कामेश्वर चौपाल ने गांव-गांव विहिप को मजबूत किया: रामचरित मानस पर विवाद करने वाले को मक्खी कहा, RSS ने कारसेवक का दिया था दर्जा – Bihar News

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कामेश्वर चौपाल ने गांव-गांव विहिप को मजबूत किया:  रामचरित मानस पर विवाद करने वाले को मक्खी कहा, RSS ने कारसेवक का दिया था दर्जा – Bihar News

कामेश्वर चौपाल ने गांव-गांव विहिप को मजबूत किया: रामचरित मानस पर विवाद करने वाले को मक्खी कहा, RSS ने कारसेवक का दिया था दर्जा – Bihar News

बीजेपी के पूर्व MLC और राम जन्मभूमि निर्माण के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया। उन्होंने ही राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। RSS ने उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा भी दिया था। उन्हें किडनी की बीमारी थी। बीते 28 दिनों से दिल्ली के गंगाराम

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अनुसूचित जाति से आने वाले कामेश्वर चौपाल 2 टर्म यानी 12 साल तक बीजेपी कोटे से एमएलसी रहे। 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

चौपाल ने ही रोटी के साथ राम का नारा दिया था। मंदिर निर्माण शिलान्यास कार्यक्रम में बतौर विश्व हिंदू परिषद के बिहार के सह संगठन मंत्री के नाते पहुंचे थे। गांव-गांव से सवा रुपए (एक रुपए 25 पैसे) मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि इकट्ठा करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी।

रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़े थे

कामेश्वर चौपाल साल 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ रोसड़ा रिजर्व सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। उस समय समस्तीपुर की जगह रोसड़ा सुरक्षित सीट थी। 1995 में कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ बखरी से विधानसभा का टिकट दिया, वहां भी उनकी हार हुई। बीजेपी ने उन्हें 2002 में एमएलसी बनाया। लगातार 12 साल तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे।

ये तस्वीर 9 नवंबर 1989 की है, जब राम मंदिर निर्माण के लिए हुए शिलान्यास कार्यक्रम में कामेश्वर चौपाल ने पहली ईंट रखी थी।

2020 में डिप्टी सीएम की रेस में थे

2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद डिप्टी CM की रेस में कामेश्वर चौपाल का नाम भी था। लेकिन बन नहीं पाए थे। तब नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे से तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी का डिप्टी सीएम बनाया गया था। तारकिशोर प्रसाद वैश्य समाज से आते हैं, जबकि रेणु देवी अति पिछड़ा समाज से। बीजेपी ने इन दोनों समाज से जुड़े वोट बैंक को मजबूत करने के लिए दोनों को डिप्टी सीएम बनाया। तब बीजेपी की नजर महिलाओं के वोट बैंक पर भी थी।

बच्चों से कहा था- ईश्वर मिले तो फिर से भारत मांगना

पीएमसीएच में सीनियर डॉक्टर राजीव कुमार सिंह ने NEWS4SOCIALसे बातचीत में पुरानी यादों को साझा किया। उन्होंने कहा 1992 में मेरी पोस्टिंग खगड़िया में थी। कामेश्वर चौपाल तब खगड़िया आए थे। एक कार्यक्रम में बाल स्वंय सेवकों से पूछा, ‘अगर तुम्हारे सामने ईश्वर आ जाएं तो तुम क्या करोगे? ये बच्चे 10 से 14 वर्ष के बीच के थे।

उनके सवाल पर एक बच्चे ने कहा कि खूब सारा सोना चाहिए। किसी ने कहा कि खूब सारा पैसा चाहिए। सभी की बात सुनने के बाद उन्होंने बच्चों को प्रार्थना सुनाई, नमस्ते सदा…। प्रार्थना खत्म होने के बाद बच्चों से कहा कि देश से बढ़कर कुछ नहीं है। भारत भूमि की धरती पर जन्म लेने से बड़ा कुछ नहीं है। यह ऐसी धरती है, जहां देवता भी जन्म लेना चाहते हैं। इसलिए ईश्वर से कुछ मांगना हो तो फिर से भारत भूमि जरूर मांगना। देश भक्ति से बढ़कर कुछ भी नहीं।

अशोक सिंहल ने अचानक घोषणा की थी

राम मंदिर में पहली ईंट रखने से जुड़ा संस्मरण सुनाते हुए कामेश्वर चौपाल ने कहा था, ‘मैं किसी काम का जिम्मा संभाल रहा था। उसी समय विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल के करीबी रहे रामेश्वर नाथ आए। कहा कि आपको सिंघल जी बुला रहे हैं। मैं जब संतों के बीच पहुंचा तो उन्होंने अचानक घोषणा कर दी कि मंदिर निर्माण के लिए नींव की पहली ईंट दलित समाज से आने वाले कामेश्‍वर चौपाल रखेंगे। आज भी मैं खुद को सौभाग्‍यशाली मानता हूं। दलित होने के बाद भी मुझे मंदिर निर्माण में जिम्मेदारी दी गई। यह सोचकर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।’

रामचरित मानस पर सवाल उठाने वालों को लगाई थी फटकार

बिहार में साल 2023 में रामचरित मानस पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर और यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर काफी विवाद हुआ। दोनों नेताओं ने रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों पर सवाल उठाते हुए उसे दलित और पिछड़ों का अपमान करने वाला ग्रंथ बताया था।

इस विवाद पर कामेश्वर चौपाल ने कहा था, ‘रामचरित मानस के शुरुआत में ही लिखा है, सिया राम मय सब जग जानी, कर… कर हूं प्रणाम।’ इसमें शूद्र को अलग नहीं किया गया है। मधुमक्खी और मक्खी के स्वभाव में जो अंतर होता है। वही भले और ऐसी सोच रखने वाले लोगों के बीच में है।

मक्खी गंदगी पसंद करती है, जबकि मधुमक्खी फूलों से रस निकाल कर मधुर शहद देती है। ऐसी विचार धारा वाले लोग मक्खी की प्रवृत्ति के हैं। जिनको बुराई और गंदगी ही सब जगह दिखती है। शरीर से कोई शूद्र नहीं होता। कर्म उसे शूद्र बना देता है।’

कामेश्वर चौपाल ने आगे कहा था, ‘रावण ब्राह्मण कुल का प्रकांड पंडित था, लेकिन उसके बुरे कर्म ने समाज को सताने और उत्पीड़ित करने का काम किया था। राम मंदिर के निर्माण में शूद्र और दलित का भेद नहीं। अच्छे कर्म वालों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई।’ विश्व हिंदू परिषद के संगठन को मजबूत करने के लिए गांव-गांव घूमे- प्रवीण बागी

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि चौपाल जी का जीवन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित था। विश्व हिंदू परिषद से बीजेपी में आए थे। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े।1989 में मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट उन्होंने रखी थी। लाइम लाइट में कम रहते थे। जब लोगों को पता चला कि बिहार के दलित नेता पहली ईंट रखेंगे, तब उनकी बहुत चर्चा हुई।

बिहार में बीजेपी दलित राजनीति मजबूत नहीं कर सकी- ओम प्रकाश अश्क

वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क का कहना है कि बीजेपी ने बिहार में दलित राजनीति को ताकतवर नहीं बनाया। दलित नेताओं में संजय पासवान और कामेश्वर चौपाल का नाम सामने आता है। संजय पासवान की राजनीति तो दिल्ली तक पहुंची। कामेश्वर चौपाल को भी लोकसभा और विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन वो हार गए। हालांकि दो टर्म एमएलसी जरूर रहे।

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