किसानों के सेवा केंद्र मुफलिसी में, कर्मचारियों को जेब से करना पड़ रहा बंदोबस्त | Farmers’ service center in Muflissi | Patrika News h3>
केंद्रों की माली हालात खराब : कर्मचारियों को जेब से करना पड़ रहा बंदोबस्त, साफ-सफाई, स्टेशनरी व अन्य खर्च के लिए नहीं मिल रहा बजट
जयपुर
Published: March 13, 2022 12:41:30 am
जयपुर/माधोराजपुरा। अन्नदाताओं की सेवा करने वाले कृषि विभाग के किसान सेवा केन्द्रों (kisan seva kendra) की माली हालत खराब होने से कार्यरत अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों की हालत कंगाली में आटा गीला वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। किसान सेवा केंद्रों के लिए बजट का पूरी तरह अभाव होने से कार्मिकों को वेतन में से ही केंद्रों के लिए सुविधाएं जुटानी पड़ती हैं। हालात ये हैं कि तकनीकी व इंटरनेट के इस युग में अधिकांश काम इंटरनेट से ही किए जाने लगे हैं, लेकिन कार्मिकों को इसका खर्च भी खुद को ही वहन करना होता है। केंद्रों पर स्टेशनरी की कोई सीमा नहीं है, लेकिन सरकारी स्तर पर स्टेशनरी के लिए भी किसी प्रकार के बजट का प्रावधान नहीं है। ऐसे हालात में परिवार के साथ कार्मिकों को केन्द्रों का संचालन भी करना पड़ रहा है।
किसानों के सेवा केंद्र मुफलिसी में
दौरा भी अपने खर्चे पर कर रहे कर्मचारी
फसलों की देखभाल सहित ऑनलाइन सर्वे व किसानों के अन्य कार्यों से फील्ड का दौरा भी अपने खर्च से ही करना पड़ता है। जबकि अन्य विभागों में हर मद के लिए बजट का प्रावधान होता है। ध्यातव्य है कि फार्म पौंड, फव्वारा, पाइप लाइन, ङ्क्षसचाई के अन्य संयंत्रों के लिए मौके पर जाकर ही सत्यापन करना आवश्यक होता है। केंद्रों पर कार्यरत कार्मिकों को ही साफ-सफाई भी करनी पड़ती है। दूसरी ओर सहायक निदेशक कार्यालय में सूचना व अनुदान पत्रावलियां जमा कराने तथा प्रशिक्षण के लिए कृषि पर्यवेक्षकों की ओर से की जाने वाली यात्रा का व्यय भी खुद को ही वहन करना पड़ता है।
किराए के मिलते हैं डेढ़ सौ रुपए मासिक
गौरतलब है कि किराए के भवनों में संचालित किसान सेवा केंद्रों के लिए सरकार की ओर से किराए के रूप में महज डेढ़ सौ रुपए प्रतिमाह दिया जाता है, जबकि हकीकत बिल्कुल उलट है। अतिरिक्त चार्ज होने पर विभाग की ओर से कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जाता।
फैक्ट फाइल
विभागीय सूत्रों की मानें तो एक कार्मिक को प्रतिमाह वेतन में से हजारों रुपए किसान सेवा केंद्रों की व्यवस्था तथा अन्य कार्यों के लिए खर्च करने पड़ते हैं। केंद्र का मासिक खर्च
काम — खर्चा
साफ-सफाई व पेयजल — 1500
स्टेशनरी — 1000
इंटरनेट — 800
क्षेत्र भ्रमण वाहन खर्च — 1500
भवन किराया — 1500
अगली खबर

केंद्रों की माली हालात खराब : कर्मचारियों को जेब से करना पड़ रहा बंदोबस्त, साफ-सफाई, स्टेशनरी व अन्य खर्च के लिए नहीं मिल रहा बजट
जयपुर
Published: March 13, 2022 12:41:30 am
जयपुर/माधोराजपुरा। अन्नदाताओं की सेवा करने वाले कृषि विभाग के किसान सेवा केन्द्रों (kisan seva kendra) की माली हालत खराब होने से कार्यरत अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों की हालत कंगाली में आटा गीला वाली कहावत चरितार्थ कर रही है। किसान सेवा केंद्रों के लिए बजट का पूरी तरह अभाव होने से कार्मिकों को वेतन में से ही केंद्रों के लिए सुविधाएं जुटानी पड़ती हैं। हालात ये हैं कि तकनीकी व इंटरनेट के इस युग में अधिकांश काम इंटरनेट से ही किए जाने लगे हैं, लेकिन कार्मिकों को इसका खर्च भी खुद को ही वहन करना होता है। केंद्रों पर स्टेशनरी की कोई सीमा नहीं है, लेकिन सरकारी स्तर पर स्टेशनरी के लिए भी किसी प्रकार के बजट का प्रावधान नहीं है। ऐसे हालात में परिवार के साथ कार्मिकों को केन्द्रों का संचालन भी करना पड़ रहा है।
किसानों के सेवा केंद्र मुफलिसी में
दौरा भी अपने खर्चे पर कर रहे कर्मचारी
फसलों की देखभाल सहित ऑनलाइन सर्वे व किसानों के अन्य कार्यों से फील्ड का दौरा भी अपने खर्च से ही करना पड़ता है। जबकि अन्य विभागों में हर मद के लिए बजट का प्रावधान होता है। ध्यातव्य है कि फार्म पौंड, फव्वारा, पाइप लाइन, ङ्क्षसचाई के अन्य संयंत्रों के लिए मौके पर जाकर ही सत्यापन करना आवश्यक होता है। केंद्रों पर कार्यरत कार्मिकों को ही साफ-सफाई भी करनी पड़ती है। दूसरी ओर सहायक निदेशक कार्यालय में सूचना व अनुदान पत्रावलियां जमा कराने तथा प्रशिक्षण के लिए कृषि पर्यवेक्षकों की ओर से की जाने वाली यात्रा का व्यय भी खुद को ही वहन करना पड़ता है।
किराए के मिलते हैं डेढ़ सौ रुपए मासिक
गौरतलब है कि किराए के भवनों में संचालित किसान सेवा केंद्रों के लिए सरकार की ओर से किराए के रूप में महज डेढ़ सौ रुपए प्रतिमाह दिया जाता है, जबकि हकीकत बिल्कुल उलट है। अतिरिक्त चार्ज होने पर विभाग की ओर से कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जाता।
फैक्ट फाइल
विभागीय सूत्रों की मानें तो एक कार्मिक को प्रतिमाह वेतन में से हजारों रुपए किसान सेवा केंद्रों की व्यवस्था तथा अन्य कार्यों के लिए खर्च करने पड़ते हैं। केंद्र का मासिक खर्च
काम — खर्चा
साफ-सफाई व पेयजल — 1500
स्टेशनरी — 1000
इंटरनेट — 800
क्षेत्र भ्रमण वाहन खर्च — 1500
भवन किराया — 1500
अगली खबर