केंद्र में नई सरकार बनते ही बिहार पर सौगातों की बौछार, दो एक्सप्रेस-वे बनने का रास्ता साफ h3>
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केन्द्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने काम शुरू कर दिया है। बिहार से ललन सिंह, जीतनराम मांझी, चिराग पासवान, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय समेत आठ सांसद मंत्री बने हैं। नई सरकार गठित होने के साथ ही राज्य को नई-नई सौगात मिलने लगी है। केन्द्र सरकार ने बिहार के दो एक्सप्रेस वे बनने का रास्ता साफ कर दिया है। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने गोरखपुर-किशनगंज-सिल्लीगुड़ी और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस वे की डीपीआर अविलंब मांगी है। मंत्रालय ने लक्ष्य तय किया है कि चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों एक्सप्रेस-वे के 100-100 किलोमीटर खंड का काम शुरू कर दिया जाए ताकि चरणवार तरीके से इस परियोजना को पूरा किया जा सके।
दरअसल, भारतमाला परियोजना के तहत इन सड़कों की डीपीआर बनाई जा रही थी, लेकिन कतिपय कारणों से यह ठंडे बस्ते में चला गया था। अब केन्द्र सरकार ने विजन 2047 के तहत इन सड़कों का निर्माण तेजी से करने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार ने भारतमाला-दो ए के तहत 5077 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की मंजूरी दी है, इसमें बिहार के दोनों एक्सप्रेस-वे को शामिल किया गया है। रक्सौल से शुरू होकर हल्दिया तक जाने वाला एक्सप्रेस-वे 719 किलोमीटर लंबा है। यह बिहार के अलावा झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल में समाप्त होगा, जबकि गोरखपुर-किशनगंज-सिल्लीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की लंबाई 521 किलोमीटर है। उत्तरप्रदेश से शुरू होने वाला यह एक्सप्रेस-वे बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में समाप्त होगा। इस एक्सप्रेस-वे की एक खासियत यह भी है कि इसका गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ाव हो जाएगा। इस तरह पानीपत से गोरखपुर होते हुए किशनगंज और सिल्लीगुड़ी तक इसका सीधा जुड़ाव हो जाएगा।
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सूबे के उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि रक्सौल-हल्दिया हाईस्पीड कॉरिडोर के लगभग 367 किलोमीटर तथा गोरखपुर-किशनगंज हाईस्पीड कॉरिडोर के लगभग 416 किलोमीटर सड़क का निर्माण होगा। इसके अतिरिक्त पहले से ही वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे की 170 किमी लंबी सड़क पर काम चल रहा है। इसमें अब तक कुल 5 पैकेज में लगभग 5241 करोड़ की लागत से 136 किमी सड़कों के निर्माण से जुड़ी निविदाएं निष्पादित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों की सोच है कि बुनियादी ढांचे के माध्यम से ‘गति, गुणवत्ता और पहुंच’ पर अनुकूल प्रभाव पड़ना चाहिए। ये दोनों कॉरिडोर उसी सोच को धरातल पर उतारने में सक्षम होंगे। इनसे आवागमन में सुविधा, समय और लागत की कमी के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ‘रक्सौल-हल्दिया हाईस्पीड कॉरिडोर’ बिहार के पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई और बांका जिलों से गुजरेगा, जबकि ‘गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी हाईस्पीड कॉरिडोर’ पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया एवं किशनगंज जिलों से होकर गुजरेगी। ये दोनों कॉरिडोर देश की सामरिक जरूरतों के लिए भी व्यापक उपयोगिता रखते हैं। बिहार में ये जिन इलाकों से होकर गुजरने जा रहे हैं वहां विकास की संभावनाओं पर भी गुणात्मक प्रभाव डालेंगे।
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केन्द्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने काम शुरू कर दिया है। बिहार से ललन सिंह, जीतनराम मांझी, चिराग पासवान, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय समेत आठ सांसद मंत्री बने हैं। नई सरकार गठित होने के साथ ही राज्य को नई-नई सौगात मिलने लगी है। केन्द्र सरकार ने बिहार के दो एक्सप्रेस वे बनने का रास्ता साफ कर दिया है। केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने गोरखपुर-किशनगंज-सिल्लीगुड़ी और रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस वे की डीपीआर अविलंब मांगी है। मंत्रालय ने लक्ष्य तय किया है कि चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों एक्सप्रेस-वे के 100-100 किलोमीटर खंड का काम शुरू कर दिया जाए ताकि चरणवार तरीके से इस परियोजना को पूरा किया जा सके।
दरअसल, भारतमाला परियोजना के तहत इन सड़कों की डीपीआर बनाई जा रही थी, लेकिन कतिपय कारणों से यह ठंडे बस्ते में चला गया था। अब केन्द्र सरकार ने विजन 2047 के तहत इन सड़कों का निर्माण तेजी से करने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार ने भारतमाला-दो ए के तहत 5077 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की मंजूरी दी है, इसमें बिहार के दोनों एक्सप्रेस-वे को शामिल किया गया है। रक्सौल से शुरू होकर हल्दिया तक जाने वाला एक्सप्रेस-वे 719 किलोमीटर लंबा है। यह बिहार के अलावा झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल में समाप्त होगा, जबकि गोरखपुर-किशनगंज-सिल्लीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की लंबाई 521 किलोमीटर है। उत्तरप्रदेश से शुरू होने वाला यह एक्सप्रेस-वे बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में समाप्त होगा। इस एक्सप्रेस-वे की एक खासियत यह भी है कि इसका गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ाव हो जाएगा। इस तरह पानीपत से गोरखपुर होते हुए किशनगंज और सिल्लीगुड़ी तक इसका सीधा जुड़ाव हो जाएगा।
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सूबे के उपमुख्यमंत्री सह पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि रक्सौल-हल्दिया हाईस्पीड कॉरिडोर के लगभग 367 किलोमीटर तथा गोरखपुर-किशनगंज हाईस्पीड कॉरिडोर के लगभग 416 किलोमीटर सड़क का निर्माण होगा। इसके अतिरिक्त पहले से ही वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे की 170 किमी लंबी सड़क पर काम चल रहा है। इसमें अब तक कुल 5 पैकेज में लगभग 5241 करोड़ की लागत से 136 किमी सड़कों के निर्माण से जुड़ी निविदाएं निष्पादित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों की सोच है कि बुनियादी ढांचे के माध्यम से ‘गति, गुणवत्ता और पहुंच’ पर अनुकूल प्रभाव पड़ना चाहिए। ये दोनों कॉरिडोर उसी सोच को धरातल पर उतारने में सक्षम होंगे। इनसे आवागमन में सुविधा, समय और लागत की कमी के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ‘रक्सौल-हल्दिया हाईस्पीड कॉरिडोर’ बिहार के पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई और बांका जिलों से गुजरेगा, जबकि ‘गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी हाईस्पीड कॉरिडोर’ पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया एवं किशनगंज जिलों से होकर गुजरेगी। ये दोनों कॉरिडोर देश की सामरिक जरूरतों के लिए भी व्यापक उपयोगिता रखते हैं। बिहार में ये जिन इलाकों से होकर गुजरने जा रहे हैं वहां विकास की संभावनाओं पर भी गुणात्मक प्रभाव डालेंगे।