कलेक्टोरेट में गूंज रही शहनाई, अब जाति-पात भूल कपल कर रहे इंटर कास्ट मैरिज | Number of interracial marriages doubled in two years | Patrika News h3>
– दो साल में दोगुनी हुई अंतरजातीय विवाह की संख्या
– विशेष हिंदू विवाह अधिनियम में चार माह में 149 जोड़ों ने कराया रजिस्ट्रेशन
इंदौर
Published: April 19, 2022 01:14:38 pm
इंदौर। सरकार भले की अगड़ों पिछडों की राजनीति करती रहे, लेकिन इससे दूर समाज में दोनों के दिल खुब मिल रहे है। कलेक्टोरेट में इन दिनों जातिभेद भूलकर अंतरजातीय विवाह की शहनाईयां खूब गूंज रही है। विवाह पंजीयन विभाग में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीयनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2021 में 170 शादियां हुई तो 2022 में जनवरी से एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इस अवधि 45 सामान्य शादियां हुई और 36 जोड़ों ने विवाह पंजीयन करवाया। रजिस्ट्रेशन की अप्रैल तक 149 जोड़े हिंदू मैरिज संख्या और बढ़ेगी।
interracial marriages
फूलों की खुशबू से महकता परिसर
कलेक्टोरेट में अपर कलेक्टर कोर्ट में शादियां भी होती हैं। परिसर में रोजाना फूलों की खुशबू और तैयार दुल्हा-दुल्हन के परिजन की आवाजाही रहती है।
विदेशी विवाह में आई कमी
विदेशी लड़कियों के साथ भारतीय लड़कों के विवाह का पंजीयन भी यहां होता है। कोरोना के कारण इसमें कमी आई है। बीते चार महीने में चार-पांच ऐसे विवाह हुए हैं।
तीन नियमों के तहत होती हैं शादियां
पहला: युवा जोड़े कोर्ट मैरिज करते हैं। इसमें अपर कलेक्टर के समक्ष वरमाला डालकर विवाह सूत्र में बंधते हैं।
दूसरा: इसमें अंतरजातीय विवाह किए जाते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत होने वाली इस शादी के लिए युवक या युवती में से एक का अनुसूचित जाति से होना अनिवार्य है। वर या वधू में से एक पक्ष सामान्य या पिछड़ा वर्ग से हो सकता है। इनकी संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अफसर इसकी वजह अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना को तो मानते हैं। साथ ही युवाओं की सोच में आया बदलाव भी बड़ा कारण है। इनके दस्तावेजों की छानबीन से पता चलता है कि अधिकांश जोड़े उच्च शिक्षित होते हैं। इस विवाह के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा 25 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसके लिए विवाह होने पर भी एक साल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है।
तीसरा: विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीयन कराया जाता है। 2008 के पहले जिन लोगों के विवाह हुए हैं, उनके विदेश जाने या अन्य कानूनी कार्य के लिए विवाह का पंजीयन अनिवार्य होता है। इनमें युवा और मी बुजुर्ग दोनों तरह के लोग पहुंच रहे हैं।
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– दो साल में दोगुनी हुई अंतरजातीय विवाह की संख्या
– विशेष हिंदू विवाह अधिनियम में चार माह में 149 जोड़ों ने कराया रजिस्ट्रेशन
इंदौर
Published: April 19, 2022 01:14:38 pm
इंदौर। सरकार भले की अगड़ों पिछडों की राजनीति करती रहे, लेकिन इससे दूर समाज में दोनों के दिल खुब मिल रहे है। कलेक्टोरेट में इन दिनों जातिभेद भूलकर अंतरजातीय विवाह की शहनाईयां खूब गूंज रही है। विवाह पंजीयन विभाग में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पंजीयनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2021 में 170 शादियां हुई तो 2022 में जनवरी से एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इस अवधि 45 सामान्य शादियां हुई और 36 जोड़ों ने विवाह पंजीयन करवाया। रजिस्ट्रेशन की अप्रैल तक 149 जोड़े हिंदू मैरिज संख्या और बढ़ेगी।
interracial marriages
फूलों की खुशबू से महकता परिसर
कलेक्टोरेट में अपर कलेक्टर कोर्ट में शादियां भी होती हैं। परिसर में रोजाना फूलों की खुशबू और तैयार दुल्हा-दुल्हन के परिजन की आवाजाही रहती है।
विदेशी विवाह में आई कमी
विदेशी लड़कियों के साथ भारतीय लड़कों के विवाह का पंजीयन भी यहां होता है। कोरोना के कारण इसमें कमी आई है। बीते चार महीने में चार-पांच ऐसे विवाह हुए हैं।
तीन नियमों के तहत होती हैं शादियां
पहला: युवा जोड़े कोर्ट मैरिज करते हैं। इसमें अपर कलेक्टर के समक्ष वरमाला डालकर विवाह सूत्र में बंधते हैं।
दूसरा: इसमें अंतरजातीय विवाह किए जाते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत होने वाली इस शादी के लिए युवक या युवती में से एक का अनुसूचित जाति से होना अनिवार्य है। वर या वधू में से एक पक्ष सामान्य या पिछड़ा वर्ग से हो सकता है। इनकी संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अफसर इसकी वजह अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना को तो मानते हैं। साथ ही युवाओं की सोच में आया बदलाव भी बड़ा कारण है। इनके दस्तावेजों की छानबीन से पता चलता है कि अधिकांश जोड़े उच्च शिक्षित होते हैं। इस विवाह के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा 25 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसके लिए विवाह होने पर भी एक साल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है।
तीसरा: विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीयन कराया जाता है। 2008 के पहले जिन लोगों के विवाह हुए हैं, उनके विदेश जाने या अन्य कानूनी कार्य के लिए विवाह का पंजीयन अनिवार्य होता है। इनमें युवा और मी बुजुर्ग दोनों तरह के लोग पहुंच रहे हैं।
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