किसी ने किडनी दी तो किसी ने लिवर… रक्षाबंधन पर भाइयों को बहनों ने दिया जीवन का गिफ्ट h3>
बहन से नहीं देखी गई भाई की तकलीफ
हरेंद्र पहले सेल्समैन का काम करते थे। उन्हें दिसंबर 2022 में किडनी की गंभीर खराबी का पता चला था। सप्ताह में तीन बार डायलिसिस के लिए अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते थे। इस वजह से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी सप्ताह में तीन बार डायलिसिस के लिए पर्याप्त पेड लीव नहीं दे सकती थी। इस पूरे अनुभव ने उन्हें अत्यधिक पीड़ा और चिंता दी। तभी ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहीं प्रियंका ने भाई को अपनी एक किडनी देने का फैसला किया। प्राइमस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी के प्रमुख डॉ पीपी वर्मा और कंसल्टेंट (नेफ्रोलॉजी) डॉ महक सिंगला ने कहा कि समाज में एक भ्रांति फैली है। जबकि किडनी दान देना महिला की गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है। उन्होंने कहा, ‘कई महिलाओं ने किडनी दान करने के बाद भी सफल गर्भधारण किया है, बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के।’
फरीदाबाद की बहन ने भाई को दिया 65% लिवर
बहनों और भाइयों के प्यार को बयां करने वाली एक और घटना है फरीदाबाद के मनोज कुमार की। तीन महीने पहले, उनकी 33 वर्षीय छोटी बहन ने उन्हें 65% लीवर दान करके उनकी जान बचाई। पीएसआरआई अस्पताल में सफल ट्रांसप्लांट किया गया। डॉक्टरों ने कहा, दोनों पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। मीरा को एक सप्ताह के बाद और मनोज को दो सप्ताह के बाद छुट्टी दे दी गई।
सांकेतिक तस्वीर
डॉक्टरों ने कहा कि मनोज का मामला सिरोसिस के साथ लीवर की विफलता का था। वरिष्ठ सलाहकार और लिवर ट्रांसप्लांट एंड गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी विभाग के प्रमुख, डॉ. मनोज गुप्ता ने ट्रांसप्लांट किया। डॉ. गुप्ता ने कहा, ‘यह देखकर दिल भर आया कि मरीज की तीनों बहनें अपने भाई की जान बचाने को लिवर देने आई थीं। टेस्ट करने के बाद, सबसे छोटी बहन को लिवर डोनेशन के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया। भले ही उसके हाथ में जलने का घाव था, उसने बिना हिचकिचाहट किए लिवर दान कर दिया।’