कालीचरण खजुराहो से पकड़ाए या रायपुर से, शिवराज सरकार तमतमाई क्यों? h3>
हाइलाइट्स
- कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ और एमपी में ठनी
- एमपी सरकार ने संघीय प्रोटोकॉल को लेकर उठाया सवाल
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने एमपी पुलिस को नहीं दी थी गिरफ्तारी की सूचना
- इसे लेकर शिवराज सरकार तमतमा गई है
भोपाल
कालीचरण (Kalicharan Arresting) को गिरफ्तार करने के लिए रायपुर पुलिस की तीन टीमें एमपी, महाराष्ट्र और दिल्ली में खाकर छान रही थी। गुरुवार को भोर में एमपी में घूम रही पुलिस टीम के हाथ कालीचरण खजुराहो से 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम में लग गया है। छत्तीसगढ़ की पुलिस उसे उठाकर एमपी को जानकारी दिए बिना लेकर चली गई। इसके बाद शिवराज सरकार तमतमा गई। मगर सवाल है कि कालीचरण खजुराहो से गिरफ्तार हो या फिर रायपुर से, तमतमाने की वजह क्या है।
एमपी के गृह मंत्री कह रहे हैं कि रायपुर पुलिस ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया है। साथ ही एमपी पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी है। हमें नाराजगी इस बात को लेकर है। इन आरोपों पर छत्तीसगढ़ सीएम ने साफ कर दिया है कि हमने उसके परिवार और वकील को जानकारी दी है। छत्तीगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू कहते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि हम उन्हें जानकारी दें।
सियासी जानकारों की मानें तो प्रोटोकॉल से ज्यादा इससे राज्य की बदनामी हो रही है। कांग्रेस इसे दूसरे तरीके से भूनाने की कोशिश करती है। बीते डेढ़ सालों देश के तीन बड़े मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। कानपुर गोलीकांड के आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी उज्जैन से हुई थी। कुछ महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में गांजा तस्करों ने मेला देखकर लौट रहे लोगों को रौंद दिया था।
इन तस्करों की गिरफ्तारी एमपी के सिंगरौली जिले से हुई थी। साथ ही तस्कर गांजा को लेकर सिंगरौली ही आ रहे थे। इसे लेकर शिवराज सरकार की फजीहत हुई थी। एमपी में गांजा पहुंच रहे हैं। अब कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। ऐसे में लोग सवाल यह भी उठा रहे हैं कि बड़े कांड के आरोपियों के लिए एमपी क्या शरणस्थली है। इससे राज्य की छवि खराब होती है।
कांग्रेस ने भी लगाए आरोप
वहीं, शिवराज सरकार के तमतमाने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ पुलिस को बधाई। बड़े शर्म की बात है कि गृह मंत्री इस कार्यवाही का स्वागत करने की बजाए इस पर सवाल उठा रहे हैं, कायदे से एमपी पुलिस को खुद उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए था लेकिन लगता है कि शिवराज सरकार उन्हें संरक्षण दे रही थी।
Kalicharan Room New Video : बागेश्वर धाम के इसी मकान में छुपा था कालीचरण, मकान मालिक से सुनिए
बीजेपी नेताओं की चुप्पी
कालीचरण को लेकर एमपी में बीजेपी नेताओं के स्टैंड साफ नहीं थे। विवादित बयान पर ये लोग खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे थे। साथ ही बचाव भी नहीं कर पा रहे थे। यही वजह है कि एमपी के ग्वालियर में कालीचरण की गिरफ्तारी का विरोध हुआ है। हिंदू महासभा के लोगों ने छत्तीसगढ़ सरकार का पुतला जलाया है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कालीचरण की गिरफ्तारी पर कहा है कि मैं ऐसे मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, मुझे लगता है कि किसी का मन तत्व किसी से मेल नहीं खाता होगा। लेकिन गांधीजी के के बारे में ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करने वालों का समर्थन ना करें तो अच्छा है।
Kalicharan Arrested Video : खजुराहो के होटल में छुपा था कालीचरण महाराज, पुलिस के सामने निकली हेकड़ी
एमपी पुलिस पर सवाल
बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी से एमपी पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल है। कोई अपराधी यहां आकर संरक्षण लेता है और दूसरे राज्य की पुलिस उसे प्रदेश से गिरफ्तार कर ले जाता है। मगर प्रदेश की पुलिस को भनक तक नहीं लगती है। इसका मतलब है कि लोकल इंटेलिजेंस फेल है। इससे राज्य की छवि अच्छी नहीं बनती है। फिलहाल इस मामले में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
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हाइलाइट्स
- कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ और एमपी में ठनी
- एमपी सरकार ने संघीय प्रोटोकॉल को लेकर उठाया सवाल
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने एमपी पुलिस को नहीं दी थी गिरफ्तारी की सूचना
- इसे लेकर शिवराज सरकार तमतमा गई है
कालीचरण (Kalicharan Arresting) को गिरफ्तार करने के लिए रायपुर पुलिस की तीन टीमें एमपी, महाराष्ट्र और दिल्ली में खाकर छान रही थी। गुरुवार को भोर में एमपी में घूम रही पुलिस टीम के हाथ कालीचरण खजुराहो से 25 किलोमीटर दूर बागेश्वर धाम में लग गया है। छत्तीसगढ़ की पुलिस उसे उठाकर एमपी को जानकारी दिए बिना लेकर चली गई। इसके बाद शिवराज सरकार तमतमा गई। मगर सवाल है कि कालीचरण खजुराहो से गिरफ्तार हो या फिर रायपुर से, तमतमाने की वजह क्या है।
एमपी के गृह मंत्री कह रहे हैं कि रायपुर पुलिस ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया है। साथ ही एमपी पुलिस को इसकी जानकारी नहीं दी है। हमें नाराजगी इस बात को लेकर है। इन आरोपों पर छत्तीसगढ़ सीएम ने साफ कर दिया है कि हमने उसके परिवार और वकील को जानकारी दी है। छत्तीगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू कहते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि हम उन्हें जानकारी दें।
सियासी जानकारों की मानें तो प्रोटोकॉल से ज्यादा इससे राज्य की बदनामी हो रही है। कांग्रेस इसे दूसरे तरीके से भूनाने की कोशिश करती है। बीते डेढ़ सालों देश के तीन बड़े मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। कानपुर गोलीकांड के आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी उज्जैन से हुई थी। कुछ महीने पहले ही छत्तीसगढ़ में गांजा तस्करों ने मेला देखकर लौट रहे लोगों को रौंद दिया था।
इन तस्करों की गिरफ्तारी एमपी के सिंगरौली जिले से हुई थी। साथ ही तस्कर गांजा को लेकर सिंगरौली ही आ रहे थे। इसे लेकर शिवराज सरकार की फजीहत हुई थी। एमपी में गांजा पहुंच रहे हैं। अब कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। ऐसे में लोग सवाल यह भी उठा रहे हैं कि बड़े कांड के आरोपियों के लिए एमपी क्या शरणस्थली है। इससे राज्य की छवि खराब होती है।
कांग्रेस ने भी लगाए आरोप
वहीं, शिवराज सरकार के तमतमाने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ पुलिस को बधाई। बड़े शर्म की बात है कि गृह मंत्री इस कार्यवाही का स्वागत करने की बजाए इस पर सवाल उठा रहे हैं, कायदे से एमपी पुलिस को खुद उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए था लेकिन लगता है कि शिवराज सरकार उन्हें संरक्षण दे रही थी।
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बीजेपी नेताओं की चुप्पी
कालीचरण को लेकर एमपी में बीजेपी नेताओं के स्टैंड साफ नहीं थे। विवादित बयान पर ये लोग खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे थे। साथ ही बचाव भी नहीं कर पा रहे थे। यही वजह है कि एमपी के ग्वालियर में कालीचरण की गिरफ्तारी का विरोध हुआ है। हिंदू महासभा के लोगों ने छत्तीसगढ़ सरकार का पुतला जलाया है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कालीचरण की गिरफ्तारी पर कहा है कि मैं ऐसे मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, मुझे लगता है कि किसी का मन तत्व किसी से मेल नहीं खाता होगा। लेकिन गांधीजी के के बारे में ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करने वालों का समर्थन ना करें तो अच्छा है।
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एमपी पुलिस पर सवाल
बड़े अपराधियों की गिरफ्तारी से एमपी पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल है। कोई अपराधी यहां आकर संरक्षण लेता है और दूसरे राज्य की पुलिस उसे प्रदेश से गिरफ्तार कर ले जाता है। मगर प्रदेश की पुलिस को भनक तक नहीं लगती है। इसका मतलब है कि लोकल इंटेलिजेंस फेल है। इससे राज्य की छवि अच्छी नहीं बनती है। फिलहाल इस मामले में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।