कश्मीरी पंडितों के लिए मसीहा थे बाल ठाकरे, शिक्षा में आरक्षण देकर संवारी हजारों जिंदगियां

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कश्मीरी पंडितों के लिए मसीहा थे बाल ठाकरे, शिक्षा में आरक्षण देकर संवारी   हजारों जिंदगियां

कश्मीरी पंडितों के लिए मसीहा थे बाल ठाकरे, शिक्षा में आरक्षण देकर संवारी हजारों जिंदगियां

मुंबई: कश्मीरी पंडितों को लेकर बनाई गई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए एक बार फिर से इस पीड़ित और शोषित वर्ग का दुख दुनिया के सामने उजागर हुआ है। आज हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को धरती का स्वर्ग छोड़ने पर क्यों मजबूर होना पड़ा था। ये वो दौर था जब कश्मीरी पंडित परिवार के साथ जान बचाकर भागने पर मजबूर हुए थे। तब देश के एक दिलेर राजनेता ने खुलेदिल से उनके समर्थन में आवाज उठाई थी। जब ज्यादातर लोग आतंकियों के डर से खामोश बैठे थे। कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मदद करने वालों में सबसे ऊपर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का नाम आता है। उन्होंने शिक्षा में आरक्षण देकर संवारी कश्मीरी पंडितों की जिंदगी संवारी थी। शायद यही वजह कि कश्मीरी पंडित महाराष्ट्र को अपना दूसरा घर मानते हैं।

शिक्षा में आरक्षण दिलवाया
जब कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर छोड़ा था तब उनके पास बदन पर मौजूद कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं था। तकदीर ने उन्हें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था जहां उनकी मदद करने वाला भी कोई नहीं था। तब महाराष्ट्र एक राज्य साबित हुआ जिसने ना सिर्फ उनको शरण दी बल्कि उनको शिक्षा में आरक्षण भी दिलवाया। महाराष्ट्र के पुणे शहर सरहद नाम का एनजीओ चलाने वाले संजय नाहर के मुताबिक तब रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पी एन हुन अगुवाई में विस्थापित कश्मीरी पंडितों का एक प्रतिनिधिमंडल शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे से मिला था। उनकी तकलीफों को सुनने के बाद बालासाहेब ने उनसे पूछा था कि आपके आप मुझसे किस तरह की मदद चाहते हैं? जिस पर कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि हमें आपके राज्य में शिक्षा( टेक्निकल और इंजीनियरिंग) में कुछ आरक्षण दिलवा दीजिए। ताकि हमारे बच्चों का भविष्य खराब ना हो।

बाल ठाकरे ने बनाया आत्मनिर्भर
जानेमाने लेखक और पत्रकार राहुल पंडिता ने भी एक इंटरव्यू में कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने कश्मीरी पंडितों को महाराष्ट्र में आरक्षण दिलवाकर हजारों लोगों को आत्मनिर्भर होने में मदद की है। बाल ठाकरे ने जब कश्मीरी पंडितों को शिक्षा में आरक्षण देने की बात पर अपनी सहमति जताई थी तब विपक्षी दलों ने उनका मजाक भी उड़ाया था। हालांकि बाल ठाकरे के इस प्रयास से करीबन सात से आठ हजार कश्मीरी पंडितों को फायदा हुआ। पंडिता कहते हैं कि बाला साहेेब ने निस्वार्थ भाव से मदद की थी। उन्होंने कभी इस समुदाय को वोट बैंक के रूप में नहीं देखा। बालासाहेब से कश्मीरी पंडितों की मुलाकात करवाने में मौजूदा शिवसेना सांसद संजय राउत का भी अहम रोल था तब वह युवा पत्रकार हुआ करते थे।

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