं, स्कूल से गायब पाए जाने वाले शिक्षकों पर भी कार्रवाई हुई। केके पाठक ने जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित रूप से स्कूलों के निरीक्षण के निर्देश दिए। खुद केके पाठक ने भी बीते 8 महीने में कई बार स्कूलों का दौरा किया और अव्यवस्था मिलने पर स्टाफ को लताड़ लगाई।
शिक्षकों एवं कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखाने पर केके पाठक का शिक्षक संघों ने विरोध किया। उनके खिलाफ सड़क पर मार्च किया गया। विरोध होने पर केके पाठक ने शिक्षक संघों पर ही प्रतिबंध लगा दिया। इस मुद्दे पर भी सड़क से लेकर सदन तक खूब हंगामा हुआ।
शिक्षा मंत्री से तकरार
पिछली महागठबंधन सरकार में आरजेडी के चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री थे। उस दौरान केके पाठक का उनसे खूब टकराव हुआ। पाठक ने अपने स्तर पर कई कड़े फैसले लिए। शिक्षा मंत्री के आपत्ति जताने पर भी वे अपने फैसलों पर अड़िग रहे। नौबत यहां तक आ गई कि चंद्रशेखर ने अपने दफ्तर जाना छोड़ दिया और घर से ही विभाग का कामकाज निपटाने लगे।
केके पाठक का राजभवन से टकराव, नीतीश ने भी किया बीचबचाव
केके पाठक के शिक्षा विभाग में 8 महीने के कार्यकाल में राजभवन से भी कई मुद्दों पर टकराव हुआ। विश्वविद्यालयों के क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर राज्यपाल से वे भिड़ गए। विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने विज्ञापन जारी कर दिए थे, जबकि राजभवन पहले ही इस नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर चुका था। इसके बाद अभ्यर्थी कंफ्यूज हो गए कि किस विज्ञापन के लिए आवेदन किए जाएं। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप किया और उनके कहने पर विभाग ने अपना विज्ञापन वापस लिया था।
केके पाठक बिहार छोड़ दिल्ली चले, नीतीश सरकार ने आवेदन को मंजूरी दी
हाल ही में केके पाठक ने कुलपतियों, कुलसचिवों और विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई। राजभवन ने इसमें जाने से वीसी एवं अन्य अधिकारियों को अनुमति नहीं दी। 28 फरवरी को हुई इस बैठक में सभी वीसी ने दूरी बनाए रखी। इसके बाद पाठक एक्शन में आ गए और उन्होंने बैठक में शामिल नहीं होने वाले सभी वीसी एवं यूनिवर्सिटी पदाधिकारियों का वेतन रोक दिया।
स्कूल टाइमिंग पर अड़े रहे केके पाठक
केके पाठक ने पिछले दिनों स्कूलों का समय बदलकर सुबह 9 से शाम 5 बजे तक कर दिया। शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों ने इसका विरोध किया। हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में यह मुद्दा विपक्ष ने उठाया और जमकर हंगामा किया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि स्कूलों का समय सुबह 10 से शाम 4 बजे तक ही रहेगा। सिर्फ शिक्षक 15 मिनट पहले स्कूल आएंगे और 15 मिनट बाद स्कूल से जाएंगे। मगर केके पाठक अपने फैसले पर अड़े रहे। सीएम के कहने के बावजूद शिक्षा विभाग ने अब तक स्कूलों की नई टाइमिंग का आदेश नहीं जारी किया है। ऐसे में शिक्षक कंफ्यूजन में हैं कि वे सुबह 9 बजे स्कूल पहुंचें या फिर 9.45 बजे।
छुट्टियों पर विवादों में आए
स्कूलों में छुट्टियों को लेकर भी केके पाठक विवादों में रहे। महागठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग ने स्कूलों में रक्षाबंधन समेत कुछ हिंदू पर्व-त्योहारों की छुट्टियां घटा दी थीं। इस मुद्दे पर बीजेपी ने जमकर हंगामा किया था। बीते जनवरी महीने में शीतलहर के चलते स्कूल बंद किए जाने के फैसले का भी केके पाठक ने विरोध किया। उन्होंने पटना समेत अन्य जिलों के डीएम द्वारा भीषण ठंड में स्कूल बंद करने के फैसले पर सवाल उठाए थे।
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आईएएस अधिकारी केके पाठक ने विवादों के बीच बिहार छोड़कर दिल्ली जाने का फैसला लिया है। उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए नीतीश सरकार को आवेदन दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया है। वर्तमान में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पद संभाल रहे केके पाठक चर्चित आईएएस अधिकारी हैं। शिक्षा विभाग में बीते 8 महीने में उनका कार्यकाल काफी विवादों भरा रहा। इस दौरान वे मंत्री और राज्यपाल तक से भिड़ गए। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई सख्त फैसले लिए। इसका शिक्षकों से लेकर पदाधिकारियों ने जमकर विरोध किया। उनके खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संग्राम हुआ।
केके पाठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते आईएएस अधिकारी माने जाते हैं। नीतीश सरकार उन्हें साल नवंबर 2021 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लेकर आई थी। उस समय उन्हें मद्य निषेध विभाग की जिम्मेदारी दी गई। करीब डेढ़ साल के बाद जून 2023 में पाठक का तबादला शिक्षा विभाग में कर दिया गया। इस विभाग में उन्होंने मुश्किल से 8 महीने का समय बिताया।
शिक्षा विभाग के एसीएस रहते केके पाठक की राजभवन और सरकार से कई मुद्दों पर तनातनी हुई। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए उन्होंने कई ऐसे फैसला लिए जो शिक्षकों और उनके ही विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रास नहीं आए। स्कूल से लगातार अनुपस्थित रहने वाले बच्चों का नाम काटा गया। वहीं, स्कूल से गायब पाए जाने वाले शिक्षकों पर भी कार्रवाई हुई। केके पाठक ने जिलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित रूप से स्कूलों के निरीक्षण के निर्देश दिए। खुद केके पाठक ने भी बीते 8 महीने में कई बार स्कूलों का दौरा किया और अव्यवस्था मिलने पर स्टाफ को लताड़ लगाई।
शिक्षकों एवं कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती दिखाने पर केके पाठक का शिक्षक संघों ने विरोध किया। उनके खिलाफ सड़क पर मार्च किया गया। विरोध होने पर केके पाठक ने शिक्षक संघों पर ही प्रतिबंध लगा दिया। इस मुद्दे पर भी सड़क से लेकर सदन तक खूब हंगामा हुआ।
शिक्षा मंत्री से तकरार
पिछली महागठबंधन सरकार में आरजेडी के चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री थे। उस दौरान केके पाठक का उनसे खूब टकराव हुआ। पाठक ने अपने स्तर पर कई कड़े फैसले लिए। शिक्षा मंत्री के आपत्ति जताने पर भी वे अपने फैसलों पर अड़िग रहे। नौबत यहां तक आ गई कि चंद्रशेखर ने अपने दफ्तर जाना छोड़ दिया और घर से ही विभाग का कामकाज निपटाने लगे।
केके पाठक का राजभवन से टकराव, नीतीश ने भी किया बीचबचाव
केके पाठक के शिक्षा विभाग में 8 महीने के कार्यकाल में राजभवन से भी कई मुद्दों पर टकराव हुआ। विश्वविद्यालयों के क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर राज्यपाल से वे भिड़ गए। विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने विज्ञापन जारी कर दिए थे, जबकि राजभवन पहले ही इस नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर चुका था। इसके बाद अभ्यर्थी कंफ्यूज हो गए कि किस विज्ञापन के लिए आवेदन किए जाएं। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप किया और उनके कहने पर विभाग ने अपना विज्ञापन वापस लिया था।
केके पाठक बिहार छोड़ दिल्ली चले, नीतीश सरकार ने आवेदन को मंजूरी दी
हाल ही में केके पाठक ने कुलपतियों, कुलसचिवों और विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई। राजभवन ने इसमें जाने से वीसी एवं अन्य अधिकारियों को अनुमति नहीं दी। 28 फरवरी को हुई इस बैठक में सभी वीसी ने दूरी बनाए रखी। इसके बाद पाठक एक्शन में आ गए और उन्होंने बैठक में शामिल नहीं होने वाले सभी वीसी एवं यूनिवर्सिटी पदाधिकारियों का वेतन रोक दिया।
स्कूल टाइमिंग पर अड़े रहे केके पाठक
केके पाठक ने पिछले दिनों स्कूलों का समय बदलकर सुबह 9 से शाम 5 बजे तक कर दिया। शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों ने इसका विरोध किया। हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में यह मुद्दा विपक्ष ने उठाया और जमकर हंगामा किया। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया कि स्कूलों का समय सुबह 10 से शाम 4 बजे तक ही रहेगा। सिर्फ शिक्षक 15 मिनट पहले स्कूल आएंगे और 15 मिनट बाद स्कूल से जाएंगे। मगर केके पाठक अपने फैसले पर अड़े रहे। सीएम के कहने के बावजूद शिक्षा विभाग ने अब तक स्कूलों की नई टाइमिंग का आदेश नहीं जारी किया है। ऐसे में शिक्षक कंफ्यूजन में हैं कि वे सुबह 9 बजे स्कूल पहुंचें या फिर 9.45 बजे।
छुट्टियों पर विवादों में आए
स्कूलों में छुट्टियों को लेकर भी केके पाठक विवादों में रहे। महागठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग ने स्कूलों में रक्षाबंधन समेत कुछ हिंदू पर्व-त्योहारों की छुट्टियां घटा दी थीं। इस मुद्दे पर बीजेपी ने जमकर हंगामा किया था। बीते जनवरी महीने में शीतलहर के चलते स्कूल बंद किए जाने के फैसले का भी केके पाठक ने विरोध किया। उन्होंने पटना समेत अन्य जिलों के डीएम द्वारा भीषण ठंड में स्कूल बंद करने के फैसले पर सवाल उठाए थे।