कानपुर में मासूम बोला-मुझे भूख लगी है…आकांक्षा को बुलाओ: नहीं दिखी मां तो पिता की गोद में सिमटा रहा गौरांग, अंजुला की बेटियों ने नहीं खाया खाना – Kanpur News h3>
मेली आतांक्षा तहां है, मुझे भूथ लगी है। बाबा उछको बुलाओ न। यह तोतली आवाज है कानपुर के नारामऊ हादसे में जान गंवाने वाली शिक्षिका आकांक्षा के दो साल के बेटे गौरांग की।
.
जो अपने पापा गौरव की गोद में सिमटा है। उसकी जिद है कि वह मां के हाथ से ही खाना खाएगा। बीच-बीच में वह तेजी से रोने लगता है। जिसको चुप कराते-कराते सभी भावुक हो जाते हैं।
कल्याणपुर, मिर्जापुर निवासी आकांक्षा का 2 साल का बेटा गौरांग पूरी रात अपने बाबा अशोक कुमार त्रिपाठी से पूछता रहा। बाबा आकांक्षा कहां है, परिजनों ने उसे बहला कर सुलाने की कोशिश की। लेकिन कई घंटों तक वह नहीं माना। बार–बार तोतली आवाज में कहता मुझे भूख लगी है आकांक्षा कहां है…। नासमझ बच्चे की बाते सुन कर रिश्तेदारों की आंखों से आंसू बंद होने का नाम नहीं ले रहे थे।
दैनिक भास्कर बुधवार को कानपुर में सड़क हादसे में जान गंवाने वाली शिक्षिकाओं आकांक्षा मिश्रा, अंजुला मिश्रा के घर पहुंची, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
पति गौरव व बेटे के साथ आकांक्षा (फाइल फोटो)
बेटे के पीछे दिन भर दौड़ती थी आकांक्षा
दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम आकांक्षा के घर पहुंची। जहां 2 साल का मासूम गौरांग मां आकांक्षा के न दिखने से मायूस होकर पिता गौरव की गोद से लिपटा हुआ था। कोई भी उसके सामने हादसे की बात नहीं कर रहा था। आकांक्षा की सास राधा ने बताया कि उनके सामने अब सबसे बड़ी समस्या गौरांग की परवरिश की है। उसे किस तरह बताएं कि अब उसकी मां कभी नहीं लौट कर आएंगी।
राधा के मुताबिक उन्हें जोड़ों की दर्द की समस्या है, जिससे उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत है। आकांक्षा ही स्कूल से लौटने के बाद दिन भर गौरांग के पीछे दौड़–भाग करती थी। एयरफोर्स में तैनात आकांक्षा के पति गौरव ने 24 मार्च को ही दिल्ली में ज्वाइन किया था, जहां उसने किराए पर फ्लैट लिया था।
मां की मौत के बाद पिता की गोद में मासूम गौरांग
आकांक्षा पति के पास जाने की कर रहीं थी तैयारी
20 अप्रैल से आकांक्षा के स्कूल की छुट्टियां होनी थी, जिसके बाद वह गौरव के पास जाने की तैयारी कर रही थी, जो धरी रह गईं। आकांक्षा के ससुर अशोक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि उनका छोटा बेटा सौरभ त्रिपाठी प्राइवेट नौकरी करता है, उन्होंने मांग की कि आकांक्षा की जगह पर बेटे सौरभ को नौकरी दी जाए।
कार तेज चलाने की आई थीं शिकायतें
परिजनों ने बताया कि आकांक्षा बिठूर रोड की ओर से रोजाना स्कूल आती–जाती थीं। उस दिन नारामऊ की ओर से क्यों आईं, इसका कारण भी उसके साथ ही चला गया। बताया कि चालक विशाल के तेज कार चलाने की भी कई बार शिकायतें सामने आई थीं।
कई बार उसको मना किया गया था। आकांक्षा ने घर पर भी यह बात बताई थी कि चालक विशाल को वह हर रोज इस बात को लेकर टोंकती है कि ज्यादा तेज कार न चलाए लेकिन वह कहता था दीदी मैं उतनी तेज ही चलाता हूं जितना कंट्रोल कर सकूं।
अंजुला की बेटियों ने दो दिन से नहीं खाया खाना
वहीं बर्रा विश्व बैंक डी ब्लॉक निवासी अंजुला मिश्रा की मौत के बाद 24 घंटे से ज्यादा बीतने के बाद भी बेटी पर्णिका व सोनिका ने खाना नहीं खाया है। अंजुला के पति आनंद ने बताया कि बेटियों को अंजुला शाम को पहला निवाला खिलाती थीं, जबकि बेटियां अपनी मां को खिलाती थीं। अंजुला के घर में काम करने वाली माया भी इस हादसे को भुला नहीं पा रही है। माया ने बताया कि वह 9 साल से काम कर रही, कभी भेदभाव नहीं दिखा। बुधवार सुबह भी रोजाना की तरह दीदी के घर आकर चाय बनाई, फिर साथ में चाय पी उसके बाद वह स्कूल के लिए निकल गईं थी।
बोलीं थीं कि बेटियों के लिए कुछ अच्छा बना देना। घर सिलेंडर देने आने वाले सुधीर कुमार दीक्षित भी भावुक हो गए, बोले मेमसाब हर बार 50 रुपए सिलेंडर के दाम से अतिरिक्त दे देती थीं।
अंजुला ही करती थी ड्राइवर व गाड़ी का चयन
चंद्र प्रकाश ने बताया तीनों शिक्षक लंबे समय से एक ही गाड़ी से आते–जाते थे। वह हमेशा ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठते थे, आकांक्षा कभी आगे की सीट पर नहीं बैठती थी, कई बार कहने के बावजूद आकांक्षा मना कर देती थीं। उस दिन न जाने क्या हो गया, जो आकांक्षा आगे की सीट पर बैठ गईं। चंद्र प्रकाश के मुताबिक गाड़ी व ड्राइवर का चयन हमेशा अंजुला मिश्रा ही करती थी। बीते दो माह पूर्व ही चालक बदला गया था।
ब्रेन ट्यूमर की जांच कराने गए थे, बच गई जान दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम उस शिक्षक के घर भी पहुंची, जो घटना वाले दिन स्कूल नहीं गए थे। यूपीएस नयामतपुर स्थित स्कूल में तैनात चंद्र प्रकाश मिश्र ने बताया कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर था। जिसका हाल ही में उन्होंने एम्स में आपरेशन कराया था। 15 मार्च को उन्हें जांच कराने के लिए जाना था, जिस कारण उन्होंने अवकाश लिया हुआ था। जिस कारण वह हादसे का शिकार होने से बच गए।
अब जानिए पूरा मामला क्या था
———-
यह जरूरी खबर भी पढ़िए
ग्राउंड रिपोर्ट- बेटा बोल नहीं पाता था, भेड़िया उसे खा गया:मां बोली- बेटियों की शादी करने बहराइच आए थे, बच्चे को खो दिया
24 अगस्त 2024…बहराइच में चौथा आदमखोर भेड़िया जिंदा पकड़ा गया। एक को गांव वालों ने मार दिया था। उस वक्त तक इन भेड़ियों ने 8 बच्चों को अपना निवाला बना लिया था। 40 से ज्यादा लोग हमले में घायल हो चुके थे।
इसके बाद भेड़िए का हमला बंद हो गया। लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन, 7 महीने बाद भेड़िया फिर से लौट आया है। 7 साल के बच्चे को अपना निवाला बना लिया। इसके बाद फिर से वही खौफ लोगों के अंदर भर गया। पढ़िए पूरी खबर