किडनी खराब होने से नहीं होता जीवन खत्म,ट्रांसप्लांट के बाद हुआ जीवन सामान्य h3>
जयपुर
किसी के मम्मी तो किसी के लिए पापा फरिश्ते बने। किसी के लिए बहन तो किसी के लिए भाई फरिश्ता बना। यह कहानी है ऐसे युवाओं की जो लंबे समय से किडनी की बीमारी से परेशान थे। लेकिन जब उनके परिजन ने उन्हें एक किडनी डोनेट की तो उन्हें नया जीवनदान मिल सका।
ऐसे ही जयपुर के कुछ युवा भी है। जो किडनी डिजीज से जुझ रहे थे। युवाओं का कहना है कि किडनी खराब होने से जीवन खत्म नहीं होता है और वह समाज के सामने उदाहरण है जो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी सामान्य जीवनयापन कर रहे हैं। किडनी ट्रांसप्लांट से पहले इन युवाओं ने भी दर्द सहन किया और जगह जगह इलाज के भटके। लेकिन अब ट्रांसप्लांट करवा चुके यह युवा समाज में संदेश देने के साथ किडनी पेशेट्स की मदद कर रहे है और कोई 17 साल से तो कोई 10 साल से बिजनस नौकरी तक कर रहे है।
इनका यह कहना
किडनी की बीमारी तो जीवन का अंत नहीं
अगर किसी को किडनी की बीमारी है तो वह उसके जीवन का अंत नहीं है। मुझे भी मेरी किडनी की बीमारी का अचानक पता लगा। इलाज से पहले लोगों ने भटकाया,भ्रांतियां फैलाई और नर्वस कर दिया। मेरे पापा ने मुझे किडनी डोनेट की और अब हम दोनों 17 साल से सामान्य जीवन जी रहे हैं।
हर्षवर्धन सिंह,निजी व्यवसाय
झाड़ फूंक में पड़े
करीब 7 साल पहले पता लगा कि क्रोनिक किडनी डिजीज है। झाड़ फूंक में पड़े। फिर डॉक्टर के पास गए तो डायलिसिस व थैरेपी का इलाज लिया। लेकिन दो साल पहले पिताजी ने किडनी डोनेट की और हम दोनों स्वस्थ है।
मोहित शर्मा, ट्रांसप्लांटेड पेशेंट
पापा ने दी किडनी
10 वर्ष पहले पापा ने किडनी देकर जीवनदान दिया। बीमारी का पता लगा तो घबरा गए थे। लेकिन डॉक्टर्स की सलाह पर ट्रांसप्लांट करवाया। हम दोनों स्वस्थ हैं।
हेमंत सिंह,प्राइवेट जॉब,
महिलाएं भी पीछे नहीं,शादी होने बाद बहन ने दी किडनी
शादी होने के बाद मेरी बहन भारती शर्मा ने मुझे किडनी दी। जीते जी अपने शरीर का एक अंग निकालकर देना बहुत बड़ी बात है। मेरी बहन की शादी हो चुकी थी। लेकिन उन्हें मेरी बीमारी का पता लगा तो जीजाजी ने भी सहमति दी और बहन ने शादी बाद अपनी किडनी दे मेरा जीवन बचाया। ट्रांसप्लांट बाद मैं और मेरी बहन सामाजिक जीवन जी रहे हैं।
अमित कुमार शर्मा,इंजीनियर
25 साल की उम्र में बेटी ने पापा को दी किडनी
मेरी 25 साल की उम्र मैने मेरे पापा को किडनी डोनेट की। बेटी होते हुए अपने पापा के लिए कुछ करना चाहती थी। फैसला बहुत सोचने वाला था। किडनी डोनेट करने से पहले और बाद में जीवन में कोई बदलाव नहीं आया हैं। वह सभी काम करती हूं जो एक नॉर्मल इंसान करती है।
मुद्रिका गहलोत,इंजीनियर
मां बनी बेटी के लिए फरिश्ता
मेरी मां मेरे लिए फरिश्ता बनी। 2010 में उन्होंने मुझे अपनी किडनी डोनेट की। मैं पेशे से नर्स हूं, अपनी जॉब करती हूं और घरेलू काम करती हूं। मैं और मां बिल्कूल स्वस्थ है।
ममता चौधरी,नर्सिंग स्टाफ