केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला: 25 से 27 मार्च तक 12 सत्रों में भारतीय ज्ञान परंपरा पर होगा मंथन – Bhopal News h3>
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान प्रकोष्ठ में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न पहलुओं पर 12 सत्रों में विचार-विमर्श होगा। उद्घाटन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र
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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि भारत अब आत्म प्रत्यय के युग में है। हर विषय को भारतीय दृष्टिकोण से देखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा एकत्व और समन्वय का भाव रखती है।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. डी. दयानाथ ने बताया कि भारत सदियों से ज्ञान का केंद्र रहा है। भारतीय दर्शन, विज्ञान और अध्यात्म का विश्व में विशेष स्थान है। वेद, पुराण, वास्तुशास्त्र और ज्योतिषशास्त्र हमारी अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति का ज्ञान हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, क्योंकि यही उसकी पहचान है।
कार्यशाला में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों एवं आदर्श महाविद्यालयों के प्राध्यापक प्रतिभागी के रूप में भाग ले रहे हैं। संसाधकों में डॉ. नवीन भट्ट (चाणक्य विश्वविद्यालय, बेंगलुरु), डॉ. मुनीत धीमान (बेंगलुरु), डॉ. साई सुसरल (एमआईटी, पुणे), डॉ. गिरीश भट्ट (तिरुपति), डॉ. जे. श्रीनिवास (हैदराबाद), डॉ. केतु रामचंद्रशेखरन, डॉ. शिवकुमार (इंडिका), डॉ. गंटी एस. मूर्ति (आईकेएस डिवीजन, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार), डॉ. वी. आदिनारायण, डॉ. वरलक्ष्मी,तमिलनाडु, डॉ. राघवकृष्ण (वृहत फाउंडेशन), प्रो. सर्व नारायण झा (लखनऊ), प्रो. भागीरथी नंद (दिल्ली) सहित कई विद्वान शामिल है।विश्वविद्यालय के अकादमिक डीन प्रो. मदनमोहन झा ने अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कुलदीप शर्मा (विशेषाधिकारी, नियुक्ति प्रकोष्ठ) ने किया। सत्र का संचालन डॉ. पवन व्यास ने किया। इस अवसर पर प्रो. काशीनाथ न्योपाने (शोध एवं प्रकाशन विभाग के निदेशक), प्रो. मधुकेश्वर भट्ट,डॉ जी सूर्यप्रसाद, डॉ.अमृता कौर, डॉ.यशवंत त्रिवेदी,डॉ. प्रसाद भट्ट डॉ दीपिका, सहित सभी प्रतिभागी और शोध छात्र उपस्थित रहे।