कहीं भोपाल भी न बन जाए दिल्ली इसलिए सड़क पर उतरे अफसर | Air quality dips to ‘very poor’ category in Bhopal | News 4 Social h3>
भोपाल की हवा में जहर है। तेजी से हो रहे निर्माण कार्य, उधड़ी सड़कों से उड़ती धूल हवा को और जहरीला बना रहे हैं। भोपाल की स्थिति भी दिल्ली जैसी न हो जाए इसके लिए बुधवार को जिला प्रशासन ने ताबड़-तोड़ कार्रवाई की।
पीयूसी मशीनें दे रहीं गलत रीडिंग,कलेक्टर ने जमीन पर बैठकर जांच किया
वाहनों का प्रदूषण चेक कर प्रमाण पत्र जारी करने वाले पीयूसी सेंटर्स की हालत खराब है। इसकी जांच खुद कलेक्टर आशीष सिंह ने की। उन्होंने पांच नंबर स्थित दुर्गा पेट्रोल पंप स्थित पीयूसी सेंटर की जांच की तो मशीन गलत रीडिंग देते मिली। पॉलीटेक्निक स्थित पेट्रोल पंप पर प्रदूषण प्रमाण पत्र की वैधता का ही पता नहीं था। इसी तरह की कई और कमियां मिलीं। सर्टिफिकेट की राशि में भी अंतर मिला। कोई 150 चार्ज कर रहा तो कोई 200 रुपए। कलेक्टर ने इन्हें व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि शहर में पेट्रोल पंप और वाहनों पर करीब 110 पीयूसी सेंटर संचालित हैं। यहां ट्रेंड लोग नहीं हैं।
जमीन पर बैठ गए कलेक्टर
कलेक्टर ने मिसरोद, नर्मदापुरम रोड के पीयूसी केंद्रों की जांच की। उन्होंने जमीन पर बैठ कर अपने सामने प्रदूषण की जांच कराई।
पीयूसी न मिलने पर ३५ हजार का जुर्माना
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी संजय तिवारी के निर्देशन में स्थानीय परिवहन फ्लाइंग स्क्वॉड की टीम ने नर्मदापुरम रोड, भोजपुर रोड एवं बाईपास से गुजरने वाले पुराने भारी वाहनों के पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट की जांच की। 5 वाहनों से पीयूसी सर्टिफिकेट न मिलने पर 35 हजार का जुर्माना लगाया गया। पांच अन्य वाहनों को थाने में जमा करवाया गया।
बीसीएलएल की बसों की जांच
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड की लाल बसों के प्रदूषण की जांच की गयी। बीसीएलएल के तीनों ठेकेदारों की बसों के सर्टिफिकेट सही पाए गए। जबकि कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में लगे भारी वाहनों के पीयूसी सटिज़्फिकेट सही नहीं मिले। लेकिन सरकारी कामों मेें लगे होने के कारण वाहनों को जप्त नहीं किया गया है।
कहां कितना एयर क्वालिटी इंडेक्स
ईदगाह हिल्स-कोहेफिजा-308
टीटी नगर-278
शाहपुरा-306
कुल-300 के पार
शहर में औसत एक्यूआइ
दिन – एक्यूआइ लेवल
सोमवार – 301
मंगलवार – 291
बुधवार – 293
……………….
राजधानी में प्रदूषण की वजह जानी गयी तो पता चला कि 67 फीसदी प्रदूषण निर्माण कार्यों से, २७ प्रतिशत कमर्शियल वाहनों से और टायर व आग जलाने से छह फीसदी प्रदूषण हो रहा है। 15 सालों में राजधानी में 6 लाख पेड़ काटे दिए गए। वन का क्षेत्र 4 प्रतिशत घट गया। इससे जरूरत भर का ऑक्सीजन पेड़ नहीं दे पा रहे है। इस वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पार कर गया है। जो औसत से बहुत ज्यादा है।
इस वजह से प्रदूषण
मेट्रो प्रोजेक्ट,गणेश मंदिर फ्लाईओवर, मेट्रो डिपो निर्माण के अलावा बावडिय़ाकला, नर्मदापुरम रोड, अरेरा कॉलोनी, कोलार, रायसेन रोड, करोद में भवन निर्माण कार्य के अलावा उखड़ी सड़कों से उड़ती धूल।
150 बिल्डिंग परमिशन को नोटिस, 62 परमिशन सस्पेंड
भवन निर्माण के दौरान ग्रीन नेट न लगाने पर नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा ने बीते दस दिन में 150 को नोटिस दिए हैं। जबकि 62 परमिशन निलंबित की जा चुकी हैं। बुधवार को भी 20 नोटिस जारी हुईं। सात अनुज्ञाएं निलंबित की गयी। जबकि, ग्रीन नेट से कवर करने पर 25 भवन स्वामियों की अनुज्ञाएं बहाल हुर्इं।
बढऩे लगे सांस संबंधी बीमारियों के मरीज
लगातार बढ़ते प्रदूषण से अस्पतालों में सांस सबंधी बीमारियों के मरीज बढ़े हैं। अस्थमा और दमा के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है।
हर चौराहे पर पानी का फव्वारा
– पर्यावरण बेहतर करने और ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने के लिए शहर के हर चौराहे पर फव्वारे लगाए जाएंगे। 110 फव्वारें शुरू भी कर दिए गए हैं। 280 जगहों पर फव्वारे लगाने से प्रदूषण घटेगा।
रोकने ये प्लानिंग
प्रदूषण को कम करने के लिए तीन स्तरीय कार्य योजना तैयार की गई है। निमार्णाधीन इमारतों और बिल्डिंग पर ग्रीन नेट लगाया जाएगा। धूल रोकने सड़कों पर पानी डलवा रहे हैं।
प्रदूषण कम करने के लिए हमने तीन स्तर की कार्य योजना तैयार की है। टीमें लगातार काम कर रही हैं। इसके परिणाम जल्द सामने आएंगे।
आशीष सिंह, कलेक्टर
निर्माण के दौरान ग्रीन नेट लगाना जरूरी है। जो नियमों को नहीं मान रहे उन पर कार्रवाई की जा रही है।
– फ्रैंक नोबल, निगमायुक्त
निजी एवं शासकीय वाहनों में पीयूसी सार्टिफिकेट अनिवार्य है। अन्यथा जुर्माना किया जाएगा7
संजय तिवारी, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी