कलेक्टर के पास बेटे का कफन लेकर पहुंचा पिता: कहा- हाईवे के किनारे, खुले में दफनाने को मजबूर, श्मशान भूमि की मांग की – Jodhpur News h3>
कलेक्टर को ज्ञापन देते सांसी समाज के लोग।
सांसी समाज के लोगों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर श्मशान के लिए भूमि देने की मांग की है। अजय सिंह सांसी के नेतृत्व में समाज के लोगों ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में कहा कि शहर के रातानाडा क्षेत्र में बसे सांसी समाज के समक्ष आज एक ऐसा सवाल खड़ा हो गया
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उन्होंने कहा कि सांसी समाज दशकों से यहां पर शांतिपूर्वक बसा हुआ है। आज अपने मृत मासूम बच्चों को खुले स्थानों में सड़कों के किनारे,जानवरों के डर और मानवीय असंवेदनशीलता के बीच दफनाने को मजबूर है। क्योंकि प्रशासन द्वारा अब तक उन्हें कोई स्थायी बाल श्मशान भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है।
बच्चों को सड़क किनारे दफनाना पड़ रहा
उन्होंने बताया कि पूर्व में यह समाज एयरपोर्ट थाना (पूर्व एयरफोर्स पुलिस चौकी) के पीछे एकांत व शांत क्षेत्र में अपने बच्चों को दफनाया करता था। लेकिन एयरपोर्ट विस्तार और पुलिस चौकी के नाम पर उस क्षेत्र को प्रतिबंधित घोषित कर दिया गया और समाज को वहां से हटा दिया गया। आज स्थिति यह है कि समाज को अपने बच्चों को खुले में सड़क किनारे दफनाना पड़ रहा है। जहां न तो सम्मान है, न शांति।
हाल ही में विक्रम सांसी के बच्चे का आकस्मिक देहांत हुआ। वह अपने मासूम की मृत देह को लेकर पूरे शहर में भटकता रहा लेकिन उसे कोई ऐसी जमीन नहीं मिली जहां वह अपने बच्चे को सम्मानपूर्वक मिट्टी दे सके। बड़ी मुश्किल से रोड के किनारे अपने बच्चों को मिट्टी देकर अपने आप को संभाल कर, थक-हारकर, आंखों में आँसू और हाथ में अपने बच्चों का कफन लेकर वह सांसी समाज के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। एक ही सवाल लेकर “क्या हमारे बच्चों को दफनाने के लिए दो गज जमीन भी नहीं है?”
कलेक्टर को ज्ञापन देने जाते सांसी समाज के लोग।
एक व्यक्ति नहीं पूरे समाज की पीड़ा उन्होंने कहा कि “यह पीड़ा किसी एक व्यक्ति या परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। और इस पीड़ा की जड़ में हमारे समाज के कुछ तथाकथित नेताओं और समाजसेवकों की लापरवाही और उनकी स्वार्थ भरी सस्ती राजनीति का है। इन लोगों ने अपना निजी स्वार्थ पूरा करने के लिए समाज को आज इस राह पर खड़ा कर दिया। केवल समाज सेवा या राजनीतिक के नाम पर समाज का अपराधीकरण किया। और चुनावी राजनीतिक कीमत लगाई समाज की इन लोगों ने कभी समाज की वास्तविक जरूरतों को न समझा, न पूरा किया। जिसका हाल यह है कि आज हम अपने बच्चों को रोड के किनारे दफना रहे हैं और सड़क को शर्मिंदा कर रहे हैं। अगर उन लोगों ने कुछ किया होता तो आज यह अमर्यादा हीन समय नहीं देखना होता। ये दो प्रमुख मांगें रखी
समाज के लोगों ने कलेक्टर के समक्ष प्रमुख रूप से दो मांगे रखी।
1. बिजलीघर, पाबूपुरा के पास स्थित श्मशान भूमि में से एक भाग को स्थायी रूप से बच्चों के दफन हेतु सुरक्षित किया जाए।
2. एयरपोर्ट थाना के पीछे स्थित पूर्व श्मशान स्थल था वहां बच्चों के शवों के दफन हेतु अनुमति प्रदान की जाए, क्योंकि वह क्षेत्र बस्ती से लगभग 100 मीटर दूर है।