किसानों की घटेगी लागत बढ़ेगा फायदा, ड्रोन के उपयोग से, जानें कैसे h3>
नई दिल्ली: खेती-किसानी (Farming) में अब खाद-बीज और खाद (Fertilizers) के अलावा जो महंगा पड़ता है, वह है मजदूरी (Wage Bill)। पंजाब और हरियाणा जैसे अमीर राज्यों को तो छोड़िए, बिहार जैसे गरीब राज्यों में भी खेती के समय पर्याप्त मजदूर (Labour) नहीं मिलते। ऐसे में तकनीक किसानों (Farmers) के पक्ष में खड़ा हुआ है। लेकिन खेती में तकनीक का उपयोग (Use of Technology in Farming) जरा महंगा पड़ता है। ऐसे में कम किराए पर तकनीक किसानों के खेतों तक पहुंचे तो कैसा रहेगा? आप कहेंगे शानदार। तो इसी काम के लिए धानुका एग्रीटेक सामने आई है। गुरूग्राम की इस कंपनी ने ड्रोन से खेतों में छिड़काव की पहल की है। किसानों को यह सेवा 400 रुपये प्रति एकड़ की मामूली रकम पर मिल सकेगी।
ड्रोन के उपयोग को सरकार दे रही है बढ़ावा
किसानों की कृषि लागत कम हो सके, इसके लिए सरकार ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। सरकार का कहना है कि कृषि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को काफी राहत मिल रही है। क्योंकि इससे एक बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ घंटों में कीटनाशक या दवाओं या नैनो यूरिया जैसे खाद का छिड़काव किया जा सकता है। इससे किसानों की लागत में कमी आएगी, समय की बचत होगी और सबसे बड़ा फायदा यह होगा की सही समय पर खेतों में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा।
धानुका एग्रीटेक आई आगे
खेती-बारी में ड्रोन के उपयोग (Use of Drone in Farming) को बढ़ावा देने के लिए धानुका एग्रीटेक सामने आई है। धानुका ग्रूप के चेयरमैन आर जी अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने कुछ ऐसे उन्नत ड्रोन जुटाए हैं, जिनका उपयोग जापान और अन्य विकसित देशों में हो रहा है। इन मशीनों से एक एकड़ खेत में महज एक घंटे में कीटनाशक या लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव हो जाएगा। यदि पारंपरिक स्प्रेयर से छिड़काव किया जाए तो इसी काम में छह सात घंटे लगते हैं। इससे किसानों की लागत घटेगी।
किसानों की होगी कई तरीके से बचत
आर जी अग्रवाल का कहना है कि ड्रोन के जरिए छिड़काव करने से किसानों की कई तरीके से बचत होगी। एक तो कम समय में छिड़काव हो जाएगा। दूसरा, ड्रोन के जरिए खेत में हर जगह एक समान छिड़काव होता है। इसके उलट, यदि पारंपरिक तरीके स छिड़काव किया जाए तो सब जगह एक समान छिड़काव नहीं हो पाता। यदि पांरपरिक तरीके से छिड़काव किया जाए तो दो-तीन मजदूर आराम से लग जाते हैं। यदि एक मजदूर की मजदूरी 500 रुपये भी रखें तो 1500 रुपये तो मजदूरी ही हो गई। ड्रोन से छिड़काव में एक एकड़ का किराया महज 400 रुपये का होगा।
पानी भी बचेगा
धानुका एग्रीटेक का कहना है कि यदि पारंपरिक तरीके से एक एकड़ खेत में दवा का छिड़काव किया जाए तो 150 से 200 लीटर पानी की जरूरत होती है। यदि ड्रोन से यही छिड़काव किया जाए तो महज 10 लीटर पानी में ही यह हो जाता है। उल्लेखनीय है कि खेती में ही आधे से ज्यादा भू—जल का दोहन होता है। यदि इसी तरीके से पानी की बचत होगी तो यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।
ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की भी योजना
खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने “कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना शुरू की है। इसके तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कृषि ड्रोन की खरीद, किराए पर लेने और प्रदर्शन में सहायता करके इस तकनीक को किफायती बनाने के लिए आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को वित्त पोषण दिशानिर्देश जारी किए हैं। ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ड्रोन खरीदने के लिए 100 फीसदी या दस लाख रुपए तक अनुदान देने की परिकल्पना की गई। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठनों को ड्रोन खरीदने के लिए 75 फीसदी तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। यह वित्तीय सहायता और 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगी। प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेने वाले एजेंसियों को 6,000 रुपए हर बार आक्समिक खर्च के तौर पर दिए जाएंगे। ड्रोन खरीद कर प्रदर्शन करने वाले एजेंसियों को आक्समिक खर्च के तौर 3,000 रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
आर जी अग्रवाल का कहना है कि इसके लिए किसानों का जागरूक होना सबसे जरूरी है। इसके लिए सरकार की तरफ से अग्रणी कृषि अनुंसधान और कृषि प्रशिक्षण संस्थानों को आठ से दस लाख रुपए मूल्य के कृषि ड्रोन मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके बदले में ये संस्थान देश भर में ड्रोन के छिड़काव का प्रशिक्षण देंगे। किसान जल्द से जल्द कृषि ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति जागरूक हों इसके लिए एफपीओ और कृषि इंटरप्रेन्योर्स सब्सिडाइज्ड दरों पर कृषि ड्रोन दिए जाएंगे। धानुका एग्रीटेक भी अपने स्तर पर इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।
बिहार के किसान ड्रोन से करें कीटनाशक का छिड़काव: राधा मोहन सिंह
ड्रोन के उपयोग से घट सकती है खेती की लागत (File Photo)
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ड्रोन के उपयोग को सरकार दे रही है बढ़ावा
किसानों की कृषि लागत कम हो सके, इसके लिए सरकार ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। सरकार का कहना है कि कृषि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को काफी राहत मिल रही है। क्योंकि इससे एक बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ घंटों में कीटनाशक या दवाओं या नैनो यूरिया जैसे खाद का छिड़काव किया जा सकता है। इससे किसानों की लागत में कमी आएगी, समय की बचत होगी और सबसे बड़ा फायदा यह होगा की सही समय पर खेतों में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा।
धानुका एग्रीटेक आई आगे
खेती-बारी में ड्रोन के उपयोग (Use of Drone in Farming) को बढ़ावा देने के लिए धानुका एग्रीटेक सामने आई है। धानुका ग्रूप के चेयरमैन आर जी अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने कुछ ऐसे उन्नत ड्रोन जुटाए हैं, जिनका उपयोग जापान और अन्य विकसित देशों में हो रहा है। इन मशीनों से एक एकड़ खेत में महज एक घंटे में कीटनाशक या लिक्विड फर्टिलाइजर का छिड़काव हो जाएगा। यदि पारंपरिक स्प्रेयर से छिड़काव किया जाए तो इसी काम में छह सात घंटे लगते हैं। इससे किसानों की लागत घटेगी।
किसानों की होगी कई तरीके से बचत
आर जी अग्रवाल का कहना है कि ड्रोन के जरिए छिड़काव करने से किसानों की कई तरीके से बचत होगी। एक तो कम समय में छिड़काव हो जाएगा। दूसरा, ड्रोन के जरिए खेत में हर जगह एक समान छिड़काव होता है। इसके उलट, यदि पारंपरिक तरीके स छिड़काव किया जाए तो सब जगह एक समान छिड़काव नहीं हो पाता। यदि पांरपरिक तरीके से छिड़काव किया जाए तो दो-तीन मजदूर आराम से लग जाते हैं। यदि एक मजदूर की मजदूरी 500 रुपये भी रखें तो 1500 रुपये तो मजदूरी ही हो गई। ड्रोन से छिड़काव में एक एकड़ का किराया महज 400 रुपये का होगा।
पानी भी बचेगा
धानुका एग्रीटेक का कहना है कि यदि पारंपरिक तरीके से एक एकड़ खेत में दवा का छिड़काव किया जाए तो 150 से 200 लीटर पानी की जरूरत होती है। यदि ड्रोन से यही छिड़काव किया जाए तो महज 10 लीटर पानी में ही यह हो जाता है। उल्लेखनीय है कि खेती में ही आधे से ज्यादा भू—जल का दोहन होता है। यदि इसी तरीके से पानी की बचत होगी तो यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।
ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की भी योजना
खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने “कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना शुरू की है। इसके तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कृषि ड्रोन की खरीद, किराए पर लेने और प्रदर्शन में सहायता करके इस तकनीक को किफायती बनाने के लिए आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को वित्त पोषण दिशानिर्देश जारी किए हैं। ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ड्रोन खरीदने के लिए 100 फीसदी या दस लाख रुपए तक अनुदान देने की परिकल्पना की गई। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठनों को ड्रोन खरीदने के लिए 75 फीसदी तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। यह वित्तीय सहायता और 31 मार्च 2023 तक लागू रहेगी। प्रदर्शन के लिए ड्रोन किराए पर लेने वाले एजेंसियों को 6,000 रुपए हर बार आक्समिक खर्च के तौर पर दिए जाएंगे। ड्रोन खरीद कर प्रदर्शन करने वाले एजेंसियों को आक्समिक खर्च के तौर 3,000 रुपए प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
आर जी अग्रवाल का कहना है कि इसके लिए किसानों का जागरूक होना सबसे जरूरी है। इसके लिए सरकार की तरफ से अग्रणी कृषि अनुंसधान और कृषि प्रशिक्षण संस्थानों को आठ से दस लाख रुपए मूल्य के कृषि ड्रोन मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके बदले में ये संस्थान देश भर में ड्रोन के छिड़काव का प्रशिक्षण देंगे। किसान जल्द से जल्द कृषि ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति जागरूक हों इसके लिए एफपीओ और कृषि इंटरप्रेन्योर्स सब्सिडाइज्ड दरों पर कृषि ड्रोन दिए जाएंगे। धानुका एग्रीटेक भी अपने स्तर पर इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।
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